"पृथ्वी नारायण शाह": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
छो साँचा {{आधार}}
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{आधार}}

पृथ्वी नारायण शाह [[नेपाल]] के अन्दर का एक छोटा सा राज्य गोरखाके राजा नरभुपाल शाह व रानी कौसल्यावती के बेटे थे। यिनका जन्म बि सं १७७९ मे हुइथी, ए बिस साल के उमरमे बि सं १७९९ मे गोरखाके राज सिँहासनपे बैठे थे । पृथ्वी नारायण शाह आधुनीक नेपालके जन्मदाता थे उन्होने ही नेपालका एकिकरण अभियान शुरूकीया था ।
पृथ्वी नारायण शाह [[नेपाल]] के अन्दर का एक छोटा सा राज्य गोरखाके राजा नरभुपाल शाह व रानी कौसल्यावती के बेटे थे। यिनका जन्म बि सं १७७९ मे हुइथी, ए बिस साल के उमरमे बि सं १७९९ मे गोरखाके राज सिँहासनपे बैठे थे । पृथ्वी नारायण शाह आधुनीक नेपालके जन्मदाता थे उन्होने ही नेपालका एकिकरण अभियान शुरूकीया था ।



02:14, 16 जुलाई 2010 का अवतरण

पृथ्वी नारायण शाह नेपाल के अन्दर का एक छोटा सा राज्य गोरखाके राजा नरभुपाल शाह व रानी कौसल्यावती के बेटे थे। यिनका जन्म बि सं १७७९ मे हुइथी, ए बिस साल के उमरमे बि सं १७९९ मे गोरखाके राज सिँहासनपे बैठे थे । पृथ्वी नारायण शाह आधुनीक नेपालके जन्मदाता थे उन्होने ही नेपालका एकिकरण अभियान शुरूकीया था ।

पृथ्वी नरायण शाह से पहले भि इतिहास के विभिन्न कालखण्डमे नेपाल एकि करण हुवा था । जैसे यक्ष मल्ल, मणी मुकुन्द सेन, व जुम्लाके जितरी मल्लके वक्तमे । लेकीन पहले ए राजाऔने एकीकरण के बाद नेपालका हिस्स अपने बेटोमे बाँट दिया था लेकीन पृथ्वी नारायण शाह ने उसे फिर से बाटने नही दिया एक एकीकृत राष्ट्रके रूपमे इसे बचाए रखा और विश्तारीत करते रहे लेकी ५२ वर्षके अल्पायुमे यिनकी स्वर्गारोहण होनेके बजहसे नेपाल का एकिकरण ए पुरा नही करपाए बादमे यिनके बेटे बाहदुर शाहने, बहु राजेन्द्र लक्ष्मी ने एकिकरण अभियानको बढावा दिया लेकीन यिनके परपोते गृवाण युद्ध विक्रमके वक्त मे हुवा नेपाल अंग्रेज युद्ध से नेपल अपना सार्भभौमीकता का तो रक्षा कर सका लेकी बहुत बडा नेपालके हिस्सेका जमीन ब्रिटिस इस्ट इण्डिया कम्पनि सरकारको देना पडा ।

बिशाल नेपाल हालका उतरान्चल प्रदेश, हिमान्चल प्रदेश व पन्जावके छोटे छोटे रजवाडे तक पस्चिम मे विस्तारीत था उसी तरह पुर्वमे सिक्किम ,दार्जिलिङ, से लेकर टिष्टा नदी तकका भुभाग जिस्का क्षेत्रफल ३,३४२५० वर्ग कि मी था।उसी सन्धी के बाद नेपाल पुर्वमे मेची नदी से पस्चिममे काली नदी मे सिमटके रहगया हँ एक दुसरी बात अंग्रेजो ने नेपालका मेची से राप्ती तक का तराइ भुमी १८२२ मे व राप्ती से माहाकाली तक की तराइ भुमी १८६० मे नेपाल सरकारको लौटाया ।