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[[चित्र:Barnava (1).JPG|thumb|200px|[[बरनावा]] सथित लाक्षागृह का चिह्नित सथान]] |
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[[चित्र:Laakshagrah1.jpg|अंगूठाकार|लाक्षागृह के अवशेष]] |
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'''लाक्षागृहम्''' [[महाभारत]] के अट्ठारह पर्वों में से एक पर्व है। |
'''लाक्षागृहम्''' [[महाभारत]] के अट्ठारह पर्वों में से एक पर्व है। |
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लाक्षागृहम् महाभारत के अट्ठारह पर्वों में से एक पर्व है।
परिचय
लाक्षागृह एक भवन था जिसे दुर्योधन ने पांडवों के विरुद्ध एक षड्यंत्र के तहत उनके ठहरने के लिए बनाया था। इसे लाख से निर्मित किया गया था ताकि पांडव जब इस घर में रहने आएं तो चुपके से इसमें आग लगा कर उन्हें मारा जा सके। यह वार्णावत (वर्तमान बरनावा) नामक स्थान में बनाया गया था। पर पांडवों को यह बात पता चल गई थी। वे सकुशल इस भवन से बच निकले थे।
लाक्षागृह के भस्म होने का समाचार जब हस्तिनापुर पहुँचा तो पाण्डवों को मरा समझ कर वहाँ की प्रजा अत्यन्त दुःखी हुई। दुर्योधन और धृतराष्ट्र सहित सभी कौरवों ने भी शोक मनाने का दिखावा किया और अन्त में उन्होंने पाण्डवों की अन्त्येष्टि करवा दी।