"लाक्षागृह": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
[[श्रेणी:हिंदू धर्म]] |
[[श्रेणी:हिंदू धर्म]] |
||
[[श्रेणी:धर्म ग्रंथ]] |
[[श्रेणी:धर्म ग्रंथ]] |
||
[[श्रेणी:पौराणिक कथाएँ |
[[श्रेणी:पौराणिक कथाएँ]] |
00:29, 22 जुलाई 2010 का अवतरण
लाक्षागृह का वर्णन महाभारत में आता है। यह एक भवन था जिसे दुर्योधन ने पांडवों के विरुद्ध एक षड्यंत्र के तहत उनके ठहरने के लिए बनाया था। इसे लाख से निर्मित किया गया था ताकि पांडव जब इस घर में रहने आएं तो चुपके से इसमें आग लगा कर उन्हें मारा जा सके। यह वार्णावत (वर्तमान बरनावा) नामक स्थान में बनाया गया था। पर पांडवों को यह बात पता चल गई थी। वे सकुशल इस भवन से बच निकले थे।
लाक्षागृह के भस्म होने का समाचार जब हस्तिनापुर पहुँचा तो पाण्डवों को मरा समझ कर वहाँ की प्रजा अत्यन्त दुःखी हुई। दुर्योधन और धृतराष्ट्र सहित सभी कौरवों ने भी शोक मनाने का दिखावा किया और अन्त में उन्होंने पाण्डवों की अन्त्येष्टि करवा दी।
इन्हें भी देखें
स्रोत
सुखसागर के सौजन्य से