"मेगस्थनीज": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो 103.82.101.103 (Talk) के संपादनों को हटाकर Ritabharidevi के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
64 द्वार और 570 दुर्ग
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 10: पंक्ति 10:


[[चित्र:Chandragupt maurya Birla mandir 6 dec 2009 (31).JPG|अंगूठाकार|मेगस्थनीज यूनान का एक राजदूत था जो [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के दरबार में आया था।]]
[[चित्र:Chandragupt maurya Birla mandir 6 dec 2009 (31).JPG|अंगूठाकार|मेगस्थनीज यूनान का एक राजदूत था जो [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के दरबार में आया था।]]
'''मेगस्थनीज''' (Megasthenes / Μεγασθένης, 304 ईसापूर्व - 299 ईसा पूर्व) [[यूनान]] का एक राजदूत था जो [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के दरबार में आया था। [[यूनाना|यूनानी]] सामंत सिल्यूकस [[भारत]] में फिर राज्यविस्तार की इच्छा से 305 ई. पू. भारत पर आक्रमण किया था किंतु उसे संधि करने पर विवश होना पड़ा था। संधि के अनुसार मेगस्थनीज नाम का राजदूत चंद्रगुप्त के दरबार में आया था। वह कई वर्षों तक चंद्रगुप्त के दरबार में रहा। उसने जो कुछ भारत में देखा, उसका वर्णन उसने "[[इण्डिका (मेगस्थनीज द्वारा रचित पुस्तक)|इंडिका]]" नामक पुस्तक<ref name="Internet Archive 2016">{{cite web | title=Full text of "Indika. The Country and the People of India and Ceylon" | website=Internet Archive | date=23 अक्टूबर 2016 | url=https://archive.org/stream/DKC0054/DKC_0054_djvu.txt | language = en | accessdate=22 जनवरी 2018}}</ref> में किया है। मेगास्थनीज के इंडिका बुक का प्रमाण माने तो बुद्ध एक काल्पनिक व्यक्ति है क्योंकि मेगास्थनीज ने अपने पुस्तक में कहीं भी बौद्ध धम्म के बारे में कोई वर्णन नहीं किया है। मेगस्थनीज ने [[पाटलिपुत्र]] का बहुत ही सुंदर और विस्तृत वर्णन किया है। वह लिखता है कि भारत का सबसे बड़ा नगर पाटलिपुत्र है। यह नगर [[गंगा नदी|गंगा]] और [[सोन नदी|सोन]] के संगम पर बसा है। इसकी लंबाई साढ़े नौ मील और चौड़ाई पौने दो मील है। नगर के चारों ओर एक दीवार है जिसमें अनेक फाटक और दुर्ग बने हैं। नगर के अधिकांश मकान लकड़ी के बने हैं।
'''मेगस्थनीज''' (Megasthenes / Μεγασθένης, 304 ईसापूर्व - 299 ईसा पूर्व) [[यूनान]] का एक राजदूत था जो [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के दरबार में आया था। [[यूनाना|यूनानी]] सामंत सिल्यूकस [[भारत]] में फिर राज्यविस्तार की इच्छा से 305 ई. पू. भारत पर आक्रमण किया था किंतु उसे संधि करने पर विवश होना पड़ा था। संधि के अनुसार मेगस्थनीज नाम का राजदूत चंद्रगुप्त के दरबार में आया था। वह कई वर्षों तक चंद्रगुप्त के दरबार में रहा। उसने जो कुछ भारत में देखा, उसका वर्णन उसने "[[इण्डिका (मेगस्थनीज द्वारा रचित पुस्तक)|इंडिका]]" नामक पुस्तक<ref name="Internet Archive 2016">{{cite web | title=Full text of "Indika. The Country and the People of India and Ceylon" | website=Internet Archive | date=23 अक्टूबर 2016 | url=https://archive.org/stream/DKC0054/DKC_0054_djvu.txt | language = en | accessdate=22 जनवरी 2018}}</ref> में किया है। मेगास्थनीज के इंडिका बुक का प्रमाण माने तो बुद्ध एक काल्पनिक व्यक्ति है क्योंकि मेगास्थनीज ने अपने पुस्तक में कहीं भी बौद्ध धम्म के बारे में कोई वर्णन नहीं किया है। मेगस्थनीज ने [[पाटलिपुत्र]] का बहुत ही सुंदर और विस्तृत वर्णन किया है। वह लिखता है कि भारत का सबसे बड़ा नगर पाटलिपुत्र है। यह नगर [[गंगा नदी|गंगा]] और [[सोन नदी|सोन]] के संगम पर बसा है। इसकी लंबाई साढ़े नौ मील और चौड़ाई पौने दो मील है। नगर के चारों ओर एक दीवार है जिसमें 64 फाटक और 570 दुर्ग बने हैं। नगर के अधिकांश मकान लकड़ी के बने हैं।


मेगस्थनीज ने लिखा है कि सेना के छोटे बड़े सैनिकों को राजकोष से नकद वेतन दिया जाता था। सेना के काम और प्रबंध में राजा स्वयं दिलचस्पी लेता था। रणक्षेत्रों में वे शिविरों में रहते थे और सेवा और सहायता के लिए राज्य से उन्हें नौकर भी दिए जाते थे।
मेगस्थनीज ने लिखा है कि सेना के छोटे बड़े सैनिकों को राजकोष से नकद वेतन दिया जाता था। सेना के काम और प्रबंध में राजा स्वयं दिलचस्पी लेता था। रणक्षेत्रों में वे शिविरों में रहते थे और सेवा और सहायता के लिए राज्य से उन्हें नौकर भी दिए जाते थे।

18:45, 4 मार्च 2021 का अवतरण

मेगस्थनीज
जन्म c. 350 BCE[उद्धरण चाहिए]
मौत c. 290 BCE[उद्धरण चाहिए]
राष्ट्रीयता Greek
पेशा Historian and राजदूत
प्रसिद्धि का कारण इंडिका, a book on ancient India
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}
मेगस्थनीज यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था।

मेगस्थनीज (Megasthenes / Μεγασθένης, 304 ईसापूर्व - 299 ईसा पूर्व) यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। यूनानी सामंत सिल्यूकस भारत में फिर राज्यविस्तार की इच्छा से 305 ई. पू. भारत पर आक्रमण किया था किंतु उसे संधि करने पर विवश होना पड़ा था। संधि के अनुसार मेगस्थनीज नाम का राजदूत चंद्रगुप्त के दरबार में आया था। वह कई वर्षों तक चंद्रगुप्त के दरबार में रहा। उसने जो कुछ भारत में देखा, उसका वर्णन उसने "इंडिका" नामक पुस्तक[1] में किया है। मेगास्थनीज के इंडिका बुक का प्रमाण माने तो बुद्ध एक काल्पनिक व्यक्ति है क्योंकि मेगास्थनीज ने अपने पुस्तक में कहीं भी बौद्ध धम्म के बारे में कोई वर्णन नहीं किया है। मेगस्थनीज ने पाटलिपुत्र का बहुत ही सुंदर और विस्तृत वर्णन किया है। वह लिखता है कि भारत का सबसे बड़ा नगर पाटलिपुत्र है। यह नगर गंगा और सोन के संगम पर बसा है। इसकी लंबाई साढ़े नौ मील और चौड़ाई पौने दो मील है। नगर के चारों ओर एक दीवार है जिसमें 64 फाटक और 570 दुर्ग बने हैं। नगर के अधिकांश मकान लकड़ी के बने हैं।

मेगस्थनीज ने लिखा है कि सेना के छोटे बड़े सैनिकों को राजकोष से नकद वेतन दिया जाता था। सेना के काम और प्रबंध में राजा स्वयं दिलचस्पी लेता था। रणक्षेत्रों में वे शिविरों में रहते थे और सेवा और सहायता के लिए राज्य से उन्हें नौकर भी दिए जाते थे।

पाटलिपुत्र पर उसका विस्तृत लेख मिलता है। पाटलिपुत्र को वह समानांतर चतुर्भुज नगर कहता है। इस नगर में चारों ओर लकड़ी की प्राचीर है जिसके भीतर तीर छोड़ने के स्थान बने हैं। वह कहता है कि इस राजप्रासाद की सुंदरता के सामने ईरानी राजप्रासाद सूस्का और इकबतना फीके लगते हैं। उद्यान में देशी तथा विदेशी दोनों प्रकार के वृक्ष लगाए गए हैं। राजा का जीवन बड़ा ही ऐश्वर्यमय है।

मेगस्थनीज ने चंद्रगुप्त के राजप्रासाद का बड़ा ही सजीव वर्णन किया है। सम्राट् का भवन पाटलिपुत्र के मध्य में स्थित था। भवन चारों ओर संुदर एवं रमणीक उपवनों तथा उद्यानों से घिरा था।

प्रासाद के इन उद्यानों में लगाने के लिए दूर-दूर से वृक्ष मँगाए जाते थे। भवन में मोर पाले जाते थे। भवन के सरोवर में बड़ी-बड़ी मछलियाँ पाली जाती थीं। सम्राट् प्राय: अपने भवन में ही रहता था और युद्ध, न्याय तथा आखेट के समय ही बाहर निकलता था। दरबार में अच्छी सजावट होती थी और सोने-चाँदी के बर्तनों से आँखों में चकाचौंध पैदा हो जाती थी। राजा राजप्रसाद से सोने की पालकी या हाथी पर बाहर निकलता था। सम्राट् की वर्षगाँठ बड़े समारोह के साथ मनाई जाती थी। राज्य में शांति और अच्छी व्यवस्था रहती थीं। अपराध कम होते थे। प्राय: लोगों के घरों में ताले नहीं बंद होते थे।

सन्दर्भ

  1. "Full text of "Indika. The Country and the People of India and Ceylon"". Internet Archive (अंग्रेज़ी में). 23 अक्टूबर 2016. अभिगमन तिथि 22 जनवरी 2018.

बाहरी कड़ियाँ