"परमाणु जनदायित्व विधेयक": अवतरणों में अंतर

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10:31, 25 अगस्त 2010 का अवतरण

परमाणु जनदायित्व विधेयक यानी परमाणु दायित्व विधेयक परमाणु दुर्घटना की स्थिति में संबंधित पक्षों के दायित्व को निर्धारित करने वाला विधेयक है. 25 अगस्त को सरकार ने इस विधेयक को संसद में प्रस्तुत किया. 2008 के भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को लागू कराने की दिशा में इस विधेयक को अंतिम कदमों के रूप में देखा जा रहा है. ये विधेयक उन अमेरिकी कंपनियों के लिए आवश्यक है जो भारत में परमाणु सामाग्री या रिएक्टरों की आपूर्ति करेंगे. परमाणु दुर्घटना की स्थिति में उन कंपनियों को अमेरिका में बीमा का भुगतान मिल सके, इसके लिए ये कानून आवश्यक है. इस विधेयक के कानून बनने के बाद भारत उन देशों की कतार में शामिल हो जाएगा, जिनके पास ये कानून है.

इस विधेयक को लेकर सरकार को विपक्ष की ओर से भारी प्रतिरोधों का सामना करना पड़ा. विधेयक के कई अंशों पर विपक्ष को आपत्ति रही. वामदलों ने तो विधेयक को असंवैधानिक और जनविरोधी करार दिया. विपक्ष का कहना है कि सरकार ने अमेरिका के दबाव में इस विधेयक को तैयार किया. इस विधेयक में परमाणु या नाभिकीय संयंत्र संचालक द्वारा दुर्घटना की स्थिति में दिए जाने वाले अधिकतम मुआवजे को पांच सौ करोड़ रुपये रखा गया है.

इस विधेयक के लिए नाभिकीय ऊर्जा अधिनियम-1962 को संशोधित करना पड़ेगा. भोपाल गैस त्रासदी को देखते हुए औद्योगिक दुर्घटना को भारत में संवेदनशील मुद्दा माना जा रहा है, जिसमें पच्चीस हजार से भी ज्यादा लोग मारे गए थे, इसे विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी माना जाता है.