"जीवाश्म": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
Dinesh smita (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Priscacara-liops.jpg|right|thumb|200px|एक जीवाश्म मछली]] |
[[चित्र:Priscacara-liops.jpg|right|thumb|200px|एक जीवाश्म मछली]] |
||
पृथ्वी पर किसी समय जीवित रहने वाले अति प्राचीन सजीवों के परिरक्षित अवशेषों या उनके द्वारा चट्टानों में छोड़ी गई छापों को जो पृथ्वी की सतहों या चट्टानों की परतों में सुरक्षित पाये जाते हैं उन्हें '''जीवाश्म''' (जीव + अश्म = पत्थर) कहते हैं। जीवाश्म से [[कार्बनिक विकास]] का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। इनके अध्ययन को पैलेन्टोलॉजी कहते हैं। विभिन्न प्रकार के जीवाश्मों के |
[[पृथ्वी]] पर किसी समय जीवित रहने वाले अति प्राचीन [[सजीव |सजीवों]] के परिरक्षित अवशेषों या उनके द्वारा चट्टानों में छोड़ी गई छापों को जो पृथ्वी की सतहों या चट्टानों की परतों में सुरक्षित पाये जाते हैं उन्हें '''जीवाश्म''' (जीव + अश्म = पत्थर) कहते हैं। जीवाश्म से [[कार्बनिक विकास]] का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। इनके अध्ययन को '''जीवाश्म विज्ञान''' या पैलेन्टोलॉजी कहते हैं। विभिन्न प्रकार के जीवाश्मों के निरीक्षण से पता चलता है कि पृथ्वी पर अलग-अलग कालों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जन्तु हुए हैं। प्राचीनतम जीवाश्म निक्षेपों में केवल सरलतम जीवों के अवशेष उपस्थित हैं किन्तु अभिनव निक्षेपों में क्रमशः अधिक जटिल जीवों के अवशेष प्राप्त होते हैं। ज्यों-ज्यों हम प्राचीन से नूतन कालों का अध्ययन करते हैं, जीवाश्म जीवित सजीवों से बहुत अधिक मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं। अनेक मध्यवर्ती लक्षणों वाले जीव बताते हैं कि सरल रचना वाले जीवों से जटिल रचना वाले जीवों का विकास हुआ है। अधिकांश जीवाश्म अभिलेखपूर्ण नहीं है परन्तु [[घोड़ा]], [[ऊँट]], [[हाथी]], [[मनुष्य]] आदि के जीवाश्मों की लगभग पूरी श्रृंखलाओं का पता लगाया जा चुका है जिससे कार्बनिक विकास के ठोस प्रमाण प्राप्त होते हैं। |
||
==इन्हें भी देखें== |
==इन्हें भी देखें== |
12:02, 9 अक्टूबर 2009 का अवतरण
पृथ्वी पर किसी समय जीवित रहने वाले अति प्राचीन सजीवों के परिरक्षित अवशेषों या उनके द्वारा चट्टानों में छोड़ी गई छापों को जो पृथ्वी की सतहों या चट्टानों की परतों में सुरक्षित पाये जाते हैं उन्हें जीवाश्म (जीव + अश्म = पत्थर) कहते हैं। जीवाश्म से कार्बनिक विकास का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। इनके अध्ययन को जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी कहते हैं। विभिन्न प्रकार के जीवाश्मों के निरीक्षण से पता चलता है कि पृथ्वी पर अलग-अलग कालों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जन्तु हुए हैं। प्राचीनतम जीवाश्म निक्षेपों में केवल सरलतम जीवों के अवशेष उपस्थित हैं किन्तु अभिनव निक्षेपों में क्रमशः अधिक जटिल जीवों के अवशेष प्राप्त होते हैं। ज्यों-ज्यों हम प्राचीन से नूतन कालों का अध्ययन करते हैं, जीवाश्म जीवित सजीवों से बहुत अधिक मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं। अनेक मध्यवर्ती लक्षणों वाले जीव बताते हैं कि सरल रचना वाले जीवों से जटिल रचना वाले जीवों का विकास हुआ है। अधिकांश जीवाश्म अभिलेखपूर्ण नहीं है परन्तु घोड़ा, ऊँट, हाथी, मनुष्य आदि के जीवाश्मों की लगभग पूरी श्रृंखलाओं का पता लगाया जा चुका है जिससे कार्बनिक विकास के ठोस प्रमाण प्राप्त होते हैं।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- The Virtual Fossil Museum throughout Time and Evolution
- Paleoportal, geology and fossils of the United States
- Palaeos, a multi-authored wiki encyclopedia on the history of life on Earth
- The Fossil Record, a complete listing of the families, orders, class and phyla found in the fossil record
- Bioerosion website, including fossil record
- Fossil record of life in the Coal Age