"लेंस": अवतरणों में अंतर

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* आँख के चश्मों में
* आँख के चश्मों में
* प्रकाश को अभिकेन्द्रित करने के लिये
* प्रकाश को अभिकेन्द्रित करने के लिये

==लेंस निर्माता का सूत्र (Lensmaker's equation)==
किसी लेंस की फोकस दूरी निम्नलिखित सूत्र से निकाली जा सकती है। इस सूत्र को '''लेंस-निर्माता का सूत्र''' कहते हैं।<ref>Greivenkamp, p.14; Hecht §6.1</ref>

:<math>\frac{1}{f} = (n-1) \left[ \frac{1}{R_1} - \frac{1}{R_2} + \frac{(n-1)d}{n R_1 R_2} \right],</math>

जहाँ
:<math>f</math> लेंस की फोकस दूरी है।
:<math>n</math> लेंस के पदार्थ की [[अपवर्तन गुणांक]] (refractive index) है।
:<math>R_1</math> प्रकाश के स्रोत के निकट वाले लेंस के तल की वक्रता त्रिज्या (radius of curvature),
:<math>R_2</math> प्रकाश के स्रोत से दूर वाले लेंस के तल की वक्रता त्रिज्या (radius of curvature),
:<math>d</math> लेंस की मोटाई

===पतले लेंसों के लिये समीकरण===Thin lens equation====
यदि ''d'' का मान ''R''<sub>1</sub> और ''R''<sub>2</sub> की तुलना में छोटा हो तो इसे 'पतला लेंस' कहेंगे। इसके लिये फोकस दूरी का सूत्र इस प्रकार होगा (लगभग)

:<math>\frac{1}{f} \approx \left(n-1\right)\left[ \frac{1}{R_1} - \frac{1}{R_2} \right].</math><ref>Hecht, § 5.2.3</ref>


==लेंस का निर्माण==
==लेंस का निर्माण==

13:52, 24 जनवरी 2010 का अवतरण

लेंस का चित्र
लेंस का उपयोग प्रकाश को फोकस करने के लिये किया जा सकता है

लेंस एक प्रकाशीय युक्ति है जो प्रकाश के अपवर्तन के सिद्धान्त पर काम करता है। लेंस (Lens) गोलीय, बेलनाकार आदि जैसे नियमित, ज्यामिती रूप की दो सतहों से घिरा हुआ पारदर्शक माध्यम, जिससे अपवर्तन के पश्चात् किसी वस्तु का वास्तविक अथवा काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है, लेंस (Lens) कहलाता है। लेंस, लैटिन शब्द लेंटिल (lentil) से बना है, जिसका अर्थ है मसूर। उत्तल (convex) ताल मसूर की आकृति का होता है। अत: इसका नाम 'लेंस' पड़ा।

लेंस की सतह प्राय: गोलीय (spherical) होती है, परंतु आवश्यकतानुसार बेलनाकर, या अगोली (aspheric) लेंस भी प्रयुक्त होते हैं। आँख के क्रिस्टलीय लेंस ही एकमात्र प्राकृतिक लेंस है। हजारों वर्ष पहले भी लोग लेंस के विषय में जानते थे और माइसनर (Meissner) के अनुसार प्राचीन काल में भी चश्मे से लाभ उठाया जाता था। चश्में के अलावा प्रकाशविज्ञान में लेंस का उपयोग दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी, प्रकाशस्तंभ, द्विनेत्री (बाइनॉक्युलर) इत्यादि में होता है।

वर्गीकरण

अभिसारी लेंस
1 - उत्तलोत्तल या द्वि-उत्तल लेंस
2 - समतलोत्तल लेंस
3 - उत्तलावतल (अभिसारी मेनिस्कस)
अपसारी लेंस
4 - अवतलावतल या द्वि-अवतल लेंस
5 - समतलावतल लेंस
6 - अभिसारी मेनिस्कस

लेंस को मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है,

  • उत्तल लेंस (convex lens) और
  • अवतल लेंस (concave lens)

अनंत से आनेवाली समांतर किरण उत्तल लेंस में अपवर्तन के पश्चात् बिंदु फ पर अभिसरित (converge) होकर वहाँ वास्तविक प्रतिबिंब बना रही है; जबकि अवतल लेंस में अपवर्तन के पश्चात् वे बिंदु "फ" पर बने काल्पनिक प्रतिबिंब से अपसारित (diverge) होती प्रतीत होती हैं। अत: उत्तल लेंस को 'अभिसारी लेंस' और अवतल लेंस को 'अपसारी लेंस' भी कहते हैं। यहाँ यह जान लेना आवश्यक है कि उत्तल लेंस अभिसारी लेंस और अवतल लेंस अपसारी लेंस के रूप में तभी काम करता है, जब उसके चारों तरफ के माध्यम का अपवर्तनांक (refractive index) लेंस के माध्यम के अपवर्तनांक से कम होता है। (काच का अपवर्तनांक, म्यू (m) = 1.5, हवा का अपवर्तनांक, म्यू (m) = 1.00 होता है)। यदि चारों तरफ के माध्यम का अपवर्तनांक लेंस के माध्यम के अपवर्तनांक से अधिक होगा, तो उत्तल लेंस अपसारी और अवतल लेंस अभिसारी हो जाएगा।

लेंस के उपयोग

  • प्रकाशीय यंत्रों (कैमरा, दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी आदि) में
  • आँख के चश्मों में
  • प्रकाश को अभिकेन्द्रित करने के लिये

लेंस निर्माता का सूत्र (Lensmaker's equation)

किसी लेंस की फोकस दूरी निम्नलिखित सूत्र से निकाली जा सकती है। इस सूत्र को लेंस-निर्माता का सूत्र कहते हैं।[1]

जहाँ

लेंस की फोकस दूरी है।
लेंस के पदार्थ की अपवर्तन गुणांक (refractive index) है।
प्रकाश के स्रोत के निकट वाले लेंस के तल की वक्रता त्रिज्या (radius of curvature),
प्रकाश के स्रोत से दूर वाले लेंस के तल की वक्रता त्रिज्या (radius of curvature),
लेंस की मोटाई

पतले लेंसों के लिये समीकरण===Thin lens equation=

यदि d का मान R1 और R2 की तुलना में छोटा हो तो इसे 'पतला लेंस' कहेंगे। इसके लिये फोकस दूरी का सूत्र इस प्रकार होगा (लगभग)

[2]

लेंस का निर्माण

चश्मा

चश्में का लेंस पतला होता है और इसे भी पहले बताई हुई रीति से ही बनाते हैं। परंतु इसकी सतह का उतना यथार्थ होना आवश्यक नहीं है जितना उन लेंसों की सतह का जो दूरदर्शी और फोटोग्राफी में प्रयुक्त होते हैं। लेंस के किनारों को पत्थर के पहिए पर घिसकर चश्में के फ्रेम के आकार का बना लेते हैं।

निकट दृष्टि दोष (short sight or myopia) को दूर करने के लिए अवतल लेंस और दूर दृष्टि दोष (long sight or hypermetropia) को दूर करने के लिए उत्तल लेंस प्रयुक्त होता है। अबिंदुकता (astigmatizm) के दोष को दूर करने के लिए बेलनदार लेंस प्रयुक्त होता है। यदि इस दोष के साथ साथ निकट दृष्टि, या दूर दृष्टि, का दोष भी हो, तो गोलीय बेलनाकार लेंस (spherocylindrical lens) प्रयुक्त होता है। ऊर्ध्वाधर अक्ष (vertical axis) की दिशा में ऐसे लेंसों की शक्ति, क्षैतिज अक्ष (horizontal axis) की दिशा में लेंस की शक्ति से, भिन्न होती है।

द्विफोकसी या बाइफोकस लेंस (Bifocal Lens)

जरादूर दृष्टि (presbyopia) के दोष को दूर करने के लिए बाइफोकल लेंस काम में आता है, जिसमें अवतल तथा उत्तल एक ही लेंस में दोनों तरह के लेंस संयुक्त रहते हैं। ऊपर का भाग दूर की वस्तुओं तथा निचला भाग पास की वस्तुओं का देखने के लिए होता है। काँच को एक विशेष प्रकार की मशीन पर घिसकर बाइफोकल, लेंस तैयार करते हैं। आज कल प्राय: दोनों तरह के लेंसों को एक भट्ठी में गरम कर तथा जोड़कर बाइफोकल लेंस बनाया जाता है और इस तरह से बनाए गए लेंस संलीन द्विफोकसी लेंस (Fused bifocal lens) कहलाते हैं।

संपर्क लेंस (Contact Lens)

कुछ लोग, जैसे अभिनेता, सुंदरता की रक्षा के लिए चश्मा नहीं लगाना चाहते। उनकी आँख में एक पतला लेंस लगा दिया जाता है, जो कॉर्निया (cornea) पर ठीक बैठता है। लेंस और आँख के बीच का स्थान एक उपयुक्त द्रव से भर दिया जाता है। कॉर्निया के शंक्वाकार हो जाने, या सिकुड़ जाने पर भी संपर्क लेंस लगाया जाता है। संपर्क लेंस लगाने के लिए बहुत ही सावधानी एवं धन की आवश्यकता होती है।

फ्रेनेल लेंस (Fresnel Lenses)

प्रकाश स्तंभ (light houses) के लेंस बहुत बड़े और मोटे होते हैं। इतना बड़ा और मोटा लेंस पहले बताई गई रीति से बनाना संभव नहीं है। दूसरे, लेंस बड़ा तथा मोटा होने के कारण इतना भारी हो जाता है कि इतना भारी लेंस बनाना भी उचित नहीं है। सन् 1820 में ऑगस्टिन फ्रेनेल (Augustin Fresnel) ने प्रकाशस्तंभ में प्रयुक्त होनेवाले लेसों के बनाने की विधि बतलाई। उचित वक्रता की, काँच की छड़ों को अलग अलग घिसा और पॉलिश किया जाता है। फिर उन्हें एक धातु के फ्रेम में सिलसिलेवार जोड़कर प्रकाशस्तंभ का लेंस बनाया जाता है।

कभी-कभी काँच को गलाकर तथा साँचे में ढालकर भी फ्रेनेल लेंस बनाए जाते हैं। ऐसे लेंस पुंजप्रकाश (flood lights), रेल मार्ग (rail road), यातायात संकेत (traffic signal) इत्यादि में प्रयुक्त होते हैं। सन् 1945 के बाद प्लास्टिक पदार्थों को गलाकर पतले फ्रेनेल लेंस भी बनाए गए, जो प्राय: अभिक्षेत्र (fieled) लेंस के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

पतले लेंस से प्रतिबिम्ब निर्माण का सिमुलेशन

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सिमुलेशन (Simulations)

साँचा:Link FA

साँचा:Link FA

  1. Greivenkamp, p.14; Hecht §6.1
  2. Hecht, § 5.2.3