"चौरी चौरा कांड": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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==बाहरी कड़ियाँ== |
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*[http://chaurichaura.com/news/news.php?go=fullnews&id=174 चौरीचौरा कांड : ऐतिहासिक परिदृश्य में] |
*[http://chaurichaura.com/news/news.php?go=fullnews&id=174 चौरीचौरा कांड : ऐतिहासिक परिदृश्य में] |
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*[http://www.bhaskar.com/article/100126013959_movements_freedom_fighter.html इन आंदोलनों में शामिल लोग ही हैं स्वाधीनता सेनानी] |
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[[श्रेणी:भारत का स्वतंत्रता संग्राम]] |
[[श्रेणी:भारत का स्वतंत्रता संग्राम]] |
11:55, 6 नवम्बर 2010 का अवतरण
चौरी चौरा, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास का एक कस्बा है जहाँ 4 फ़रवरी 1922 को भारतीयों ने बिट्रिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे। इस घटना को चौरीचौरा काण्ड के नाम से जाना जाता है। इसके परिणामस्वरूप गांधीजी ने कहा था कि हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन उपयुक्त नहीं रह गया है और उसे वापस ले लिया था।