"आम्हीही इतिहास घडवला (किताब)": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
→‎रचना: अंकों में एकरूपता
छो →‎प्रतिक्रियाएँ: क्रिया-पद में लिंग की संगति
पंक्ति 5: पंक्ति 5:


==प्रतिक्रियाएँ==
==प्रतिक्रियाएँ==
यह किताब [[दलित]] समुदाय और [[दलित नारीवाद]] के क्षेत्र में एक खज़ाना मानी जाती है जो सिद्धांतों के जगह महिलाओं द्वारा अनुभव किए गए घटनाओं को आधार लेकर दलित समुदाय और महिलाओं के इतिहास का विवरण और विश्लेषण करता है।<ref name="Hindu">{{cite news|url=http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-features/tp-bookreview/historic-feminist-struggle/article1446525.ece|title=Historic Feminist Struggle|last=Mangai, A.|date=30 December 2008|access-date=17 June 2016|agency=The Hindu thehindu.com}}</ref>
यह किताब [[दलित]] समुदाय और [[दलित नारीवाद]] के क्षेत्र में एक खज़ाना मानी जाती है जो सिद्धांतों के जगह महिलाओं द्वारा अनुभव किए गए घटनाओं को आधार लेकर दलित समुदाय और महिलाओं के इतिहास का विवरण और विश्लेषण करती है।<ref name="Hindu">{{cite news|url=http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-features/tp-bookreview/historic-feminist-struggle/article1446525.ece|title=Historic Feminist Struggle|last=Mangai, A.|date=30 December 2008|access-date=17 June 2016|agency=The Hindu thehindu.com}}</ref>


==संदर्भ==
==संदर्भ==

16:26, 3 फ़रवरी 2021 का अवतरण

आम्हीही इतिहास घडवला (अनुवाद. हमने भी इतिहास बनाया) भीमराव आम्बेडकर द्वारा शुरू किए गए दलित आंदोलन में संलग्न महिलाओं की विस्तृत इतिहास प्रस्तुत करने वाली पहली मराठी भाषा में लिखित किताब है।[1] उर्मिला पवार और मिनाक्षी मून द्वारा संपादित यह किताब की पहली संस्करण 1989 में प्रकाशित हुई थी और 2008 में वंदना सोनालकर द्वारा अनुवादित अंग्रेज़ी भाषा संस्करण का प्रकाशन हुआ था।[2]

रचना

यह किताब दो खंड में विभाजित है। पहले खंड में आम्बेडकरी आंदोलन और बीसवीं सदी में आयोजित सभी आन्दोलनों में महिलाओं की सहभागिता व संलग्नता का विश्लेषण किया गया है। दुसरे खंड में कुल 45 दलित महिलाओं की जीवनी और अन्तरवार्ता पेश किए गए है। इनमे आम्बेडकर की पहली पत्नी रमाबाई आम्बेडकर, 1942 में नागपुर स्थित अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महिला परिषद की अध्यक्ष सुलोचनाबाई डोंगरे और 1956 में अखिल भारतीय बौद्ध महिला असोसिएशन की अध्यक्ष सखुबाई मोहिते की जीवनियाँ शामिल है।

प्रतिक्रियाएँ

यह किताब दलित समुदाय और दलित नारीवाद के क्षेत्र में एक खज़ाना मानी जाती है जो सिद्धांतों के जगह महिलाओं द्वारा अनुभव किए गए घटनाओं को आधार लेकर दलित समुदाय और महिलाओं के इतिहास का विवरण और विश्लेषण करती है।[3]

संदर्भ

  1. "We Also Made History". University of Chicago Press press.uchicago.edu. अभिगमन तिथि 17 June 2016.
  2. Pawar, Urmila and Meenakshi Moon (2008). We Also Made History. Zubaan. पपृ॰ New Delhi. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9383074744.
  3. Mangai, A. (30 December 2008). "Historic Feminist Struggle". The Hindu thehindu.com. अभिगमन तिथि 17 June 2016.