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'''मृदुला गर्ग''' (जन्म १९३८) [[कोलकाता]] में जन्मी, हिंदी कई सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। [[उपन्यास]], [[कहानी]] संग्रह, [[नाटक]] तथा [[निबंध]] संग्रह सब मिलाकर उन्होंने २० से अधिक पुस्तकों की रचना की है। १९६० में [[अर्थशास्त्र]] में स्नातकोत्तर उपाधि लेने के बाद उन्होंने ३ साल तक [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] में अध्यापन भी किया है।
'''मृदुला गर्ग''' (जन्म १९३८) [[कोलकाता]] में जन्मी, हिंदी कई सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। [[उपन्यास]], [[कहानी]] संग्रह, [[नाटक]] तथा [[निबंध]] संग्रह सब मिलाकर उन्होंने २० से अधिक पुस्तकों की रचना की है। १९६० में [[अर्थशास्त्र]] में स्नातकोत्तर उपाधि लेने के बाद उन्होंने ३ साल तक [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] में अध्यापन भी किया है।


उनके उपन्यासों को अपने कथानक की विविधता और नयेपन के कारण समालोचकों की बड़ी स्वीकृति और सराहना मिली। उनके उपन्यास और कहानियों का अनेक हिंदी भाषाओं तथा [[जर्मन]], [[चेक]], [[जापानी]] और [[अँग्रेजी]] में अनुवाद हुआ है। वे स्तंभकार रही हैं, [[पर्यावरण]] के प्रति सजगता प्रकट करती रही हैं तथा महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा के काम करती रही हैं। उन्होंने [[इंडिया टुडे]] के हिन्दी संस्करण में लगभग तीन साल तक कटाक्ष नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा। वे [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] में १९९० में आयोजित एक सम्मेलन में हिंदी साहित्य में महिलाओं के प्रति भेदभाव विषय पर व्याख्यान भी दे चुकी हैं। उन्हें [[हिंदी अकादमी]] द्वाका १९८८ में साहित्यकार सम्मान, [[उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान]] द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, २००३ में [[सूरीनाम]] में आयोजित [[विश्व हिंदी सम्मेलन]] में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, २००४ में कठगुलाब के लिए [[व्यास सम्मान]] तथा २००३ में कठगुलाब के लिए ही ज्ञानपीठ का [[वाग्देवी पुरस्कार]] प्रदान किया गया है। उसके हिस्से की धूप उपन्यास को १९७५ में तथा जादू का कालीन को १९९३ में [[मध्य प्रदेश]] सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है।
उनके उपन्यासों को अपने कथानक की विविधता और नयेपन के कारण समालोचकों की बड़ी स्वीकृति और सराहना मिली। उनके उपन्यास और कहानियों का अनेक हिंदी भाषाओं तथा [[जर्मन]], [[चेक]], [[जापानी]] और [[अँग्रेजी]] में अनुवाद हुआ है। वे स्तंभकार रही हैं, [[पर्यावरण]] के प्रति सजगता प्रकट करती रही हैं तथा महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा के काम करती रही हैं। उन्होंने [[इंडिया टुडे]] के हिन्दी संस्करण में लगभग तीन साल तक कटाक्ष नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा। वे [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] में १९९० में आयोजित एक सम्मेलन में हिंदी साहित्य में महिलाओं के प्रति भेदभाव विषय पर व्याख्यान भी दे चुकी हैं। उन्हें [[हिंदी अकादमी]] द्वाका १९८८ में साहित्यकार सम्मान, [[उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान]] द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, २००३ में [[सूरीनाम]] में आयोजित [[विश्व हिन्दी सम्मेलन]] में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, २००४ में कठगुलाब के लिए [[व्यास सम्मान]] तथा २००३ में कठगुलाब के लिए ही ज्ञानपीठ का [[वाग्देवी पुरस्कार]] प्रदान किया गया है। उसके हिस्से की धूप उपन्यास को १९७५ में तथा जादू का कालीन को १९९३ में [[मध्य प्रदेश]] सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है।
==संदर्भ==
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18:06, 23 दिसम्बर 2009 का अवतरण

मृदुला गर्ग
मृदुला गर्ग

मृदुला गर्ग (जन्म १९३८) कोलकाता में जन्मी, हिंदी कई सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह सब मिलाकर उन्होंने २० से अधिक पुस्तकों की रचना की है। १९६० में अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि लेने के बाद उन्होंने ३ साल तक दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन भी किया है।

उनके उपन्यासों को अपने कथानक की विविधता और नयेपन के कारण समालोचकों की बड़ी स्वीकृति और सराहना मिली। उनके उपन्यास और कहानियों का अनेक हिंदी भाषाओं तथा जर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेजी में अनुवाद हुआ है। वे स्तंभकार रही हैं, पर्यावरण के प्रति सजगता प्रकट करती रही हैं तथा महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा के काम करती रही हैं। उन्होंने इंडिया टुडे के हिन्दी संस्करण में लगभग तीन साल तक कटाक्ष नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में १९९० में आयोजित एक सम्मेलन में हिंदी साहित्य में महिलाओं के प्रति भेदभाव विषय पर व्याख्यान भी दे चुकी हैं। उन्हें हिंदी अकादमी द्वाका १९८८ में साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, २००३ में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, २००४ में कठगुलाब के लिए व्यास सम्मान तथा २००३ में कठगुलाब के लिए ही ज्ञानपीठ का वाग्देवी पुरस्कार प्रदान किया गया है। उसके हिस्से की धूप उपन्यास को १९७५ में तथा जादू का कालीन को १९९३ में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है।

संदर्भ