"प्रोटेस्टेंट संप्रदाय": अवतरणों में अंतर
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20:55, 14 जून 2010 का अवतरण
प्रोटेस्टैंट ईसाई धर्म की एक शाखा है। इसका उदय सोलहवीं शताब्दी में प्रोटेस्टैंट सुधारवादी आन्दोलन के फलस्वरूप हुआ। यह धर्म रोमन कैथोलिक धर्म का घोर विरोधी है। इसकी प्रमुख मान्यता यह है कि धर्मशास्त्र (बाइबल) ही उद्घाटित सत्य (revealed truth.) का असली स्रोत है न कि परम्पराएं आदि। प्रोटेस्टैंट के विषय में यह प्राय: सुनने में आता है कि वह असंख्य संप्रदायों में विभक्त है किंतु वास्तव में समस्त प्रोटेस्टैंट के 94 प्रतिशत पाँच ही संप्रदायों में सम्मिलित हैं, अर्थात: लूथरन, कैलविनिस्ट, एंग्लिकन, बैप्टिस्ट और मेथोडिस्ट।
लुथरन
16वीं शताब्दी के प्रारंभ में लूथर के विद्रोह के फलस्वरूप प्रोटेस्टैंट शाखा का प्रादुर्भाव हुआ था । लूथर के अनुयायी लूथरन कहलाते हैं; प्रोटेस्टैंट धर्मावलंबियों में उनकी संख्या सर्वाधिक है ।
कैलविनिस्ट
जोहन कैलविन (1509-1564 ई.) फ्रांस के निवसी थे। सन 1532 ई. में प्रोटेस्टैंट बनकर वह स्विट्जरलैंड में बस गए जहाँ उन्होंने लूथर के सिद्धांतों के विकास तथा प्रोटेस्टैंट धर्म के संगठन के कार्य में असाधारण प्रतिभा प्रदर्शित की। बाइबिल के पूर्वार्ध को अपेक्षाकृत अधिक महत्व देने के अतिरिक्त उनकी शिक्षा की सबसे बड़ी विशेषता है, उनका पूर्वविधान (प्रीडेस्टिनेशन) नामक सिद्धांत। इस सिद्धांत के अनुसार ईश्वर ने अनादि काल से मनुष्यों को दो वर्गों में विभक्त किया है, एक वर्ग मुक्ति पाता है और दूसरा नरक जाता है । कैलविन के अनुयायी कैलविनिस्ट कहलाते हैं, वे विशेष रूप से स्विट्जरलैंड, हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, स्कॉटलैंड , फ्रांस तथा अमेरिका में पाए जाते हैं, उनकी संख्या लगभग पाँच करोड़ है। ये सब समुदाय एक वर्ल्ड प्रेसविटरीय एलाइंस (World Presbyterian Alliance) के सदस्य हैं, जिसका केंद्र जेनोवा में है।
एंग्लिकन
हेनरी सप्तम के राज्यकाल में इंग्लैंड का ईसाई चर्च रोम से अलग होकर चर्च ऑव इंग्लैंड और बाद में एंग्लिकन चर्च कहलाने लगा। एंग्लिकन राजधर्म के विरोध में 16वीं शताब्दी में प्यूरिटनवाद तथा कांग्रगैशनैलिज़्म का प्रादुर्भाव हुआ।
सोसाइटी ऑव फ्रेंड्स
17वीं शती के मध्य में जार्ज फॉक्स (George Fox) ने "सोसाइटी ऑव फ्रेंड्स" की स्थापना की थी, जो क्वेकर्स (Quakers) के नाम से विख्यात है। वे लोग पौरोहित्य तथा पूजा का कोई अनुष्ठान नहीं मानते और अपनी प्रार्थनासभाओं में मौन रहकर आभ्यंतर ज्योति के प्रादुर्भाव की प्रतीक्षा करते हैं। इंग्लैंड में अत्याचार सहकर वे अमरीका में बस गए। आजकल उनकी संख्या दो लाख से कुछ कम है।
चर्च ऑव जीसस क्राइस्ट ऑव दि लैट्टर डेस
सन् 1830 ई. में यूसुफ स्मिथ ने अमरीका में "चर्च ऑव जीसस क्राइस्ट ऑव दि लैट्टर डेस" की स्थापना की। उस संप्रदाय में स्मिथ द्वारा रचित "बुक ऑव मोरमन" बाइबिल के बराबर माना जाता है, इससे इसके अनुयायी मोरमंस (Mormons) कहलाते हैं। वे मदिरा, तंबाकू, काफी तथा चाय से परहेज करते हैं। प्रारंभ में वे बहुविवाह भी मानते थे किंतु बाद में उन्होंने उस प्रथा को बंद कर दिया। यंग (Young) के नेतृत्व में उन्होंने ऊता स्टेट का बसाया जिसकी राजधानी साल्ट सिटी (Salt City) इस संप्रदाय का मुख्य केंद्र है। मोरमंस की कुल संख्या लगभग अठारह लाख है।
क्रिस्टियन साइंस
मेरी बेकर एड्डी ने (सन् 1821-1911 ई.) ईसा को एक आध्यात्मिक चिकित्सक के रूप में देखा। उनका मुख्य सिद्धांत यह है कि पाप तथा बीमारी हमारी इंद्रियों की माया ही है, जिसे मानसिक चिकित्सा (Mind Cure) द्वारा दूर किया जा सकता है। उन्होंने क्रिस्टियन साइंस नामक संप्रदाय की स्थापना की जिसका अमरीका में आजकल भी काफी प्रभाव है।
पेंतकोस्तल
पेंतकोस्तल नामक अनेक संप्रदाय 20वीं शताब्दी में प्रारंभ हुए हैं। कुल मिलाकर उनकी सदस्यता लगभग एक करोड़ बताई जाती है। पेंतकोस्त पर्व के नाम पर उन संप्रदायों का नाम रखा गया है । भावुकता तथा पवित्र आत्मा के वरदानों का महत्व उन संप्रदायों की प्रधान विशेषता है।
वाह्य सूत्र
समर्थक
- "Is Sola Scriptura a Protestant Concoction?" by Greg Bahnsen
- "Why Protestants Still Protest" by Peter J. Leithart from First Things
समालोचक
- Catholic websites on sola scriptura
- "Protestantism" from the 1917 Catholic Encyclopedia
- "Why Only Catholicism Can Make Protestantism Work" by Mark Brumley