"पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव": अवतरणों में अंतर

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'''पामुलापति वेंकट नरसिंह राव''' (जन्म- 28 जून 1921, मृत्यु- 23 दिसम्बर 2004) [[भारत]] के 10 वें प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। 'लाइसेंस राज' की समाप्ति और भारतीय अर्थनीति में खुलेपन उनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही आरम्भ हुआ।<ref>{{cite web|url=https://scroll.in/article/810874/narasimha-rao-not-vajpayee-was-the-pm-who-set-india-on-a-nuclear-explosion-path|title=Narasimha Rao, not Vajpayee, was the PM who set India,s on a nuclear explosion path|access-date=27 मई 2018|archive-url=https://web.archive.org/web/20190530044127/https://scroll.in/article/810874/narasimha-rao-not-vajpayee-was-the-pm-who-set-india-on-a-nuclear-explosion-path|archive-date=30 मई 2019|url-status=dead}}</ref> ये आन्ध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे।
'''पामुलापति वेंकट नरसिंह राव''' (जन्म- 28 जून 1921, मृत्यु- 23 दिसम्बर 2004) [[भारत]] के राजनेता एवं देश के 10 वें प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। 'लाइसेंस राज' की समाप्ति और भारतीय अर्थनीति में खुलेपन उनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही आरम्भ हुआ।<ref>{{cite web|url=https://scroll.in/article/810874/narasimha-rao-not-vajpayee-was-the-pm-who-set-india-on-a-nuclear-explosion-path|title=Narasimha Rao, not Vajpayee, was the PM who set India,s on a nuclear explosion path|access-date=27 मई 2018|archive-url=https://web.archive.org/web/20190530044127/https://scroll.in/article/810874/narasimha-rao-not-vajpayee-was-the-pm-who-set-india-on-a-nuclear-explosion-path|archive-date=30 मई 2019|url-status=dead}}</ref> ये आन्ध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे।

इनके प्रधानमंत्री बनने में भाग्य का बहुत बड़ा हाथ रहा है। 21 मई 1991 को [[राजीव गांधी]] की हत्या हो गई थी। ऐसे में सहानुभूति की लहर के कारण कांग्रेस को निश्चय ही लाभ प्राप्त हुआ। 1991 के आम चुनाव दो चरणों में हुए थे। प्रथम चरण के चुनाव राजीव गांधी की हत्या से पूर्व हुए थे और द्वितीय चरण के चुनाव उनकी हत्या के बाद में। प्रथम चरण की तुलना में द्वितीय चरण के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा। इसका प्रमुख कारण राजीव गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर थी। इस चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त हुआ लेकिन वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। कांग्रेस ने 232 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। फिर नरसिम्हा राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेतृत्व प्रदान किया गया। ऐसे में उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया। सरकार अल्पमत में थी, लेकिन कांग्रेस ने बहुमत साबित करने के लायक़ सांसद जुटा लिए और कांग्रेस सरकार ने पाँच वर्ष का अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण किया। '''पीवी नरसिंह राव ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ. मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला'''


इनके प्रधानमंत्री बनने में भाग्य का बहुत बड़ा हाथ रहा है। 21 मई 1991 को [[राजीव गांधी]] की हत्या हो गई थी। ऐसे में सहानुभूति की लहर के कारण कांग्रेस को निश्चय ही लाभ प्राप्त हुआ। 1991 के आम चुनाव दो चरणों में हुए थे। प्रथम चरण के चुनाव राजीव गांधी की हत्या से पूर्व हुए थे और द्वितीय चरण के चुनाव उनकी हत्या के बाद में। प्रथम चरण की तुलना में द्वितीय चरण के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा। इसका प्रमुख कारण राजीव गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर थी। इस चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त हुआ लेकिन वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। कांग्रेस ने 232 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। फिर नरसिम्हा राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेतृत्व प्रदान किया गया। ऐसे में उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया। सरकार अल्पमत में थी, लेकिन कांग्रेस ने बहुमत साबित करने के लायक़ सांसद जुटा लिए और कांग्रेस सरकार ने पाँच वर्ष का अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण किया। '''पीवी नरसिंह राव ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ. मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला'''
== इन्हें भी देखें ==
== इन्हें भी देखें ==
* [[भारत का प्रधानमन्त्री|भारत के प्रधानमंत्री]]
* [[भारत का प्रधानमन्त्री|भारत के प्रधानमंत्री]]

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पी. वी. नरसिम्हा राव
पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव


कार्यकाल
२० जून, १९९१ – १६ मई, १९९६
पूर्ववर्ती चन्द्रशेखर
परवर्ती अटल बिहारी वाजपेयी

जन्म २८ जून १९२१
करीमनगर, आंध्र प्रदेश
मृत्यु २३ दिसंबर २००४
दिल्ली, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनैतिक दल भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस (ई)

पामुलापति वेंकट नरसिंह राव (जन्म- 28 जून 1921, मृत्यु- 23 दिसम्बर 2004) भारत के राजनेता एवं देश के 10 वें प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। 'लाइसेंस राज' की समाप्ति और भारतीय अर्थनीति में खुलेपन उनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही आरम्भ हुआ।[1] ये आन्ध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे।

इनके प्रधानमंत्री बनने में भाग्य का बहुत बड़ा हाथ रहा है। 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या हो गई थी। ऐसे में सहानुभूति की लहर के कारण कांग्रेस को निश्चय ही लाभ प्राप्त हुआ। 1991 के आम चुनाव दो चरणों में हुए थे। प्रथम चरण के चुनाव राजीव गांधी की हत्या से पूर्व हुए थे और द्वितीय चरण के चुनाव उनकी हत्या के बाद में। प्रथम चरण की तुलना में द्वितीय चरण के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा। इसका प्रमुख कारण राजीव गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर थी। इस चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त हुआ लेकिन वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। कांग्रेस ने 232 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। फिर नरसिम्हा राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेतृत्व प्रदान किया गया। ऐसे में उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया। सरकार अल्पमत में थी, लेकिन कांग्रेस ने बहुमत साबित करने के लायक़ सांसद जुटा लिए और कांग्रेस सरकार ने पाँच वर्ष का अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण किया। पीवी नरसिंह राव ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ. मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Narasimha Rao, not Vajpayee, was the PM who set India,s on a nuclear explosion path". मूल से 30 मई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2018.

बाहरी कड़ियाँ