"राजेन्द्र अवस्थी": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
|title=पत्रकार एवं साहित्यकार राजेन्द्र अवस्थी का निधन |accessmonthday=[[३० दिसंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=हिंदुस्तान|language=}}</ref>
|title=पत्रकार एवं साहित्यकार राजेन्द्र अवस्थी का निधन |accessmonthday=[[३० दिसंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=हिंदुस्तान|language=}}</ref>


उनके उपन्यासों में सूरज किरण की छांव, जंगल के फूल, जाने कितनी आंखें, बीमार शहर, अकेली आवाज और मछलीबाजार शामिल हैं। मकड़ी के जाले, दो जोड़ी आंखें, मेरी प्रिय कहानियां और उतरते ज्वार की सीपियां, एक औरत से इंटरव्यू और दोस्तों की दुनिया उनके कविता संग्रह हैं जबकि उन्होंने जंगल से शहर तक नाम से यात्रा वृतांत भी लिखा है।
उनके उपन्यासों में सूरज किरण की छांव, जंगल के फूल, जाने कितनी आंखें, बीमार शहर, अकेली आवाज और मछलीबाजार शामिल हैं। मकड़ी के जाले, दो जोड़ी आंखें, मेरी प्रिय कहानियां और उतरते ज्वार की सीपियां, एक औरत से इंटरव्यू और दोस्तों की दुनिया उनके कविता संग्रह हैं जबकि उन्होंने जंगल से शहर तक नाम से यात्रा वृतांत भी लिखा है। राजेन्द्र अवस्थी कथाकार और पत्रकार तो थे ही, उन्होंने सांस्कृतिक राजनीति तथा सामयिक विषयों पर भी भरपूर लिखा है। अनेक दैनिक समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं में उनके लेख प्रमुखता से छपते रहे। उनकी बेबाक टिप्पणियाँ अनेक बार आक्रोश और विवाद को भी जन्म देती रहीं, लेकिन अवस्थी जी कभी भी अपनी बात कहने से नहीं चूकते। <ref>{{cite web |url=http://vedantijeevan.com/bs/home.php?bookid=3532|title=आखिर कब तक|accessmonthday=[[३० दिसंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref>



==संदर्भ==
==संदर्भ==

14:13, 30 दिसम्बर 2009 का अवतरण

राजेन्द्र अवस्थी (२५ जनवरी, १९३० - ३० दिसंबर २००९) हिंदी के प्रख्यात पत्रकार और लेखक थे। उनका जन्म मध्य प्रदेश के गढा जबलपुर नगर में हुआ था। वे नवभारत, सारिका, नंदन, साप्ताहिक हिन्दुस्तान और कादम्बिनी के संपादक रहे। उन्होंने अनेक उपन्यासों कहानियों एवं कविताओं की रचना की। वह ऑथर गिल्ड आफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे। दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी ने उन्हें १९९७-९८ में साहित्यिक कृति से सम्मानित किया था।[1]

उनके उपन्यासों में सूरज किरण की छांव, जंगल के फूल, जाने कितनी आंखें, बीमार शहर, अकेली आवाज और मछलीबाजार शामिल हैं। मकड़ी के जाले, दो जोड़ी आंखें, मेरी प्रिय कहानियां और उतरते ज्वार की सीपियां, एक औरत से इंटरव्यू और दोस्तों की दुनिया उनके कविता संग्रह हैं जबकि उन्होंने जंगल से शहर तक नाम से यात्रा वृतांत भी लिखा है। राजेन्द्र अवस्थी कथाकार और पत्रकार तो थे ही, उन्होंने सांस्कृतिक राजनीति तथा सामयिक विषयों पर भी भरपूर लिखा है। अनेक दैनिक समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं में उनके लेख प्रमुखता से छपते रहे। उनकी बेबाक टिप्पणियाँ अनेक बार आक्रोश और विवाद को भी जन्म देती रहीं, लेकिन अवस्थी जी कभी भी अपनी बात कहने से नहीं चूकते। [2]


संदर्भ

  1. "पत्रकार एवं साहित्यकार राजेन्द्र अवस्थी का निधन". हिंदुस्तान. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  2. "आखिर कब तक". भारतीय साहित्य संग्रह. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)