"ब्रह्माण्ड किरण": अवतरणों में अंतर

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ब्रह्माण्ड किरणे कई तरह की होती है। सौर ब्रह्माण्ड किरण ( solar cosmic ray ) सूर्य से निकलती है। इसकी ऊर्जा अन्य सभी ब्रह्माण्ड किरणो से कम होती है। सौर ज्वाला व सूर्य में होने वाले विस्फोट के फलस्वरुप इसकी उत्पत्ती होती है। दूसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण , गांगेय ब्रह्माण्ड किरण ( galactic cosmic ray ) है। इसकी ऊर्जा सौर ब्रह्माण्ड किरणो से अधिक होती है। खगोलविद समझते है कि इसकी उत्पत्ती सुपरनोवा विस्फोट , श्याम विवर और न्यूट्रॉन तारे से होती है जो हमारी ही आकाशगंगा में मौजुद है। परागांगेय ब्रह्माण्ड किरण ( extragalactic cosmic ray ) तीसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण है। वैज्ञानिको की धारणा है कि इनका स्त्रोत हमारी आकाशगंगा के बाहर है। वैज्ञानिक इस बारे में निश्चित नही है। इस किरण की ऊर्जा गांगेय ब्रह्माण्ड किरणो से ज्यादा होती है। इसकी उत्पत्ती क्वासर और सक्रिय आकाशगंगाओ कि केन्द्र से होती है।
ब्रह्माण्ड किरणे कई तरह की होती है। सौर ब्रह्माण्ड किरण ( solar cosmic ray ) सूर्य से निकलती है। इसकी ऊर्जा अन्य सभी ब्रह्माण्ड किरणो से कम होती है। सौर ज्वाला व सूर्य में होने वाले विस्फोट के फलस्वरुप इसकी उत्पत्ती होती है। दूसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण , गांगेय ब्रह्माण्ड किरण ( galactic cosmic ray ) है। इसकी ऊर्जा सौर ब्रह्माण्ड किरणो से अधिक होती है। खगोलविद समझते है कि इसकी उत्पत्ती सुपरनोवा विस्फोट , श्याम विवर और न्यूट्रॉन तारे से होती है जो हमारी ही आकाशगंगा में मौजुद है। परागांगेय ब्रह्माण्ड किरण ( extragalactic cosmic ray ) तीसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण है। वैज्ञानिको की धारणा है कि इनका स्त्रोत हमारी आकाशगंगा के बाहर है। वैज्ञानिक इस बारे में निश्चित नही है। इस किरण की ऊर्जा गांगेय ब्रह्माण्ड किरणो से ज्यादा होती है। इसकी उत्पत्ती क्वासर और सक्रिय आकाशगंगाओ कि केन्द्र से होती है।

ब्रह्माण्ड किरणे जब पृथ्वी के वायुमंडल से टकराती है तो वो गैसो के अणुऑ और परमाणुऑ को तोड़् देती है। इस प्रकार यह एक नये ब्रह्माण्ड किरण कण का निर्माण करती है। यह नया कण अन्य नये ब्रह्माण्ड किरण कणो को बनाती है और इस तरह ब्रह्माण्ड किरणे चारो ओर फैलती जाती है। निरंतर् नये ब्रह्माण्ड किरण कण बनाने की प्रक्रीया में इनकी ऊर्जा घटती जाती है। वायुमंडल में ब्रह्माण्ड किरणो और गैसो के बीच अनेको बार टक्करे होती रहती है और अंत में लाखो की संख्या में द्वितियक ब्रह्माण्ड किरणो का निर्माण होता है।


== बाहरी कड़ियाँ ==
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13:42, 10 सितंबर 2010 का अवतरण

ब्रह्माण्ड किरणें ( cosmic ray ) अत्यधिक उर्जा वाले कण हैं जो बाहरी अंतरिक्ष में पैदा होते हैं और छिटक कर पृथ्वी पर आ जाते हैं। लगभग ९०% ब्रह्माण्ड किरण (कण) प्रोटॉन होते हैं; लगभग १०% हिलियम के नाभिक होते हैं; तथा १% से कम ही भारी तत्व तथा एलेक्ट्रॉन (बीटा मिनस कण) होते हैं। वस्तुत: इनको "किरण" कहना ठीक नहीं है क्योंकि धरती पर पहुँचने वाले ब्रह्माण्डीय कण अकेले होते हैं न कि किसी पुंज या किरण के रूप में। ब्रह्माण्डीय किरण का उर्जा-स्पेक्ट्रम

ब्रह्माण्ड किरण की खोज ऑस्ट्रीयन-अमेरिकन भौतिकविद विक्टर हेस ने सन १९१२ में की थी। इस खोज के लिये उन्हे १९३६ में भौतिकी का नोबेल पुरष्कार दिया गया।

ब्रह्माण्ड किरणे कई तरह की होती है। सौर ब्रह्माण्ड किरण ( solar cosmic ray ) सूर्य से निकलती है। इसकी ऊर्जा अन्य सभी ब्रह्माण्ड किरणो से कम होती है। सौर ज्वाला व सूर्य में होने वाले विस्फोट के फलस्वरुप इसकी उत्पत्ती होती है। दूसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण , गांगेय ब्रह्माण्ड किरण ( galactic cosmic ray ) है। इसकी ऊर्जा सौर ब्रह्माण्ड किरणो से अधिक होती है। खगोलविद समझते है कि इसकी उत्पत्ती सुपरनोवा विस्फोट , श्याम विवर और न्यूट्रॉन तारे से होती है जो हमारी ही आकाशगंगा में मौजुद है। परागांगेय ब्रह्माण्ड किरण ( extragalactic cosmic ray ) तीसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण है। वैज्ञानिको की धारणा है कि इनका स्त्रोत हमारी आकाशगंगा के बाहर है। वैज्ञानिक इस बारे में निश्चित नही है। इस किरण की ऊर्जा गांगेय ब्रह्माण्ड किरणो से ज्यादा होती है। इसकी उत्पत्ती क्वासर और सक्रिय आकाशगंगाओ कि केन्द्र से होती है।

ब्रह्माण्ड किरणे जब पृथ्वी के वायुमंडल से टकराती है तो वो गैसो के अणुऑ और परमाणुऑ को तोड़् देती है। इस प्रकार यह एक नये ब्रह्माण्ड किरण कण का निर्माण करती है। यह नया कण अन्य नये ब्रह्माण्ड किरण कणो को बनाती है और इस तरह ब्रह्माण्ड किरणे चारो ओर फैलती जाती है। निरंतर् नये ब्रह्माण्ड किरण कण बनाने की प्रक्रीया में इनकी ऊर्जा घटती जाती है। वायुमंडल में ब्रह्माण्ड किरणो और गैसो के बीच अनेको बार टक्करे होती रहती है और अंत में लाखो की संख्या में द्वितियक ब्रह्माण्ड किरणो का निर्माण होता है।


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