"सोला स्क्रिप्तूरा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Martin_Luther,_1529.jpg|200px|right|thumb|मार्टिन लूथर (१४८३ - १५४६) एक [[प्रोटेस्टेंट संप्रदाय|प्रोटेस्टैंट]] पादरी थे जो [[कैथोलिक कलीसिया|कैथोलिक धर्म]] की निन्दा करते थे और सोला स्क्रिप्तूरा पर विश्वास करते थे]]
[[चित्र:Martin_Luther,_1529.jpg|200px|right|thumb|मार्टिन लूथर (१४८३ - १५४६) एक [[प्रोटेस्टेंट संप्रदाय|प्रोटेस्टैंट]] पादरी थे जो [[कैथोलिक कलीसिया|कैथोलिक पंथ]] की निन्दा करते थे और सोला स्क्रिप्तूरा पर विश्वास करते थे]]
'''सोला स्क्रिप्तूरा''' (Sola Scriptura) [[ईसाई धर्म]] के कुछ पंथों की यह मान्यता है कि धर्म में केवल वही मान्य होना चाहिये जो ईसाई धर्मग्रंथ [[बाइबिल]] में लिखा गया है और इस से अलग किसी मानव या पुस्तक द्वारा जो भी कहा गया है वह अधिकारिक नहीं माना जा सकता।<ref>Humphrey, Edith M. (2013). Scripture and Tradition: What the Bible Really Says. Grand Rapids, Michigan: Baker Academic. ISBN 978-1-4412-4048-4.</ref><ref>Johnson, Alan F.; Webber, Robert E. (1993) [1989]. What Christians Believe: An Overview of Theology and Its Biblical and Historical Development. Grand Rapids, Michigan: Zondervan. ISBN 978-0-310-36721-5.</ref> ईसाई धर्म के विकास में समय के साथ-साथ कई परम्पराएँ जुड़ गई थी, जैसे कि [[कैथोलिक कलीसिया|कैथोलिक धर्म]] में प्रत्येक [[पोप]] ने कई नियम बानाए व घोषणाएँ की जिनका पालन करा जाता था। जब [[प्रोटेस्टेंट संप्रदाय|प्रोटेस्टैंट धर्म]] उभरा तो उसकी कई शाखाओं ने सोला स्क्रिप्तूरा के सिद्धांत को बढ़ावा दिया जिसमें पोप द्वारा कही बातो को अमान्य ठहराया गया और केवल बाइबिल को ही धर्माधार माना गया। इस बात को लेकर वर्तमान तक कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट अनुयायी आपस में गहरा मतभेद रखते हैं।<ref>Armstrong, Dave (2004). The Catholic Verses: 95 Bible Passages That Confound Protestants. Manchester, New Hampshire: Sophia Institute Press. ISBN 978-1-928832-73-7.</ref><ref>Mathison, Keith A. (2001). [https://en.wikipedia.org/wiki/The_Shape_of_Sola_Scriptura The Shape of Sola Scriptura] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20171120073245/https://en.wikipedia.org/wiki/The_Shape_of_Sola_Scriptura |date=20 नवंबर 2017 }}. Moscow, Idaho: Canon Press. ISBN 978-1-885767-74-5.</ref>
'''सोला स्क्रिप्तूरा''' (Sola Scriptura) [[ईसाई धर्म|ईसाई पंथ]] के कुछ पंथों की यह मान्यता है कि पंथ में केवल वही मान्य होना चाहिये जो ईसाई र्ग्रथ [[बाइबिल]] में लिखा गया है और इस से अलग किसी मानव या पुस्तक द्वारा जो भी कहा गया है वह अधिकारिक नहीं माना जा सकता।<ref>Humphrey, Edith M. (2013). Scripture and Tradition: What the Bible Really Says. Grand Rapids, Michigan: Baker Academic. ISBN 978-1-4412-4048-4.</ref><ref>Johnson, Alan F.; Webber, Robert E. (1993) [1989]. What Christians Believe: An Overview of Theology and Its Biblical and Historical Development. Grand Rapids, Michigan: Zondervan. ISBN 978-0-310-36721-5.</ref> ईसाई पंथ के विकास में समय के साथ-साथ कई परम्पराएँ जुड़ गई थी, जैसे कि [[कैथोलिक कलीसिया|कैथोलिक पंथ]] में प्रत्येक [[पोप]] ने कई नियम बानाए व घोषणाएँ की जिनका पालन करा जाता था। जब [[प्रोटेस्टेंट संप्रदाय|प्रोटेस्टैंट पंथ]] उभरा तो उसकी कई शाखाओं ने सोला स्क्रिप्तूरा के सिद्धांत को बढ़ावा दिया जिसमें पोप द्वारा कही बातो को अमान्य ठहराया गया और केवल बाइबिल को ही माना गया। इस बात को लेकर वर्तमान तक कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट अनुयायी आपस में गहरा मतभेद रखते हैं।<ref>Armstrong, Dave (2004). The Catholic Verses: 95 Bible Passages That Confound Protestants. Manchester, New Hampshire: Sophia Institute Press. ISBN 978-1-928832-73-7.</ref><ref>Mathison, Keith A. (2001). [[:en:The_Shape_of_Sola_Scriptura|The Shape of Sola Scriptura]] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20171120073245/https://en.wikipedia.org/wiki/The_Shape_of_Sola_Scriptura|date=20 नवंबर 2017}}. Moscow, Idaho: Canon Press. ISBN 978-1-885767-74-5.</ref>


== इन्हें भी देखें ==
== इन्हें भी देखें ==

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मार्टिन लूथर (१४८३ - १५४६) एक प्रोटेस्टैंट पादरी थे जो कैथोलिक पंथ की निन्दा करते थे और सोला स्क्रिप्तूरा पर विश्वास करते थे

सोला स्क्रिप्तूरा (Sola Scriptura) ईसाई पंथ के कुछ पंथों की यह मान्यता है कि पंथ में केवल वही मान्य होना चाहिये जो ईसाई र्ग्रथ बाइबिल में लिखा गया है और इस से अलग किसी मानव या पुस्तक द्वारा जो भी कहा गया है वह अधिकारिक नहीं माना जा सकता।[1][2] ईसाई पंथ के विकास में समय के साथ-साथ कई परम्पराएँ जुड़ गई थी, जैसे कि कैथोलिक पंथ में प्रत्येक पोप ने कई नियम बानाए व घोषणाएँ की जिनका पालन करा जाता था। जब प्रोटेस्टैंट पंथ उभरा तो उसकी कई शाखाओं ने सोला स्क्रिप्तूरा के सिद्धांत को बढ़ावा दिया जिसमें पोप द्वारा कही बातो को अमान्य ठहराया गया और केवल बाइबिल को ही माना गया। इस बात को लेकर वर्तमान तक कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट अनुयायी आपस में गहरा मतभेद रखते हैं।[3][4]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Humphrey, Edith M. (2013). Scripture and Tradition: What the Bible Really Says. Grand Rapids, Michigan: Baker Academic. ISBN 978-1-4412-4048-4.
  2. Johnson, Alan F.; Webber, Robert E. (1993) [1989]. What Christians Believe: An Overview of Theology and Its Biblical and Historical Development. Grand Rapids, Michigan: Zondervan. ISBN 978-0-310-36721-5.
  3. Armstrong, Dave (2004). The Catholic Verses: 95 Bible Passages That Confound Protestants. Manchester, New Hampshire: Sophia Institute Press. ISBN 978-1-928832-73-7.
  4. Mathison, Keith A. (2001). The Shape of Sola Scriptura Archived 2017-11-20 at the वेबैक मशीन. Moscow, Idaho: Canon Press. ISBN 978-1-885767-74-5.