"स्नातक": अवतरणों में अंतर

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* [[स्नातक डिग्री]]: [[विश्वविद्यालय]] की पहली उपाधि या [[ग्रेजुएट]] (जैसे बैचलर ऑफ़ आर्ट या साइंस)<ref>{{cite web|url=http://www.shabdkosh.com|title=अंग्रेजी हिन्दी शब्दकोश|access-date=[[28 जुलाई]] [[2007]]|format=|publisher=शब्दकोश.कॉम|language=en-हिन्दी|archive-url=https://web.archive.org/web/20070714223543/http://www.shabdkosh.com/|archive-date=14 जुलाई 2007|url-status=dead}}</ref>
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* [[ब्रह्मचर्य आश्रम]] में रहते हुए गुरुकुल में सफलता पूर्वक शिक्षा पूरी करने वाले विद्यार्थी को एक समारोह में पवित्र जल से स्नान करा कर सम्मानित किया जाता था। इस प्रकार के स्नान को प्राप्त किया हुआ विद्वान विद्यार्थी स्नातक कहलाता था।<ref>{{cite book |last=आप्टे |first= वामन शिवराम|title= संस्कृत हिन्दी कोश|year= 1969 |publisher= मोतीलाल बनारसीदास|location= दिल्ली, पटना, वाराणसी भारत|id= |page= 1145|editor: वामन शिवराम आप्टे|access-date= 27 जुलाई 2007}}</ref>
* [[ब्रह्मचर्य आश्रम]] में रहते हुए गुरुकुल में सफलता पूर्वक शिक्षा पूरी करने वाले विद्यार्थी को एक समारोह में पवित्र जल से स्नान करा कर सम्मानित किया जाता था। इस प्रकार के स्नान को प्राप्त किया हुआ विद्वान विद्यार्थी स्नातक कहलाता था।<ref>{{cite book |last=आप्टे |first= वामन शिवराम|title= संस्कृत हिन्दी कोश|year= 1969 |publisher= मोतीलाल बनारसीदास|location= दिल्ली, पटना, वाराणसी भारत|id= |page= 1145|editor: वामन शिवराम आप्टे|access-date= 27 जुलाई 2007}}</ref>hrii7uuujjurhjiiittnngdhiitgkittg


== परिचय ==
== परिचय ==

17:03, 23 जनवरी 2021 का अवतरण

स्नातक शब्द के कई अर्थ हैं।

  • ब्रह्मचर्य आश्रम में रहते हुए गुरुकुल में सफलता पूर्वक शिक्षा पूरी करने वाले विद्यार्थी को एक समारोह में पवित्र जल से स्नान करा कर सम्मानित किया जाता था। इस प्रकार के स्नान को प्राप्त किया हुआ विद्वान विद्यार्थी स्नातक कहलाता था।[2]hrii7uuujjurhjiiittnngdhiitgkittg

परिचय

स्नातक, भारतीय शिक्षापद्धति का ग्रैजुएट (graduate) कहा जा सकता है। वर्णाश्रम और शिक्षा ग्रहण का भारतीय विधान यह था कि द्विज ब्रह्मचारी यज्ञोपवीत संस्कार के बाद अपनी शिक्षा की पूर्णता के उद्देश्य से गुरुकुल (गुरु के घर) जाए। वहाँ ब्रह्मचर्य और शिक्षा समाप्त कर चुकने पर उस ब्रह्मचारी का समावर्तन संस्कार होता और वह गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने के लिए घर लौटता था। लौटते समय उसे एक प्रकार का याज्ञिक स्नान कराया जाता था, जिससे उसे स्नातक की संज्ञा मिलती थी। शिक्षा, संस्कार तथा विनय की पूर्णता अथवा अपूर्णता की दृष्टि से स्नातकों के तीन प्रकार माने जाते थे। वेदाध्ययन मात्र को पूर्ण करनेवाले की विद्यास्नातक संज्ञा होती थी। वह ज्ञानप्राप्ति के बाद घर वापस चला जाता था। व्रतस्नातक वह होता, जिसने ब्रह्मचर्याश्रम के सभी व्रतों (विनय और नियमों) का तो पालन कर लिया हो, किंतु वेदाध्ययन की पूर्णता न प्राप्त की हो। विद्याव्रत स्नातक का तीसरा प्रकार ही विशिष्ट था, जिसमें अध्ययन और व्रतनियमादि की समान सिद्धि प्राप्त की जा चुकी हो। कभी कभी स्नातक अपनी शिक्षा प्राप्त कर घर नहीं लौटता था, अपितु गुरुकुल में ही अध्यापन का कार्य शुरु कर देता था। किंतु इससे उसके स्नातकत्व में कोई कमी नहीं पड़ती थी।

सन्दर्भ

  1. "अंग्रेजी हिन्दी शब्दकोश" (अंग्रेज़ी में). शब्दकोश.कॉम. मूल से 14 जुलाई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 जुलाई 2007. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. आप्टे, वामन शिवराम (1969). संस्कृत हिन्दी कोश. दिल्ली, पटना, वाराणसी भारत: मोतीलाल बनारसीदास. पृ॰ 1145. पाठ "editor: वामन शिवराम आप्टे" की उपेक्षा की गयी (मदद); |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)