"हबीब जालिब": अवतरणों में अंतर

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हबीब जालिब (उर्दू: حبیب جالب) एक पाकिस्तानी क्रांतिकारी कवि, वामपंथी कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ जिसने मार्शल लॉ, अधिनायकवाद और राज्य दमन का विरोध किया।[1] पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज ने उसे यह कह कर श्रद्धांजलि अर्पित की थी कि वह  वास्तव में आम जनता का कवि था। [2]

प्रारंभिक जीवन

हबीब जालिब का जन्म 24 मार्च 1928 को पंजाब के होशियारपुर में हुआ था। भारत के बंटवारे को हबीब जालिब नहीं मानते थे। लेकिन घर वालों की मोहब्बत में इन्हें पाकिस्तान जाना पड़ा। [3]

शायरी और कविता

तुमसे पहले जो इक शख्स यहां तख्तनशीं था
उसको भी अपने खुदा होने का इतना ही यकीं था.. हबीब जालिब की क्रांतिकारी नज़्म दस्तूर पाकिस्तान में दमन के खिलाफ आवाज़ का घोषणा पत्र बन गयी दीप जिस का महल्लात ही में जले चंद लोगों की ख़ुशियों को ले कर चले वो जो साए में हर मस्लहत के पले ऐसे दस्तूर को सुब्ह-ए-बे-नूर को मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता

राजनीतिक विचार

सन्दर्भ

  1. "जो भी सत्ता में आया, उसने इस शख्स़ को जेल में डाल दिया". मूल से 14 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2018.
  2. [1] Archived 2020-04-05 at the वेबैक मशीन, Faiz Ahmed Faiz's quote as tribute to Habib Jalib in an article, Retrieved 9 Nov 2015
  3. "गरीबों के हाथ में जलती मशाल जैसी हैं इस कवि की लिखी नज़्में". मूल से 14 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2018.