"सर्वांगसमता": अवतरणों में अंतर

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=== SSA: सर्वांगसमता की संदिग्ध स्थिति ===
=== SSA: सर्वांगसमता की संदिग्ध स्थिति ===
The '''SSA''' condition (Side-Side-Angle) which specifies two sides and a non-included angle (also known as '''ASS''' (Angle-Side-Side)) does not always prove congruence.

Specifically, '''SSA''' does not prove congruence when the angle is acute and the opposite side is shorter or equal to the adjacent side but longer than the sine of the angle times the adjacent side. This is the ambiguous case. In all other cases, SSA proves congruence. Notice that the opposite side cannot be smaller than the adjacent side times the sine of the angle as this could not describe a triangle.

The '''SSA''' condition proves congruence if the angle is obtuse or right. In the case of the right angle (also known as the '''HL''' (Hypotenuse-Leg) condition), we can calculate the third side and fall back on '''SSS'''.

The '''SSA''' condition proves congruence if the angle is acute and the opposite side either equals the adjacent side times the sine of the angle (right triangle) or is longer than the adjacent side.


=== AAA ===
=== AAA ===

15:20, 7 नवम्बर 2021 का अवतरण

सर्वांगसमता का एक उदाहरण - वायीं तरफ् की दो आकृतियाँ सर्वांगसम हैं; तीसरी आकृति उनके समरूप है; अन्तिम आकृति, पहली दो आकृतियों के तो सर्वांगसम है न ही समरूप।

ज्यामिति में बिन्दुओं के दो समुच्चय को परस्पर सर्वांगसम (congruent) कहते हैं यदि उनमें से किसी एक समुच्चय को स्थानान्तरण (translation), घूर्णन (rotation), परावर्तन (reflection) या इनके मिश्रित क्रियाओं के द्वारा परिवर्तित करने पर दूसरा समुच्चय प्राप्त किया जा सके। सर्वांगसम = सर्व + अंग + सम = सभी अंग बराबर। इसे और अधिक सरल रूप में यों कह सकते हैं कि दो चित्र यदि आकार-प्रकार (shape and size) में समान हैं तो वे परस्पर सर्वांगसम होते हैं (यद्यपि वे अलग-अलग स्थान पर हैं या अलग-अलग स्थितिओं में हो सकते हैं)।

त्रिभुजों की सर्वांगसमता

त्रिभुजों के सर्वांगसम होने की विभिन्न दशाएँ
दो त्रिभुज सर्वांगसम हो सकते हैं यदि - दोनो की दो भुजायें एवं उनके बीच का कोण समान हों (SAS); कोई दो कोण एवं उनके बीच की भुजा समान हों (ASA) या दो कोण एवं इनमें किसी एक से संलग्न भुजा समान हो (AAS). किन्तु दो भुजाएं एवं तीसरी भुजा से संलग्न कोई कोण समान होने की स्थिति में (SSA), प्रायः दो भिन्न-भिन्न त्रिभुज सम्भव हैं

यदि दो त्रिभुजों की तीनों भुजायें एवं संगत कोण समान हों तो वे परस्पर सर्वांगसम होते हैं।

किन्तु प्रायः केवल तीन संगत अंगों की समानता प्रदर्शित कर देना ही सर्वांगसमता सिद्द करने के लिये पर्याप्त होता है।

SAS, SSS, ASA, एवं AAS

  • SAS (भुजा-कोण-भुजा): यदि दो त्रिभुजों की दो संगत भुजाएँ और उनके बीच के कोण समान हों तो वे सर्वांगसम हैं।
  • SSS (भुजा-भुजा-भुजा): यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की तीनों संगत भुजों के बराबर हों तो दोनो त्रिभुज सर्वांगसम हैं।
  • ASA (कोण-भुजा-कोण): यदि संगत कोणों का एक युग्म और उनकी सम्मिलित भुजा बराबर हो तो दोनो त्रिभुज सर्वांगसम हैं। ASA अभिधारणा का योगदान थेल्स ऑफ मिलेटस (ग्रीक) द्वारा किया गया था।
  • AAS (कोण-कोण-भुजा): यदि दो त्रिभुजों के कोणों के दो युग्म माप में बराबर हों, और संगत गैर-शामिल भुजाओं का एक युग्म लंबाई में बराबर हो, तो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। एएएस एक एएसए शर्त के बराबर है, इस तथ्य से कि यदि कोई दो कोण दिए गए हैं, तो तीसरा कोण भी प्राप्त किया जा सकता, क्योंकि उनका योग 180° होना चाहिए।
  • RHS (समकोण-कर्ण-पक्ष): यदि दो समकोण त्रिभुजों के कर्णों की लंबाई समान है, और छोटी भुजाओं का एक युग्म लंबाई में समान है, तो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।

SSA: सर्वांगसमता की संदिग्ध स्थिति

AAA

AAA (कोण-कोण-कोण) इस स्थिति में दोनो त्रिभुज केवल समरूप होते हैं, जरूरी नहीं कि वे सर्वांगसम भी हों। ऐसा इसलिये है कि यह स्थिति आकार (size) के बारे में कुछ भी नहीं कहती। तथापि यदि गोलीय (spherical) ज्यामिति या अतिपरवलीय (hyperbolic) ज्यामिति की बात करें तो उनमें यह स्थिति सर्वांगसमता के लिये पर्याप्त है I Love is called AAA angle ।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ