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'''पेट्रोलियम''' या '''भूतैल''' एक अत्यधिक उपयोगी पदार्थ हैं, जिसका उपयोग देनिक जीवन में बहुत अधिक होता हैं । पेट्रोलियम वास्तव में हाईड्रोकार्बनों का मिश्रण होता है । इसका निर्माण भी कोयले की तरह वनस्पतियों के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालांतर में उनके उपर उच्च दाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ । प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पेट्रोलियम को अपरिष्कृत तेल (Crude Oil) कहते हैं जो काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है । इसके [[प्रभाजी आसवन]] (फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन) से [[केरोसिन]], [[पेट्रोल]], [[डीज़ल]], [[प्राकृतिक गैस]], [[वेसलीन]], ल्यूब्रिकेंट तेल इत्यादि प्राप्त होते हैं ।
'''पेट्रोलियम''' या '''भूतैल''' एक अत्यधिक उपयोगी पदार्थ हैं, जिसका उपयोग देनिक जीवन में बहुत अधिक होता हैं । पेट्रोलियम वास्तव में हाईड्रोकार्बनों का मिश्रण होता है । इसका निर्माण भी कोयले की तरह वनस्पतियों के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालांतर में उनके उपर उच्च दाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ । प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पेट्रोलियम को अपरिष्कृत तेल (Crude Oil) कहते हैं जो काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है । इसके [[प्रभाजी आसवन]] (फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन) से [[केरोसिन]], [[पेट्रोल]], [[डीज़ल]], [[प्राकृतिक गैस]], [[वेसलीन]], ल्यूब्रिकेंट तेल इत्यादि प्राप्त होते हैं ।


दरअसल जब तेल के भंडार पृथ्वी पर कहीं ढूंढे जाते हैं, तब यह गाढ़े काले रंग का होता है। जिसे क्रूड ऑयल कहा जाता है और इसमें [[हाइड्रोकार्बनों]] की बहुलता होती है। हाइड्रोकार्बन्स की खासियत यह होती है कि इनमें मौजूद हाइड्रोजन और कार्बन के अणु एक दूसरे से विभिन्न श्रृंखलाओं में बंधे होते हैं। ये श्रृंखलाएं तरह-तरह की होती हैं। यही श्रृंखलाएं विभिन्न प्रकार के तेल उत्पादों का स्रोत होती हैं। इनकी सबसे छोटी श्रृंखला मिथेन नामक प्रोडक्ट का आधार बनती है। इनमें लंबी श्रृंखलाओं वाले हाइड्रोकार्बन्स ठोस जैसे कि मोम या टार नामक प्रोडक्ट का निर्माण करते हैं।
दरअसल जब तेल के भंडार पृथ्वी पर कहीं ढूंढे जाते हैं, तब यह गाढ़े काले रंग का होता है। जिसे क्रूड ऑयल कहा जाता है और इसमें [[हाइड्रोकार्बनों]] की बहुलता होती है। हाइड्रोकार्बन्स की खासियत यह होती है कि इनमें मौजूद हाइड्रोजन और कार्बन के अणु एक दूसरे से विभिन्न श्रृंखलाओं में बंधे होते हैं। ये श्रृंखलाएं तरह-तरह की होती हैं। यही श्रृंखलाएं विभिन्न प्रकार के तेल उत्पादों का स्रोत होती हैं। इनकी सबसे छोटी श्रृंखला मिथेन नामक प्रोडक्ट का आधार बनती है। इनमें लंबी श्रृंखलाओं वाले हाइड्रोकार्बन्स ठोस जैसे कि मोम या टार नामक प्रोडक्ट का निर्माण करते हैं।
[[चित्र:Schemat wydobywania ropy naftowej.svg|right|thumb|250px|सछिद्र चट्टान (4) में पेट्रोलियम स्थित है।]]
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जब पृथ्वी से तेल खोद कर निकाला जाता है उस वक्त क्रूड ऑयल ठोस रूप में होता है। इससे तेल के विभिन्न रूप पाने के लिए क्रूड ऑयल में मौजूद हाइड्रोकार्बन के विभिन्न चेन को अलग करना पड़ता है। हाइड्रोकार्बन के विभिन्न चेनों को अलग करने की प्रक्रिया केमिकली क्रांस लिंकिंग हाइड्रोकार्बन कहलाती है। जिसे हम शोधन प्रक्रिया के नाम से जानते हैं। यह शोधन प्रक्रिया रिफाइनरीज में होती है। एक तरह से यह शोधन बेहद आसान भी होता है और मुश्किल भी। यह सरल तब होता है जब क्रूड ऑयल में पाए जाने वाले हाइड्रोकार्बन्स के बारे में पता हो और मुश्किल तब जब इसकी जानकारी नहीं होती है। दरअसल हर प्रकार के हाइड्रोकार्बन्स का बॉइलिंग पॉइंट यानी जिस पर शोधन के लिए वह वाष्पीकृत हो सके, अलग-अलग होता है इस तरह डिfस्टलेशन की प्रक्रिया से उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। ऑयल रिफाइनरी की पूरी प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है।
जब पृथ्वी से तेल खोद कर निकाला जाता है उस वक्त क्रूड ऑयल ठोस रूप में होता है। इससे तेल के विभिन्न रूप पाने के लिए क्रूड ऑयल में मौजूद हाइड्रोकार्बन के विभिन्न चेन को अलग करना पड़ता है। हाइड्रोकार्बन के विभिन्न चेनों को अलग करने की प्रक्रिया केमिकली क्रांस लिंकिंग हाइड्रोकार्बन कहलाती है। जिसे हम शोधन प्रक्रिया के नाम से जानते हैं। यह शोधन प्रक्रिया रिफाइनरीज में होती है। एक तरह से यह शोधन बेहद आसान भी होता है और मुश्किल भी। यह सरल तब होता है जब क्रूड ऑयल में पाए जाने वाले हाइड्रोकार्बन्स के बारे में पता हो और मुश्किल तब जब इसकी जानकारी नहीं होती है। दरअसल हर प्रकार के हाइड्रोकार्बन्स का बॉइलिंग पॉइंट यानी जिस पर शोधन के लिए वह वाष्पीकृत हो सके, अलग-अलग होता है इस तरह डिfस्टलेशन की प्रक्रिया से उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। ऑयल रिफाइनरी की पूरी प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है।



12:32, 22 अगस्त 2010 का अवतरण

बिना साफ किया पेट्रोलियम (क्रूड आयल)

पेट्रोलियम या भूतैल एक अत्यधिक उपयोगी पदार्थ हैं, जिसका उपयोग देनिक जीवन में बहुत अधिक होता हैं । पेट्रोलियम वास्तव में हाईड्रोकार्बनों का मिश्रण होता है । इसका निर्माण भी कोयले की तरह वनस्पतियों के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालांतर में उनके उपर उच्च दाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ । प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पेट्रोलियम को अपरिष्कृत तेल (Crude Oil) कहते हैं जो काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है । इसके प्रभाजी आसवन (फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन) से केरोसिन, पेट्रोल, डीज़ल, प्राकृतिक गैस, वेसलीन, ल्यूब्रिकेंट तेल इत्यादि प्राप्त होते हैं ।

दरअसल जब तेल के भंडार पृथ्वी पर कहीं ढूंढे जाते हैं, तब यह गाढ़े काले रंग का होता है। जिसे क्रूड ऑयल कहा जाता है और इसमें हाइड्रोकार्बनों की बहुलता होती है। हाइड्रोकार्बन्स की खासियत यह होती है कि इनमें मौजूद हाइड्रोजन और कार्बन के अणु एक दूसरे से विभिन्न श्रृंखलाओं में बंधे होते हैं। ये श्रृंखलाएं तरह-तरह की होती हैं। यही श्रृंखलाएं विभिन्न प्रकार के तेल उत्पादों का स्रोत होती हैं। इनकी सबसे छोटी श्रृंखला मिथेन नामक प्रोडक्ट का आधार बनती है। इनमें लंबी श्रृंखलाओं वाले हाइड्रोकार्बन्स ठोस जैसे कि मोम या टार नामक प्रोडक्ट का निर्माण करते हैं।

सछिद्र चट्टान (4) में पेट्रोलियम स्थित है।

जब पृथ्वी से तेल खोद कर निकाला जाता है उस वक्त क्रूड ऑयल ठोस रूप में होता है। इससे तेल के विभिन्न रूप पाने के लिए क्रूड ऑयल में मौजूद हाइड्रोकार्बन के विभिन्न चेन को अलग करना पड़ता है। हाइड्रोकार्बन के विभिन्न चेनों को अलग करने की प्रक्रिया केमिकली क्रांस लिंकिंग हाइड्रोकार्बन कहलाती है। जिसे हम शोधन प्रक्रिया के नाम से जानते हैं। यह शोधन प्रक्रिया रिफाइनरीज में होती है। एक तरह से यह शोधन बेहद आसान भी होता है और मुश्किल भी। यह सरल तब होता है जब क्रूड ऑयल में पाए जाने वाले हाइड्रोकार्बन्स के बारे में पता हो और मुश्किल तब जब इसकी जानकारी नहीं होती है। दरअसल हर प्रकार के हाइड्रोकार्बन्स का बॉइलिंग पॉइंट यानी जिस पर शोधन के लिए वह वाष्पीकृत हो सके, अलग-अलग होता है इस तरह डिfस्टलेशन की प्रक्रिया से उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। ऑयल रिफाइनरी की पूरी प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है।

दरअसल क्रूड ऑयल को अलग-अलग तापमान पर गर्म करके वाष्प एकत्रित करके तथा उसे दोबारा संघनित करके हाइड्रोकार्बन की अलग-अलग चेन निकाल ली जाती हैं। ऑयल रिफाइनरी में शोधन का यह सबसे सामान्य और पुराना तरीका है। बॉइलिंग टेंपरेचर का उपयोग करने वाली इस विधि को फ्रैक्शन डिस्टिलेशन कहते हैं। डिस्टिलेशन का एक तरीका यह भी होता है कि हाइड्रोकार्बन की एक लंबी चेन को जैसे का तैसा निकाल लेने के बजाए उसे छोटी-छोटी चेन्स में तोड़कर निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया को केमिकल प्रॉसेसिंग कहते हैं। तो बच्चे अब आप समझ गए होंगे कि पेट्रोल और कैरोसिन के अलावा दूसरे ईंधन कैसे बनते हैं। इस सारी प्रक्रिया में ऑयल रिफाइनरी की अहम भूमिका हो

पेट्रोलियम का विश्व वितरण

यह भी देखें