"बेगूसराय": अवतरणों में अंतर

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छ‌ठ के दौरान बेगूसराय की महिलाएं बिना सिलाई के शुद्ध सूती धोती पहनती हैं जो मिथिलांचल की पारंपरिक संस्कृति को दर्शाता है।
छ‌ठ के दौरान बेगूसराय की महिलाएं बिना सिलाई के शुद्ध सूती धोती पहनती हैं जो मिथिलांचल की पारंपरिक संस्कृति को दर्शाता है।
आमतौर पर दैनिक उपयोग के लिए शुद्ध कपास से और अधिक आकर्षक अवसरों के लिए शुद्ध रेशम से तैयार की जाती है, बेगूसराय की महिलाओं के लिए पारंपरिक पोशाक में जामदानी,बनारसी और भागलपुरी और कई अन्य शामिल हैं।
आमतौर पर दैनिक उपयोग के लिए शुद्ध कपास से और अधिक आकर्षक अवसरों के लिए शुद्ध रेशम से तैयार की जाती है, बेगूसराय की महिलाओं के लिए पारंपरिक पोशाक में जामदानी,बनारसी और भागलपुरी और कई अन्य शामिल हैं।
बेगूसराय में साल भर कई त्योहार मनाए जाते हैं। छ‌ठ को बेगूसराय के सभी समारोहों में शायद सबसे महत्वपूर्ण उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यहां बेगूसराय के मुख्य त्योहारों की सूची दी गई है।
बेगूसराय में साल भर कई त्योहार मनाए जाते हैं।यहां का दुर्गा मेला बहुत भव्य रूप से आयोजित किया जाता है खासकर किरण दुर्गा स्थान (विष्णुपुर) मे भगवान् के 108 रूप का दर्शन आपको हो जायेगा और छ‌ठ को बेगूसराय के सभी समारोहों में शायद सबसे महत्वपूर्ण उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यहां बेगूसराय के मुख्य त्योहारों की सूची दी गई है।


= मुख्य त्यौहार =
= मुख्य त्यौहार =

02:01, 27 अप्रैल 2022 का अवतरण

बेगूसराय
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
जनसंख्या
घनत्व
23,42,989 (२००१ के अनुसार )
• 1,222/किमी2 (3,165/मील2)
क्षेत्रफल 1918 sq. kms कि.मी²

निर्देशांक: 25°09′N 85°27′E / 25.15°N 85.45°E / 25.15; 85.45

बेगूसराय बिहार प्रान्त का एक जिला है। बेगूसराय मध्य बिहार में स्थित है। १८७० ईस्वी में यह मुंगेर जिले के सब-डिवीजन के रूप में स्थापित हुआ। १९७२ में बेगूसराय स्वतंत्र जिला बना।

भौगोलिक संरचना

बेगूसराय उत्तर बिहार में 25°15' और 25° 45' उतरी अक्षांश और 85°45' और 86°36" पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। बेगूसराय शहर पूरब से पश्चिम लंबबत रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है। इसके उत्तर में समस्तीपुर, दक्षिण में गंगा नदी और लक्खीसराय, पूरब में खगड़िया और मुंगेर तथा पश्चिम में समस्तीपुर और पटना जिला हैं।

प्रशासनिक संरचना

सब-डिवीजनों की संख्या-०५
प्रखंडों की संख्या-१८
पंचायतों की संख्या-257
राजस्व वाले गांवों की संख्या-1229
कुल गांवों की संख्या-1198
नगर परिषद बीहट नगर परिषद बखरी,नगर परिषद तेघड़ा,

जनसंख्या

२००१ की जनगणना के अनुसार इस जिले की जनसंख्या:[1]

  • पुरुष : 1226057
  • स्त्री : 1116932
  • कुल: 2342989
  • वृद्धि : 29.11%

जनसांख्यिकी

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बेगूसराय की आबादी 33 लाख है। बेगूसराय की जनसंख्या वृद्धि दर 2.3 प्रतिशत वार्षिक है। इसकी जनसंख्या वृद्धि दर में उतार-चढ़ाव होती रही है। बेगूसराय की कुल आबादी का 52 प्रतिशत पुरूष और 48 प्रतिशत महिलाएं है। यहां औसत साक्षरता दर 65 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय साक्षरता दर के करीब है। यहां महिला साक्षरता दर 41 प्रतिशत तथा पुरूष साक्षरता दर 71 प्रतिशत है। यहां की 15 प्रतिशत आबादी छह वर्ष से कम उम्र की है।

प्रासांगिकता

बेगूसराय बिहार के औद्योगिक नगर के रूप में जाना जाता है। यहां मुख्य रूप से तीन बड़े उद्योग हैं-

इसके अलावा कई छोटे-छोटे और सहायक उद्योग भी है। यहां कृषि उद्योगों की संभवना काफी ज्यादा है।

आधारभूत ढांचा

बेगूसराय बिहार और देश के दूसरे भागों से सड़क और रेलमार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली-गुवाहाटी रेलवे लाईन बेगूसराय होकर गुजरती है। बेगूसराय से पांच किलोमीटर की दूरी पर ऊलाव में एक छोटा हवाई अड्डा भी है, जहां नगर आने वाले महत्वपूर्ण व्यक्तियों का आगमन होता है। बरौनी जंक्शन से दिल्ली, गुवाहाटी, अमृतसर, वाराणसी, लखनऊ, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता आदि महत्वपूर्ण शहरों के लिए रेल गाड़ियां चलती हैं। बेगूसराय में अठारह रेलवे स्टेशन हैं। जिले का आंतरिक भाग सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। गंगानदी पर बना राजेंद्र पुल उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 और 31 बेगूसराय से होकर गुजरती है। जिले में इस मार्ग की कुल लंबाई 95 किलोमीटर है। जिले में राजकीय मार्ग की कुल लंबाई 295 किलोमीटर है। जिले के 95 प्रतिशत गांव सड़कों से जुड़े हुए हैं।

साहित्य और संस्कृति

बेगूसराय हमारे राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि है।[2] उन्हीं के नाम पर नगर का टाउन हॉल दिनकर कला भवन के नाम से जाना जाता है। यहां आकाश गंगा रंग चौपाल बरौनी ,द फैक्ट रंगमंडल. आशीर्वाद रंगमंडल जैसी कई प्रमुख नाट्यमंडलियां हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से पास आउट गणेश गौरव और प्रवीण गुंजन लगातार कला और साहित्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। रंग कार्यशाला लगाकर रंगकर्म और कला साहित्य की नई पीढ़ी तैयार करने में लगे हैं । जिले के दिनकर भवन में लगातार नाटकों और कला से जुड़े विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रदर्शन किया जाता रहा है। प्रतिवर्ष राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग संगम, रंग माहौल, आशीर्वाद नाट्य महोत्सव आदि का आयोजन किया जाता है। जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति देते हैं। यहां की संस्कृति , साहित्य को बढ़ावा देने में लब्धप्रतिष्ठ कवि अशांत भोला,जनकवि दीनानाथ सुमित्र,चर्चित कवि प्रफुल्ल मिश्र,गीतकार रामा मौसम, वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल पतंग, कार्टूनिस्ट सीताराम, युवा कवि व पत्रकार नवीन कुमार, युवा कवि डॉ अभिषेक कुमार. युवा कवयित्री सीमा संगसार ,समाँ प्रवीण, का नाम उल्लेखनीय है। सिमरिया धाम एक आदि कुंभ स्थली हैं जहां स्वामी चिदात्मन द्वारा आदि कुंभ स्थली सिमरिया धाम का पुनर्जागरण किया गया। आदि कुंभा स्थली की खोज संंत शिरोमणि करपात्री अग्निहोत् परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज नेे किया और 2017 में यहां महाकुंभ भी लगा था फिर 2023 में यहां अर्ध कुंभ लगेगा. यहां वेद पढ़ने वााले विद्यार्थियों और शिक्षकों के नाम आचार्य रामनरेश झा.आचार्य वरुण पाठक विद्यार्थी पद्मनाभ झा, राम झा, लक्ष्मण झा, श्याम झा अन्य हैं।

बेगूसराय जिले के सभी महाविद्यालय ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा से संबद्ध हैं। यहां के महत्वपूर्ण महाविद्यालयों में गणेश दत्त महाविद्यालय, एसबीएसएस कॉलेज, श्री कृष्ण महिला कॉलेज. चंद्रमा असरफी भागीरथ सिंघ कॉलेज खमहार .एपीएसएम कॉलेज बरौनी. आरसीएस कॉलेज मन्झौल. आदि हैं। अहम विद्यालयों में जे.के. इंटर विधालय. बीएसएस इंटर कॉलेजिएट हाईस्कूल, आर. के. सी. +२ विद्यालय फुलवरिया बरौनी, बीपी हाईस्कूल,श्री सरयू प्रसाद सिंह विद्यालय विनोदपुर , सेंट पाउल्स स्कूल, डीएवी बरौनी, बीआर डीएवी (आईओसी), केवी आईओसी, डीएवी इटवानगर,सुह्रद बाल शिक्षा मंदिर, साइबर स्कूल, जवाहर नवोदय विद्यालय, हमारे यहां बेगूसराय में सिमरिया धाम जो कि आदि कुंभ स्थलीन्यू गोल्डेन इंग्लिश स्कूल,विकास विद्यालय आदि।

==संस्कृति बेगूसराय की संस्कृति मिथिलांचल की सांस्कृतिक विरासत को परिभाषित करती है। बेगूसराय के लोगों द्वारा बनाई जाती हे जो एक प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग है। बेगूसराय सिमरिया मेले के लिए भी प्रसिद्ध है, जो भारतीय पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक के महीने के दौरान भक्ति महत्व का मेला है। नवंबर).[3] बेगूसराय में पुरुष और महिलाएं बहुत धार्मिक हैं और त्योहारों के अनुसार भी कपड़े पहनते हैं।यहा का नौलखा मंदिर(विशनुपुर) प्रसिद्ध है बेगूसराय की वेशभूषा मिथिला की समृद्ध पारंपरिक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। पंजाबी रूपी कुर्ता और धोती के साथ लाल बंगाली गमछा उनके सिर को ढकता हैं, पुरुषों के बीच आम कपड़े हैं।महिलाओं को साड़ी पहनना पसंद है। और बेगूसराय की महिलाएं हाथ में लहठी पहनती हैं। मिथिला संस्कृति में, इसका अर्थ है नई शुरुआत, जुनून और समृद्धि। लाल हिंदू देवी दुर्गा का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो नई शुरुआत और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। छ‌ठ के दौरान बेगूसराय की महिलाएं बिना सिलाई के शुद्ध सूती धोती पहनती हैं जो मिथिलांचल की पारंपरिक संस्कृति को दर्शाता है। आमतौर पर दैनिक उपयोग के लिए शुद्ध कपास से और अधिक आकर्षक अवसरों के लिए शुद्ध रेशम से तैयार की जाती है, बेगूसराय की महिलाओं के लिए पारंपरिक पोशाक में जामदानी,बनारसी और भागलपुरी और कई अन्य शामिल हैं। बेगूसराय में साल भर कई त्योहार मनाए जाते हैं।यहां का दुर्गा मेला बहुत भव्य रूप से आयोजित किया जाता है खासकर किरण दुर्गा स्थान (विष्णुपुर) मे भगवान् के 108 रूप का दर्शन आपको हो जायेगा और छ‌ठ को बेगूसराय के सभी समारोहों में शायद सबसे महत्वपूर्ण उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यहां बेगूसराय के मुख्य त्योहारों की सूची दी गई है।

मुख्य त्यौहार

  • छ‌ठ
  • सामा-चकेबा
  • चोरचन
  • जितिया
  • अघनिया छ‌ठ (छोटका पबनी)
  • बैसक्खा छ‌ठ (छोटका पबनी)
  • काली पूजा
  • लक्ष्मी पूजा (कोजागरी)
  • दुर्गा पूजा
  • सरस्वती पूजा
  • विश्वकर्मा पूजा
  • गंगा दशहरा
  • बरसाइत

कृषिभूमि

कुल क्षेत्र-1,87,967.5 हेक्टेयर
कुल सिंचित क्षेत्र-74,225.57 हेक्टेयर
स्थायी सिंचित-6384.29 हेक्टेयर
मौसमी सिंचित-4866.37 हेक्टेयर
वन्यभूमि-0 हेक्टेयर
बागवानी आदि-5000 हेक्टेयर
खरीफ-22000 हेक्टेयर
रबी- 10000 हेक्टेयर
गेहूं-61000 हेक्टेयर
जलक्षेत्र और परती-2118
सिंचाई का मुख्य साधन-ट्यूबवेल

प्राकृतिक और जल संपदा

बेगूसराय जिला गंगा के समतल मैदान में स्थित है। यहां मुख्य नदियां-बूढ़ी गंडक, बलान, बैंती, बाया और चंद्रभागा है। (चंद्रभागा सिर्फ मानचित्रों में बच गई है।) कावर झील एशिया की सबसे बडी मीठे जल की झीलों में से एक है। यह पक्षी अभयारण्य के रूप में प्रसिद्ध है।

खनिज

आर्थिक महत्व का कोई खनिज नहीं है।

वन

बेगूसराय में कोई वन नहीं है। लेकिन आम, लीची, केले, अमरूद, नींबू के कई उद्यान हैं। कई जगहों पर अच्छी बागवानी भी है। मुबारकपुर शंख, चकमुजफ्फर और नावकोठी गांव केले के लिए मशहूर है। यहां जंगली पशु देखने को शायद ही मिलते हैं, लेकिन कावरझील में विविध प्रकार की पक्षियां मिलती हैं। हाल ही में खोज से पता चला है कि गंगा के बेसिन में पेट्रोलियम या गैस के भंडार हैं।

यातायात

बेगूसराय बिहार और देश के दूसरे भागों से सड़क और रेलमार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली-गुवाहाटी रेललाइन बेगूसराय से गुजरती है। उलाव में एक छोटा सा हवाई अड्डा है, जो बेगूसराय जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर है। इस हवाई अड्डे का इस्तेमाल महत्वपूर्ण व्यक्तियों के शहर आगमन के लिए होता है। बेगूसराय में रेलवे की बड़ी लाइन की लंबाई 119 किलोमीटर और छोटी लाइन की लंबाई 67 किलोमीटर है। बरौनी रेलवे जंक्शन का पूर्व-मध्य बिहार में अहम स्थान है। यहां से दिल्ली, गुवाहाटी, अमृतसर, वाराणसी, लखनऊ, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर आदि जगहों के लिए ट्रेने खुलती है। गंगा नदी पर राजेंद्र पुल उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार को जोड़ता है। बेगूसराय जिले में कुल अठारह रेलवे स्टेशन है। जिले का आंतरिक भाग मुख्य सड़कों से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 और 31 इस जिले को देश के दूसरे भागों से जोड़ता है। जिले में राजमार्ग की लंबाई 95 किलोमीटर है, जबकि राजकीय पथ की लंबाई 262 किलोमीटर है। जिले के 95 प्रतिशत गांव सड़क से जुड़े हुए हैं। शहर में कई अच्छे अच्छे होटल भी हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "बेगूसराय की जनसंख्या". मूल से 14 दिसंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 दिसंबर 2007.
  2. "आज भी उपेक्षित है राष्ट्रकवि दिनकर की पैतृक गांव सिमरिया". हिंदुस्तान. मूल से 18 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2017.
  3. साँचा:साइट वेब

बाहरी कड़ी

  • खोदावन्दपुर