"अकबर इलाहाबादी": अवतरणों में अंतर

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== बाहरी कड़ियाँ ==
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* [http://muslimsaleem.wordpress.com/2011/07/10/urdu-poets-and-writers-of-allahabad-2/]
* [http://muslimsaleem.wordpress.com/2011/07/10/urdu-poets-and-writers-of-allahabad-2/]
* [https://www.rekhta.org/poets/akbar-allahabadi/all?lang=hi उर्दू साहित्य संग्रह रेख़्ता पर अकबर इलाहाबादी]
* [http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A4%B0_%E0%A4%87%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%80 कविता कोष में अकबर इलाहाबादी]
*[http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A4%B0_%E0%A4%87%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%80 कविता कोष में अकबर इलाहाबादी]
* [http://www.urdupoetry.com/akbar.html अक़बर इलाहाबादी की कुछ गज़ल्]
* [http://www.urdupoetry.com/akbar.html अक़बर इलाहाबादी की कुछ गज़ल्]
* [http://www.urdustan.com/anam/dec1998.htm अकबर इलाहाबादी के प्रसिद्ध छंद का संग्रह]
* [http://www.urdustan.com/anam/dec1998.htm अकबर इलाहाबादी के प्रसिद्ध छंद का संग्रह]

07:44, 28 दिसम्बर 2021 का अवतरण

अकबर इलाहाबादी

अकबर ने सैयद अकबर हुसैन के नाम से १८४६ में इलाहाबाद के निकट बारा में एक सम्मानजनक, परिवार में जन्म लिया। उनके पिता का नाम सैयद तफ्फज़ुल हुसैन था।

प्रारंभिक जीवन

अकबर ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने पिता द्वरा घर पे ही ग्रहन की। उन्होंने 15 साल की उम्र में अपने दो या तीन साल वरिष्ठ लड़की से शादी की थी और जल्द ही उन्की दूसरी शादी भी हुइ। दोंनो पत्नीयों से अकबर के २-२ पुत्र थे। अकबर ने वकालत की अध्ययन करने के बाद बतौर सरकारी कर्मचारी कार्य किया।[2]

हालांकि अकबर एक अनिवार्य रूप से एक जीवंत, आशावादी कवि थे, उसके बाद के जीवन में चीजों के बारे में उनकी दृष्टि घर पर उसकी त्रासदी के अनुभव से घिर गई थी। उन्के बेटे और पोते का निधन कम उम्र में ही हो गया। यह उसके लिये बड़ा झटका था और निराशा का कारण बना। फलस्वरूप वह अपने जीवन के अंत की ओर काफी, वश में हो गया और तेजी से चिंताग्रस्त और धार्मिक होने लगे थे। व ७५ साल की उम्र में १९२१ में अकबर की मृत्यु हो गई।[3]

विषेशता

अकबर एक शानदार, तर्कशील, मिलनसार आदमी थे। और उनकी कविता हास्य की एक उल्लेखनीय भावना के साथ कविता की पहचान थी। वो चाहे गजल, नजम, रुबाई या क़ित हो उनका अपना ही एक अलग अन्दाज़ था। वह एक समाज सुधारक थे और उनके सुधारवादी उत्साह बुद्धि और हास्य के माध्यम से काम किया था। शायद ही जीवन का कोई पहलू है जो उन्के व्यंग्य की निगाहों से बच गया था।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ