"कमल": अवतरणों में अंतर

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19:51, 11 जनवरी 2011 का अवतरण

कमल - यही भारत का राष्ट्रीय पुष्प भी है।
भारत भारत के राष्ट्रीय प्रतीक
ध्वज तिरंगा
राष्ट्रीय चिह्न अशोक की लाट
राष्ट्रभाषा कोई नहीं
राष्ट्र-गान जन गण मन
राष्ट्र-गीत वन्दे मातरम्
मुद्रा (भारतीय रुपया)
पशु बाघ
जलीय जीव गंगा डालफिन
पक्षी मोर
पुष्प कमल
वृक्ष बरगद
फल आम
खेल मैदानी हॉकी
पञ्चांग
शक संवत
संदर्भ "भारत के राष्ट्रीय प्रतीक"
भारतीय दूतावास, लन्दन
Retreived ०३-०९-२००७

कमल वनस्पति जगत का एक पौधा है जिसमें बड़े और ख़ूबसूरत फूल खिलते हैं। विश्व में कमलों की दो प्रमुख प्रजातियाँ हैं। इनके अलावा कई जलीय कुमुदिनियों (लिलियों) को भी कमल कहा जाता है। कमल का पौधा धीमे बहने वाले या रुके हुए पानी में उगता है। ये दलदली पौधा है जिसकी जड़ें कम ऑक्सीजन वाली मिट्टी में ही उग सकती हैं। इसमें और जलीय कुमुदिनियों में विशेष अंतर यह कि इसकी पत्तियों पर पानी की एक बूँद भी नहीं रुकती, और इसकी बड़ी पत्तियाँ पानी की सतह से ऊपर उठी रहती हैं। एशियाई कमल का रंग हमेशा गुलाबी होता है। नीले, पीले, सफ़ेद और लाल "कमल" असल में जल-पद्म होते हैं जिन्हें कमलिनी कहा गया हैं। यह उष्ण कटिबंधी क्षेत्र पौधा है जिसकी पत्‍तियां और फूल तैरते हैं, इनके तने लंबे होते हैं जिनमें वायु छिद्र होते हैं। बड़े आकर्षक फूलों में संतुलित रूप में अनेक पंखुड़ियाँ होती हैं। जड़ के कार्य रिजोम्‍स द्वारा किए जाते हैं जो पानी के नीचे कीचड़ में समानांतर फैली होती हैं। कमल के फूल अपनी सुंदरता के लिए जाने जाते हैं। कमल से भरे हुए ताल को देखना काफी मनोहारी होता है क्‍योंकि ये तालाब की ऊपरी सतह पर खिलते हैं। भारत में पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्‍लेख है और इसके बारे में कई कहावतें और धार्मिक मान्‍यताएं भी हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में इसकी ख़ासी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है। इसीलिए इसको भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है। कमल एक जलीय पौधा है। यह जल में रहने के लिए अनुकूलित है। यह अपने शरीर में हुए रचनात्मक एंव क्रियात्मक परिवर्तनों के द्वारा जलीय वातावरण में सरलतापूर्वक जीवन व्यतीत करता है तथा वंश-वृद्धि करता है। अनुकूलन द्वारा ही यह सजीव प्रतिकूल जलीय परिस्थितियों में भी अपने आपको जीवीत रख पाता है तथा इसके जाति के अस्तित्व की रक्षा हो पाती है।

पौराणिक संदर्भ

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में कमल को महत्वपूर्ण स्थाम प्राप्त है। विष्णु पुराण में इन्द्र द्वारा लक्ष्मी की स्तुति करते हुए कहा गया है- कमल के आसन वाली, कमल जैसे हाथों वाली, कमल के पत्तों जैसी आँखों वाली, हे पद्म (कमल) मुखी, पद्मनाभ (भगवान विष्णु) की प्रिय देवी, मैं आपकी वन्दना करता हूँ।[क] इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति में कमल के सौंदर्य को कितना आकर्षक और पवित्र माना गया है। एक पुराण का नाम ही पद्म पुराण है ऐसा कहा जाता है कि पदम का अर्थ है-‘कमल का पुष्प’। चूंकि सृष्टि रचयिता ब्रह्माजी ने भगवान नारायण के नाभि कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पदम पुराण की संज्ञा दी गई है। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित सभी अठारह पुराणों की गणना में ‘पदम पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी इसे द्वितीय स्थान रखा जाता है।[1]

स्थापत्य में महत्व

दिल्ली में स्थित बहाई उपासना मंदिर

धार्मिक चित्रों, व मंदिरों की दीवारों, गुंबदों और स्तंभों में कमल के सुंदर अलंकरण मिलते हैं। अधिकांश हिन्दू देवी-देवताओं को हाथ में कमल के साथ चित्रित किया जाता है, लक्ष्मी और ब्रह्मा ऐसे प्रमुख देवता हैं। खजुराहो के देवी जगदम्बी मंदिर में हाथ में कमल लिये हुए, ५ फीट ८ इंच ऊंची खड़ी हुई चतुर्भुजी देवी की मूर्ति है। यहीं स्थित एक सूर्य मंदिर में सूर्य को एक पुरष के रूप में स्थापित किया गया है। मूर्ति ५ फीट ऊंची है और उसके दोनों हाथों में कमल के पुष्प हैं।[2] उदयपुर में पद्मावती माता जल कमल मन्दिर नामक मंदिर को कमल के आकार में बनाया गया है। संगमरमर से निर्मित देवी पद्मावती के इस मन्दिर में देवी लक्ष्मी, सरस्वती एवं अम्बिका की भव्य प्रतिमाएँ विराजमान हैं।[3] राजस्थान के धौलपुर जिले में मचकुण्ड तीर्थ स्थल के नजदीक ही कमल के फूल का बाग हैं। चट्टान काटकर बनाये गये कमल के फूल के आकार में बने इस बाग का ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व हैं। प्रथम मुगल बादशाह बाबर की आत्मकथा तुजके-बाबरी (बाबर नामा) में जिस कमल के फूल का वर्णन हैं वह धौलपुर का यही कमल के फूल का बाग हैं।[4] बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित देव सूर्य मंदिर में गर्भ गृह के ऊपर का शिखर कमल का आकार में है जिसके ऊपर सोने का कलश है।[5] अशोक की लाट में भी अधोमुखी कमल का प्रयोग किया गया है। भारत की राजधानी दिल्ली में बने बहाई उपासना मंदिर का स्थापत्य पूरी तरह से खिलते हुए कमल के आकार पर आधारित है जिसके कारण इसे लोटस टेंपल भी कहते हैं।

योग

योग में वर्णित मूलाधार इत्यादि शरीर के सात प्रमुख ऊर्जा केन्द्रों को भी कमल या पद्म कहा गया है। जिसमें पंखुड़ियों की संख्या अलग अलग है।

चित्र दीर्घा

संदर्भ

  1. "पदम पुराण" (पीएचपी). भारतीय साहित्य संग्रह. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  2. "खजुराहो का देवी जगदम्बी मंदिर" (एचटीएम). टीडीएल. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  3. "पद्मावती माता जल कमल मन्दिर" (एचटीएम). पद्मप्रभसूरीजी.कॉम. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  4. "कमल के फूल का बाग" (पीएचपी). प्रेसनोट.इन. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  5. "अनूठी है देव सूर्य मंदिर की स्थापत्य कला" (एचटीएमएल). जागरण याहू. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)

टीका टिप्पणी

   क.    ^ पद्मालयां पद्मकरां पद्मपत्रनिभेक्षणाम्

वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥

   ख.    ^ पहला स्थान स्कंद पुराण को प्राप्त है।