"श्लेष अलंकार": अवतरणों में अंतर
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जब किसी [[शब्द]] का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक [[अर्थ]] निकलते हैं तब '''श्लेष अलंकार''' होता है। श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं:<ref>{{Cite journal|last=पन्थ Pantha|first=नारायणप्रसाद Narayanprasad|date=2020-04-01|title=अलंकार सिद्धान्तको प्रयोग Alankar Siddhantako Prayog|url=http://dx.doi.org/10.3126/bcj.v2i1.35979|journal=Butwal Campus Journal|volume=2|issue=1|pages=86–94|doi=10.3126/bcj.v2i1.35979|issn=2594-3472}}</ref> |
जब किसी [[शब्द]] का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक [[अर्थ]] निकलते हैं तब '''श्लेष अलंकार''' होता है। श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं:<ref>{{Cite journal|last=पन्थ Pantha|first=नारायणप्रसाद Narayanprasad|date=2020-04-01|title=अलंकार सिद्धान्तको प्रयोग Alankar Siddhantako Prayog|url=http://dx.doi.org/10.3126/bcj.v2i1.35979|journal=Butwal Campus Journal|volume=2|issue=1|pages=86–94|doi=10.3126/bcj.v2i1.35979|issn=2594-3472}}</ref> |
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#सभंग श्लेष |
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03:48, 13 अगस्त 2022 का अवतरण
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जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं:[1]
- सभंग श्लेष
- अभंग श्लेष
उदाहरण
- उदाहरण १
“ | चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर। सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर। |
” |
यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं; कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द, व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर, चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
- उदाहरण २
“ | पानी गये न ऊबरैँ, मोती मानुष चून। | ” |
यहाँ पानी का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त पानी शब्द के तीन अर्थ हैं; मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ चमक या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ इज्जत (सम्मान), चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ साधारण पानी(जल) है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ पन्थ Pantha, नारायणप्रसाद Narayanprasad (2020-04-01). "अलंकार सिद्धान्तको प्रयोग Alankar Siddhantako Prayog". Butwal Campus Journal. 2 (1): 86–94. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2594-3472. डीओआइ:10.3126/bcj.v2i1.35979.