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[[महाभारत]] के पश्चात के कुरु वंश के राजा।
[[महाभारत]] के पश्चात के कुरु वंश के राजा।
*[[कलियुग वंशावली]]
*[[कलियुग वंशावली]]

[[श्रेणी:कुरुवंश के राजा]]
[[श्रेणी:कुरुवंश के राजा]]
[[श्रेणी:प्राचीन पौराणिक राजवंश]]
यह प्राचीन भारत के सूर्यवंश-चन्द्रवंश के प्रसिद्ध राजा थे। [[भारतीय]] इतिहास अति प्राचीन है। पौराणिक वंशावली अधस्तात् दी गयी है। यह वंशावली [[कृत युग]] से [[द्वापर]] के अन्त तक की है। नीचे लिखी सूचियां [[मनु]] (प्रथम मानव) से आरम्भ होती हैं और भगवान [[कृष्ण]] की पीढी पर समाप्त होती हैं। पूरी वंशावली जो पुराणों मे उपलब्ध है, नन्द वंश तक की है।<ref name="ReferenceA">[[सुभाष काक]], ''दि एस्ट्रोनोमिकल कोड आफ दि ऋग्वेद'' ([[ऋग्वेद का कूट-ज्योतिष]]), मुंशीराम मनोहारलाल, नई दिल्ली, २०००।</ref>

[[राम]] की पीढी ६५ है जबकि कृष्ण की ९४। इससे उनके बीच की अवधि का अनुमान बताया जा सकता है। इन पीढियों का जितना सम्भव था उतना समक्रमण किया गया है। भारत के प्राचीन सप्तर्षि पंचांग के अनुसार यह कालक्रम ६६७६ ईपू से आरम्भ होता है।<ref name="ReferenceA"/>

उस काल के विभिन्न आर्य राजाओं के बारे में इन वंशावलीयों से बहुत ज्ञान मिलता है।
===यादवकुल===
1 [[मनु]] | [[इला]] | [[पुरुरवस्]] | [[आयु]] | [[नहुष]] | [[ययाति]] | [[यदु]] | [[क्रोष्टु]] |
11 [[वृजिनिवन्त्]] | [[स्वाहि]] | [[रुशद्गु]] | [[चित्ररथ]] | [[शशबिन्दु]] |
21 [[पृथुश्रवस्]] | [[अन्तर]] | [[सुयज्ञ]] | [[उशनस्]] | [[शिनेयु]] | [[मरुत्त]] |
32 [[कम्बलबर्हिस्]] | [[रुक्मकवच]] | [[परावृत्]] | [[ज्यामघ]] | [[विदर्भ]] |
41 [[क्रथभीम]] | [[कुन्ति]] | [[धृष्ट]] | [[निर्वृति]] | [[विदूरथ]] | [[दशार्ह]] | [[व्योमन्]] | [[जीमूत]] | [[विकृति]] | [[भीमरथ]] |
51 [[रथवर]] | [[दशरथ]] | [[एकादशरथ]] | [[शकुनि]] | [[करम्भ]] | [[देवरात]] | [[देवक्षत्र]] | [[देवन]] |
61 [[मधु]] | [[पुरुवश]] | [[पुरुद्वन्त]] | [[जन्तु]] | [[सत्वन्त्]] | [[भीम]] | [[अन्धक]] | [[कुकुर]] | [[वृष्णि]] | [[कपोतरोमन]] |
80 [[विलोमन्]] | [[नल]] | [[अभिजित्]] | [[पुनर्वसु]] | [[उग्रसेन]] | [[कंस]] | 94 [[कृष्ण]] | [[साम्ब]]

===पौरवकुल===
1 [[मनु]] | [[इला]] | [[पुरुरवस्]] | [[आयु]] | [[नहुष]] | [[ययाति]] | [[पूरु]] | [[जनमेजय]] | [[प्राचीन्वन्त्]] | [[प्रवीर]] |
11 [[मनस्यु]] | [[अभयद]] | [[सुधन्वन्]] | [[बहुगव]] | [[संयति]] | [[अहंयाति]] | [[रौद्राश्व]] | [[ऋचेयु]] | [[मतिनार]] | [[तंसु]] |
43 [[दुष्यन्त]] | [[भरत]] | [[भरद्वाज]] | [[वितथ]] | [[भुवमन्यु]] | [[बृहत्क्षत्र]] | [[सुहोत्र]] | [[हस्तिन्]] |
53 [[अजमीढ]] | [[नील]] | [[सुशान्ति]] | [[पुरुजानु]] | [[ऋक्ष]] | [[भृम्यश्व]] | [[मुद्गल]] |
61 [[ब्रह्मिष्ठ]] | [[वध्र्यश्व]] | [[दिवोदास]] | [[मित्रयु]] | [[मैत्रेय]] | [[सृञ्जय]] | [[च्यवन]] | [[सुदास]] | [[संवरण]] | [[सोमक]] |
71 [[कुरु]] | [[परीक्षित १]] | [[जनमेजय]] | [[भीमसेन]] | [[विदूरथ]] | [[सार्वभौम]] | [[जयत्सेन]] | [[अराधिन]] | [[महाभौम]] |
81 [[अयुतायुस्]] | [[अक्रोधन]] | [[देवातिथि]] | [[ऋक्ष २]] | [[भीमसेन]] | [[दिलीप]] | [[प्रतीप]] | [[शन्तनु]] | [[भीष्म]] | [[विचित्रवीर्य]] | [[धृतराष्ट्र]] | 94 [[पाण्डव]] | [[अभिमन्यु]] | [[परीक्षित]] |
[[जनमेजय]]

===अयोध्याकुल===
1 [[मनु]] | [[इक्ष्वाकु]] | [[विकुक्षि-शशाद]] | [[कुकुत्स्थ]] | [[अनेनस्]] | [[पृथु]] | [[विष्टराश्व]] | [[आर्द्र]] | [[युवनाश्व]] | [[श्रावस्त]] | 11 [[बृहदश्व]] | [[कुवलाश्व]] | [[दृढाश्व]] | [[प्रमोद]] | [[हरयश्व]] | [[निकुम्भ]] | [[संहताश्व]] | [[अकृशाश्व]] | [[प्रसेनजित्]] | [[युवनाश्व २]] | 21 [[मान्धातृ]] | [[पुरुकुत्स]] | [[त्रसदस्यु]] | [[सम्भूत]] | [[अनरण्य]] | [[त्रसदश्व]] | [[हरयाश्व २]] | [[वसुमत]] | [[त्रिधनवन्]] | [[त्रय्यारुण]] | 32 [[सत्यव्रत]] | [[हरिश्चन्द्र]] | [[रोहित]] | [[हरित]] | [[विजय]] | [[रुरुक]] | [[वृक]] | [[बाहु]] | 41 [[सगर]] | [[असमञ्जस्]] | [[अंशुमन्त]] | [[दिलीप १]] | [[भगीरथ]] | [[श्रुत]] | [[नाभाग]] | [[अम्बरीश]] | [[सिन्धुद्वीप]] | [[अयुतायुस्]] | 51 [[ऋतुपर्ण]] | [[सर्वकाम]] | [[सुदास]] | [[मित्रसह]] | [[अश्मक]] | [[मूलक]] | [[शतरथ]] | [[ऐडविड]] | [[विश्वसह १]] | [[दिलीप २]] | 61[[दीर्घबाहु]] | [[रघु]] | [[अज]] | [[दशरथ]] | 65 [[राम]] | [[कुश]] | [[अतिथि]] | [[निषध]] | [[नल]] | 71 [[नभस्]] | [[पुण्डरीक]] | [[क्षेमधन्वन्]] | [[देवानीक]] | [[अहीनगु]] | [[पारिपात्र]] | [[बल]] | [[उक्थ]] | [[वज्रनाभ]] | [[शङ्खन्]] | 81 [[व्युषिताश्व]] | [[विश्वसह २]] | [[हिरण्याभ]] | [[पुष्य]] | [[ध्रुवसन्धि]] | [[सुदर्शन]] | [[अग्निवर्ण]] | [[शीघ्र]] | [[मरु]] | [[प्रसुश्रुत]] | 91 [[सुसन्धि]] | [[अमर्ष]] | [[विश्रुतवन्त्]] | 94 [[बृहद्बल]] | [[बृहत्क्षय]]

==अन्य राजा==
25 [[दिवोदास (काशी)]] | [[दुर्दम (हैहय)]] | 29 [[केकय (आनव)]] | [[गाधी (कान्यकुब्ज)]] | [[अर्जुन (हैहय)]] | [[विश्वामित्र (कान्यकुब्ज)]] | [[तालजङ्घ (हैहय)]] | [[प्रचेतस् (द्रुह्यु)]] | [[सुचेतस् (द्रुह्यु)]] | [[सुदेव (काशी)]] | 40 [[दिवोदास २ (काशी)]] | [[बलि (आनव)]]

==कलियुग==
[[महाभारत]] के आगे के काल के लिये देखियेः
*[[कलियुग वंशावली]]

==स्रोत==
<div class="references-small">
<references />

[[श्रेणी:भारत का इतिहास]]

[[new:पौराणिक वंशावली]]
[[sa:प्राचीन-वंशावली]]

15:56, 16 दिसम्बर 2010 का अवतरण

महाभारत के पश्चात के कुरु वंश के राजा।

यह प्राचीन भारत के सूर्यवंश-चन्द्रवंश के प्रसिद्ध राजा थे। भारतीय इतिहास अति प्राचीन है। पौराणिक वंशावली अधस्तात् दी गयी है। यह वंशावली कृत युग से द्वापर के अन्त तक की है। नीचे लिखी सूचियां मनु (प्रथम मानव) से आरम्भ होती हैं और भगवान कृष्ण की पीढी पर समाप्त होती हैं। पूरी वंशावली जो पुराणों मे उपलब्ध है, नन्द वंश तक की है।[1]

राम की पीढी ६५ है जबकि कृष्ण की ९४। इससे उनके बीच की अवधि का अनुमान बताया जा सकता है। इन पीढियों का जितना सम्भव था उतना समक्रमण किया गया है। भारत के प्राचीन सप्तर्षि पंचांग के अनुसार यह कालक्रम ६६७६ ईपू से आरम्भ होता है।[1]

उस काल के विभिन्न आर्य राजाओं के बारे में इन वंशावलीयों से बहुत ज्ञान मिलता है।

यादवकुल

1 मनु | इला | पुरुरवस् | आयु | नहुष | ययाति | यदु | क्रोष्टु | 11 वृजिनिवन्त् | स्वाहि | रुशद्गु | चित्ररथ | शशबिन्दु | 21 पृथुश्रवस् | अन्तर | सुयज्ञ | उशनस् | शिनेयु | मरुत्त | 32 कम्बलबर्हिस् | रुक्मकवच | परावृत् | ज्यामघ | विदर्भ | 41 क्रथभीम | कुन्ति | धृष्ट | निर्वृति | विदूरथ | दशार्ह | व्योमन् | जीमूत | विकृति | भीमरथ | 51 रथवर | दशरथ | एकादशरथ | शकुनि | करम्भ | देवरात | देवक्षत्र | देवन | 61 मधु | पुरुवश | पुरुद्वन्त | जन्तु | सत्वन्त् | भीम | अन्धक | कुकुर | वृष्णि | कपोतरोमन | 80 विलोमन् | नल | अभिजित् | पुनर्वसु | उग्रसेन | कंस | 94 कृष्ण | साम्ब

पौरवकुल

1 मनु | इला | पुरुरवस् | आयु | नहुष | ययाति | पूरु | जनमेजय | प्राचीन्वन्त् | प्रवीर | 11 मनस्यु | अभयद | सुधन्वन् | बहुगव | संयति | अहंयाति | रौद्राश्व | ऋचेयु | मतिनार | तंसु | 43 दुष्यन्त | भरत | भरद्वाज | वितथ | भुवमन्यु | बृहत्क्षत्र | सुहोत्र | हस्तिन् | 53 अजमीढ | नील | सुशान्ति | पुरुजानु | ऋक्ष | भृम्यश्व | मुद्गल | 61 ब्रह्मिष्ठ | वध्र्यश्व | दिवोदास | मित्रयु | मैत्रेय | सृञ्जय | च्यवन | सुदास | संवरण | सोमक | 71 कुरु | परीक्षित १ | जनमेजय | भीमसेन | विदूरथ | सार्वभौम | जयत्सेन | अराधिन | महाभौम | 81 अयुतायुस् | अक्रोधन | देवातिथि | ऋक्ष २ | भीमसेन | दिलीप | प्रतीप | शन्तनु | भीष्म | विचित्रवीर्य | धृतराष्ट्र | 94 पाण्डव | अभिमन्यु | परीक्षित | जनमेजय

अयोध्याकुल

1 मनु | इक्ष्वाकु | विकुक्षि-शशाद | कुकुत्स्थ | अनेनस् | पृथु | विष्टराश्व | आर्द्र | युवनाश्व | श्रावस्त | 11 बृहदश्व | कुवलाश्व | दृढाश्व | प्रमोद | हरयश्व | निकुम्भ | संहताश्व | अकृशाश्व | प्रसेनजित् | युवनाश्व २ | 21 मान्धातृ | पुरुकुत्स | त्रसदस्यु | सम्भूत | अनरण्य | त्रसदश्व | हरयाश्व २ | वसुमत | त्रिधनवन् | त्रय्यारुण | 32 सत्यव्रत | हरिश्चन्द्र | रोहित | हरित | विजय | रुरुक | वृक | बाहु | 41 सगर | असमञ्जस् | अंशुमन्त | दिलीप १ | भगीरथ | श्रुत | नाभाग | अम्बरीश | सिन्धुद्वीप | अयुतायुस् | 51 ऋतुपर्ण | सर्वकाम | सुदास | मित्रसह | अश्मक | मूलक | शतरथ | ऐडविड | विश्वसह १ | दिलीप २ | 61दीर्घबाहु | रघु | अज | दशरथ | 65 राम | कुश | अतिथि | निषध | नल | 71 नभस् | पुण्डरीक | क्षेमधन्वन् | देवानीक | अहीनगु | पारिपात्र | बल | उक्थ | वज्रनाभ | शङ्खन् | 81 व्युषिताश्व | विश्वसह २ | हिरण्याभ | पुष्य | ध्रुवसन्धि | सुदर्शन | अग्निवर्ण | शीघ्र | मरु | प्रसुश्रुत | 91 सुसन्धि | अमर्ष | विश्रुतवन्त् | 94 बृहद्बल | बृहत्क्षय

अन्य राजा

25 दिवोदास (काशी) | दुर्दम (हैहय) | 29 केकय (आनव) | गाधी (कान्यकुब्ज) | अर्जुन (हैहय) | विश्वामित्र (कान्यकुब्ज) | तालजङ्घ (हैहय) | प्रचेतस् (द्रुह्यु) | सुचेतस् (द्रुह्यु) | सुदेव (काशी) | 40 दिवोदास २ (काशी) | बलि (आनव)

कलियुग

महाभारत के आगे के काल के लिये देखियेः

स्रोत

  1. सुभाष काक, दि एस्ट्रोनोमिकल कोड आफ दि ऋग्वेद (ऋग्वेद का कूट-ज्योतिष), मुंशीराम मनोहारलाल, नई दिल्ली, २०००।