"लाक्षागृह": अवतरणों में अंतर
छो यह एक हिंदूओ कि पाैराणिक कथाओ मे से है। टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन Newcomer task |
→परिचय: मैंने उस आदमी का नाम दिया है जिसने कौरवो के आदेश पर इसे बनाया था । टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
==परिचय== |
==परिचय== |
||
लाक्षागृह एक भवन था जिसे दुर्योधन ने पांडवों के विरुद्ध एक षड्यंत्र के तहत उनके ठहरने के लिए बनाया था। इसे लाख से निर्मित किया गया था ताकि पांडव जब इस घर में रहने आएं तो चुपके से इसमें आग लगा कर उन्हें मारा जा |
लाक्षागृह एक भवन था जिसे दुर्योधन ने पांडवों के विरुद्ध एक षड्यंत्र के तहत उनके ठहरने के लिए बनाया था। इसे लाख से निर्मित किया गया था ताकि पांडव जब इस घर में रहने आएं तो चुपके से इसमें आग लगा कर उन्हें मारा जा सके।पूरोचन खलनायक के रूप में जाना जाता है जिन्होंने दुर्योधन और उनके दुष्ट गुरु शकुनि के आदेश के तहत लक्षग्रह का निर्माण किया था। पुरोचन स्वयं पांडवों को मारने के लिए आग में जल गये थे पर पांडवो को कुछ नहीं हुआ ।यह [[बरनावा|वार्णावत]] (वर्तमान [[बरनावा]]) नामक स्थान में बनाया गया था। पर पांडवों को यह बात पता चल गई थी। वे सकुशल इस भवन से बच निकले थे। |
||
लाक्षागृह के भस्म होने का समाचार जब हस्तिनापुर पहुँचा तो पाण्डवों को मरा समझ कर वहाँ की प्रजा अत्यन्त दुःखी हुई। दुर्योधन और धृतराष्ट्र सहित सभी कौरवों ने भी शोक मनाने का दिखावा किया और अन्त में उन्होंने पाण्डवों की अन्त्येष्टि करवा दी। |
लाक्षागृह के भस्म होने का समाचार जब हस्तिनापुर पहुँचा तो पाण्डवों को मरा समझ कर वहाँ की प्रजा अत्यन्त दुःखी हुई। दुर्योधन और धृतराष्ट्र सहित सभी कौरवों ने भी शोक मनाने का दिखावा किया और अन्त में उन्होंने पाण्डवों की अन्त्येष्टि करवा दी। |
15:48, 21 अक्टूबर 2021 का अवतरण
इस लेख को विकिफ़ाइ करने की आवश्यकता हो सकती है ताकि यह विकिपीडिया के गुणवत्ता मानकों पर खरा उतर सके। कृपया प्रासंगिक आन्तरिक कड़ियाँ जोड़कर, या लेख का लेआउट सुधार कर सहायता प्रदान करें। अधिक जानकारी के लिये दाहिनी ओर [दिखाएँ] पर क्लिक करें।
|
इस लेख का लहजा विकिपीडिया के औपचारिक लहजे को नहीं दर्शाता है। अधिक जानकारी वार्ता पृष्ठ पर मिल सकती है। |
लाक्षागृहम् महाभारत के अट्ठारह पर्वों में से एक पर है।
लाक्षागृह भारत के राज्य उत्तर प्रदेश मे प्रयागराज जिले के तहसील हंडिया से 5 किलाे मिटर दक्षिण मे स्थित है। यह एक पाैराणिक कथाओ मे से एक है। ऐसी मान्यता है। यह कथा कलयुग के प्रारम्भ हाेने से पहले कि है। जब द्वापरयुग अंत हाेेेने वाला था। थ
परिचय
लाक्षागृह एक भवन था जिसे दुर्योधन ने पांडवों के विरुद्ध एक षड्यंत्र के तहत उनके ठहरने के लिए बनाया था। इसे लाख से निर्मित किया गया था ताकि पांडव जब इस घर में रहने आएं तो चुपके से इसमें आग लगा कर उन्हें मारा जा सके।पूरोचन खलनायक के रूप में जाना जाता है जिन्होंने दुर्योधन और उनके दुष्ट गुरु शकुनि के आदेश के तहत लक्षग्रह का निर्माण किया था। पुरोचन स्वयं पांडवों को मारने के लिए आग में जल गये थे पर पांडवो को कुछ नहीं हुआ ।यह वार्णावत (वर्तमान बरनावा) नामक स्थान में बनाया गया था। पर पांडवों को यह बात पता चल गई थी। वे सकुशल इस भवन से बच निकले थे।
लाक्षागृह के भस्म होने का समाचार जब हस्तिनापुर पहुँचा तो पाण्डवों को मरा समझ कर वहाँ की प्रजा अत्यन्त दुःखी हुई। दुर्योधन और धृतराष्ट्र सहित सभी कौरवों ने भी शोक मनाने का दिखावा किया और अन्त में उन्होंने पाण्डवों की अन्त्येष्टि करवा दी।