"आदिपर्व": अवतरणों में अंतर

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आदि पर्व के अन्तर्गत कुल उन्नीस (उप) पर्व और 233 अध्याय हैं। इन 19 (उप) पर्वों के नाम हैं-
v==आदि पर्व /Adi Parv==
आदि पर्व के अन्तर्गत कुल उन्नीस (उप) पर्व और 233 अध्याय हैं। इन 19 (उप) पर्वों के नाम हैं-<br />
*अनुक्रमणिका पर्व,

*पर्वसंग्रह पर्व,

अनुक्रमणिका पर्व,
*पौष्य पर्व,
पर्वसंग्रह पर्व,
*पौलोम पर्व,
पौष्य पर्व,
*आस्तीक पर्व,
पौलोम पर्व,
* अंशावतार पर्व,
आस्तीक पर्व,
*सम्भाव पर्व,
अंशावतार पर्व,
*जतुगृह पर्व,
सम्भाव पर्व,
*हिडिम्बवध पर्व,
जतुगृह पर्व,
*बकवध पर्व,
हिडिम्बवध पर्व,
*चैत्ररथ पर्व,
बकवध पर्व,
*स्वयंवर पर्व,
चैत्ररथ पर्व,
*वैवाहिक पर्व,
*विदुरागमनराज्यलम्भ पर्व,
स्वयंवर पर्व,
वैवाहिक पर्व,
*अर्जुनवनवास पर्व,
विदुरागमनराज्यलम्भ पर्व,
*सुभद्राहरण पर्व,
अर्जुनवनवास पर्व,
*हरणाहरण पर्व,
सुभद्राहरण पर्व,
*खाण्डवदाह पर्व,
*मयदर्शन पर्व।
हरणाहरण पर्व,
आदि पर्व की संक्षिप्त कथा इस प्रकार है- जैसा कि नाम से ही विदित होता है, यह [[महाभारत]] जैसे विशाल ग्रन्थ की मूल प्रस्तावना है। प्रारम्भ में महाभारत के पर्वों और उनके विषयों का संक्षिप्त संग्रह है। कथा-प्रवेश के बाद [[च्यवन]] का जन्म, पुलोमा दानव का भस्म होना, [[जनमेजय]] के सर्पसत्र की सूचना, नागों का वंश, कद्रू और विनता की कथा, [[देवता|देवों]]-दानवों द्वारा [[समुद्र मंथन]], [[परीक्षित]] का आख्यान, सर्पसत्र, राजा उपरिचर का वृत्तान्त, [[व्यास]] आदि की उत्पत्ति, [[दुष्यन्त]]-[[शकुन्तला]] की कथा, [[पुरूरवा]], [[नहुष]] और [[ययाति]] के चरित्र का वर्णन, [[भीष्म]] का जन्म और [[कौरव|कौरवों]]-[[पाण्डव|पाण्डवों]] की उत्पत्ति, [[कर्ण]]-[[द्रोण]] आदि का वृत्तान्त, [[द्रुपद]] की कथा, [[लाक्षागृह]] का वृत्तान्त, [[हिडिम्ब]] का वध और [[हिडिम्बा]] का विवाह, [[बकासुर]] का वध, [[धृष्टद्युम्न]] और [[द्रौपदी]] की उत्पत्ति, द्रौपदी-स्वयंवर और विवाह, पाण्डव का [[हस्तिनापुर]] में आगमन, सुन्द-उपसुन्द की कथा, नियम भंग के कारण [[अर्जुन]] का वनवास, [[सुभद्रा]]हरण और विवाह, [[खांडव वन|खाण्डव]]-दहन और मयासुर रक्षण की कथा वर्णित है।
खाण्डवदाह पर्व,
मयदर्शन पर्व।
आदि पर्व की संक्षिप्त कथा इस प्रकार है- जैसा कि नाम से ही विदित होता है, यह महाभारत जैसे विशाल ग्रन्थ की मूल प्रस्तावना है। प्रारम्भ में महाभारत के पर्वों और उनके विषयों का संक्षिप्त संग्रह है। कथा-प्रवेश के बाद च्यवन का जन्म, पुलोमा दानव का भस्म होना, जनमेजय के सर्पसत्र की सूचना, नागों का वंश, कद्रू और विनता की कथा, देवों-दानवों द्वारा समुद्र मंथन, परीक्षित का आख्यान, सर्पसत्र, राजा उपरिचर का वृत्तान्त, व्यास आदि की उत्पत्ति, दुष्यन्त-शकुन्तला की कथा, पुरूरवा, नहुष और ययाति के चरित्र का वर्णन, भीष्म का जन्म और कौरवों-पाण्डवों की उत्पत्ति, कर्ण-द्रोण आदि का वृत्तान्त, द्रुपद की कथा, लाक्षागृह का वृत्तान्त, हिडिम्ब का वध और हिडिम्बा का विवाह, बकासुर का वध, धृष्टद्युम्न और द्रौपदी की उत्पत्ति, द्रौपदी-स्वयंवर और विवाह, पाण्डव का हस्तिनापुर में आगमन, सुन्द-उपसुन्द की कथा, नियम भंग के कारण अर्जुन का वनवास, सुभद्राहरण और विवाह, खाण्डव-दहन और मयासुर रक्षण की कथा वर्णित है।

10:00, 5 अप्रैल 2010 का अवतरण

v==आदि पर्व /Adi Parv== आदि पर्व के अन्तर्गत कुल उन्नीस (उप) पर्व और 233 अध्याय हैं। इन 19 (उप) पर्वों के नाम हैं-

  • अनुक्रमणिका पर्व,
  • पर्वसंग्रह पर्व,
  • पौष्य पर्व,
  • पौलोम पर्व,
  • आस्तीक पर्व,
  • अंशावतार पर्व,
  • सम्भाव पर्व,
  • जतुगृह पर्व,
  • हिडिम्बवध पर्व,
  • बकवध पर्व,
  • चैत्ररथ पर्व,
  • स्वयंवर पर्व,
  • वैवाहिक पर्व,
  • विदुरागमनराज्यलम्भ पर्व,
  • अर्जुनवनवास पर्व,
  • सुभद्राहरण पर्व,
  • हरणाहरण पर्व,
  • खाण्डवदाह पर्व,
  • मयदर्शन पर्व।

आदि पर्व की संक्षिप्त कथा इस प्रकार है- जैसा कि नाम से ही विदित होता है, यह महाभारत जैसे विशाल ग्रन्थ की मूल प्रस्तावना है। प्रारम्भ में महाभारत के पर्वों और उनके विषयों का संक्षिप्त संग्रह है। कथा-प्रवेश के बाद च्यवन का जन्म, पुलोमा दानव का भस्म होना, जनमेजय के सर्पसत्र की सूचना, नागों का वंश, कद्रू और विनता की कथा, देवों-दानवों द्वारा समुद्र मंथन, परीक्षित का आख्यान, सर्पसत्र, राजा उपरिचर का वृत्तान्त, व्यास आदि की उत्पत्ति, दुष्यन्त-शकुन्तला की कथा, पुरूरवा, नहुष और ययाति के चरित्र का वर्णन, भीष्म का जन्म और कौरवों-पाण्डवों की उत्पत्ति, कर्ण-द्रोण आदि का वृत्तान्त, द्रुपद की कथा, लाक्षागृह का वृत्तान्त, हिडिम्ब का वध और हिडिम्बा का विवाह, बकासुर का वध, धृष्टद्युम्न और द्रौपदी की उत्पत्ति, द्रौपदी-स्वयंवर और विवाह, पाण्डव का हस्तिनापुर में आगमन, सुन्द-उपसुन्द की कथा, नियम भंग के कारण अर्जुन का वनवास, सुभद्राहरण और विवाह, खाण्डव-दहन और मयासुर रक्षण की कथा वर्णित है।