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[[भारत]] में बोलशेविक पार्टी की स्थापना वर्तमान शती के पाँचवें दशक में कुछ मार्क्सवादी-लेनिनवादी तत्वों ने की थी। इसके संस्थापक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से विलग होनेवाले लोग थे। सहकारी खेती, पूर्ण नागरिक आजादी, मुफ्त शिक्षा, विदेशी पूँजी की जब्ती, बुनियादी उद्योगों - बैंक और बीमा - का राष्ट्रीयकरण, समाजवादी देशों से विशेष संबंध और व्यापार, भारत पाक एकता और राष्ट्रमंडल से संबंध विच्छेद पार्टी की नीति के अंग हैं। पार्टीं आरंभ से बंगाल में ही सीमित रही और अब तो इसका अस्तित्व केवल कलकत्ता नगर में ही सिमटकर रह गया है।
[[भारत]] में बोलशेविक पार्टी की स्थापना वर्तमान शती के पाँचवें दशक में कुछ मार्क्सवादी-लेनिनवादी तत्वों ने की थी। इसके संस्थापक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से विलग होनेवाले लोग थे। सहकारी खेती, पूर्ण नागरिक आजादी, मुफ्त शिक्षा, विदेशी पूँजी की जब्ती, बुनियादी उद्योगों - बैंक और बीमा - का राष्ट्रीयकरण, समाजवादी देशों से विशेष संबंध और व्यापार, भारत पाक एकता और राष्ट्रमंडल से संबंध विच्छेद पार्टी की नीति के अंग हैं। पार्टीं आरंभ से बंगाल में ही सीमित रही और अब तो इसका अस्तित्व केवल कलकत्ता नगर में ही सिमटकर रह गया है।


==बाहरी कड़ियाँ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
*[http://www.marxist.com/bolshevism/ Bolshevism, the Road to Revolution], by [[Alan Woods]]
* [http://www.marxist.com/bolshevism/ Bolshevism, the Road to Revolution], by [[Alan Woods]]
*[http://www.datesofhistory.com/Bolshevik-Party-Russia.general.html Chronology of the Bolshevik Party World History Database]
* [http://www.datesofhistory.com/Bolshevik-Party-Russia.general.html Chronology of the Bolshevik Party World History Database]
*[http://libcom.org/library/the-bolsheviks-and-workers-control-solidarity-group The Bolsheviks and Workers Control], by [[Maurice Brinton]]
* [http://libcom.org/library/the-bolsheviks-and-workers-control-solidarity-group The Bolsheviks and Workers Control], by [[Maurice Brinton]]
*{{Gutenberg | no=17350 | name=The Practice and Theory of Bolshevism}} by [[Bertrand Russell]], November 1920
* {{Gutenberg | no=17350 | name=The Practice and Theory of Bolshevism}} by [[Bertrand Russell]], November 1920
*[http://www.marxists.org/history/archive/bobrovskaya/twenty-years/ Twenty Years in Underground Russia: Memoirs of a Rank-and-File Bolshevik], by [[Cecilia Bobrovskaya]]
* [http://www.marxists.org/history/archive/bobrovskaya/twenty-years/ Twenty Years in Underground Russia: Memoirs of a Rank-and-File Bolshevik], by [[Cecilia Bobrovskaya]]


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19:49, 2 अगस्त 2010 का अवतरण

रूसी सोशल डेमाक्रेटिक लेबर पार्टी का वह पक्ष बोलशेविक पार्टी कहलाया, जो दूसरे पक्ष से अपेक्षाकृत अधिक उग्र था और बुर्जुआवर्ग के विरुद्ध सीधी क्रांति में विश्वास रखता था। 1898 में नौ मार्क्सवादियों ने मिंस्क में रूसी सोशल डेमॉक्रेटिक पार्टी की स्थापना की थी। वस्तुत: रूस में मार्क्सवादी आंदोलन की श्रृंखला "श्रमिक-मुक्ति-संघर्ष-संघ" (यूनिअन फ़ॉर द स्ट्रगल फ़ॉर इमैंसिपेशन ऑव लेबर) की स्थापना के साथ 1883 में आरंभ हो गई थी। इस संगठन का प्राथमिक लक्ष्य औद्योगिक श्रमिकों में मार्क्स और एंजेल्स के दर्शन का प्रचार करना था। 1890 के पश्चात् रूस के प्राय: सभी मुख्य औद्योगिक केंद्रों - मास्को, कीएव और एकातिरीनोस्लाव - में इस क्रांतिकारी आंदोलन की जड़ें गहराई से पैठ गई। शु डिग्री से ही इस आंदोलन को सुधारवादी अर्थशास्त्रियों और ऐसे पक्षों से संघर्ष करना पड़ा जो (1) श्रमिक आंदोलन का आर्थिक समाधान तक ही सीमित रखना चाहते थे और (2) तत्कालीन उदारवादी बुर्जुआ आंदोलन से समझौता कर लेना चाहते थे।

20वीं सदी के आरंभ में निकोलाई लेनिन, जो सोशल डिमॉक्रेटिक लेबर पार्टी का सर्वाधिक प्रभावशाली नेता था, पार्टी के मुखपत्र इस्क्रा (चिनगारी) का प्रधान संपादक था। पार्टी के द्वितीय अधिवेशन (ब्रूसेल्स और लंदन, जुलाई-अगस्त, 1903) में सदस्यों में फूट पड़ गई और उसके दो भाग बोलशिंस्त्वो बहुमत और मेनशिंस्त्वों (अल्पमत) हो गए। बाद में दोनों बोलशेविक और मेनशेविक कहलाए, जिनका नेतृत्व क्रमश: लेनिन और मार्तोव कर रहे थे। इस समय ट्राट्स्की बड़े ढीले-ढाले तरीके से मेनशेविकों से जुड़ा हुआ था। 1903 की फूट नीति के प्रश्न पर नहीं, अपितु संगठन के प्रश्न पर हुई थी। बाद में दोनों के बीच प्रक्रियात्मक मतभेद भी पनपे। फिर भी, फूट के बावजूद दोनों पक्ष सोशल डेमॉक्रेटिक लेबर पार्टी के अधिवेशनों में भाग लेते रहे। पार्टी के प्राग अधिवेशन (1918) में बोलशेविकों ने एक निर्णयात्मक कदम उठाकर मेनशेविकों को पार्टी से निकाल दिया। बोलशेविकों ने बुर्जुआ वर्ग के विरुद्ध सीधे संघर्ष और सर्वहारा के अधिनायकवाद का नारा दिया था। दूसरी ओर मेनशेविक क्रमिक परिवर्तन और संसदीय तथा संवैधानिक पद्धतियों द्वारा जार की एकशाही समाप्त करने के पक्षपाती थे। मार्च, 1917 में बोलशेविक पार्टी ने अपना संघर्ष छेड़ने की अंतिम घोषणा कर दी। संपूर्ण क्रांति (नवंबर, 1917) के बाद बोलशेविक पार्टी का नाम कम्युनिस्ट पार्टी हो गया और उसके बाद के रूस का इतिहास ही पार्टी का इतिहास है।

भारत में बोलशेविक पार्टी की स्थापना वर्तमान शती के पाँचवें दशक में कुछ मार्क्सवादी-लेनिनवादी तत्वों ने की थी। इसके संस्थापक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से विलग होनेवाले लोग थे। सहकारी खेती, पूर्ण नागरिक आजादी, मुफ्त शिक्षा, विदेशी पूँजी की जब्ती, बुनियादी उद्योगों - बैंक और बीमा - का राष्ट्रीयकरण, समाजवादी देशों से विशेष संबंध और व्यापार, भारत पाक एकता और राष्ट्रमंडल से संबंध विच्छेद पार्टी की नीति के अंग हैं। पार्टीं आरंभ से बंगाल में ही सीमित रही और अब तो इसका अस्तित्व केवल कलकत्ता नगर में ही सिमटकर रह गया है।

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