"भगवान": अवतरणों में अंतर

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== भगवान कहाँ हैं ? ==
== भगवान कहाँ हैं ? ==
वास्तव में भगवान हैं! भगवान तो आपके अन्दर ही हैं। परम पूज्य दादाश्री कहते हैं '''“गोड इज इन एवरी लिविंग क्रिएचर, वेधर विज़ीबल और इनविज़ीबल।”''' भगवान सभी जीवों में रहते हैं, फिर भले ही वे आँख से दिखनेवाले हों या न दिखनेवाले हों। यह देह तो पैकिंग (खोखा) है। भीतर बैठे हैं, वे भगवान हैं। यह आपका भी देह रूपी पैकिंग है और भीतर भगवान विराजे हैं। यह गधा है, तो यह भी गधे का पैकिंग है और भीतर भगवान विराजे हैं। यह पैकिंग तो कैसा भी हो सकता है। कोई सागवान का होता है, कोई आम की लकड़ी का होता है। ये व्यापारी पैकिंग देखते हैं या भीतर का माल देखते हैं?<ref>{{cite web|url=https://hindi.dadabhagwan.org/path-to-happiness/spiritual-science/knowing-god/|title=Bhagwan Ki Pehchaan|last=|first=|date=|website=www.dadabhagwan.org|language=en|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=2021-01-02}}</ref>
वास्तव में भगवान हैं! भगवान तो आपके अन्दर ही हैं। परम पूज्य दादाश्री कहते हैं '''“गोड इज इन एवरी लिविंग क्रिएचर, वेधर विज़ीबल और इनविज़ीबल।”''' भगवान सभी जीवों में रहते हैं, फिर भले ही वे आँख से दिखनेवाले हों या न दिखनेवाले हों। यह देह तो पैकिंग (खोखा) है। भीतर बैठे हैं, वे भगवान हैं। यह आपका भी देह रूपी पैकिंग है और भीतर भगवान विराजे हैं। यह गधा है, तो यह भी गधे का पैकिंग है और भीतर भगवान विराजे हैं। यह पैकिंग तो कैसा भी हो सकता है। कोई सागवान का होता है, कोई आम की लकड़ी का होता है। ये व्यापारी पैकिंग देखते हैं या भीतर का माल देखते हैं?<ref>{{cite web|url=https://hindi.dadabhagwan.org/path-to-happiness/spiritual-science/knowing-god/|title=Bhagwan Ki Pehchaan|last=|first=|date=|website=www.dadabhagwan.org|language=en|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=2021-01-02}}</ref>

== नोट ==

14:05, 2 जनवरी 2021 का अवतरण

भगवान गुण वाचक शब्द है जिसका अर्थ गुणवान होता है। यह "भग" धातु से बना है ,भग के ६ अर्थ है:- १-ऐश्वर्य २-वीर्य ३-स्मृति ४-यश ५-ज्ञान और ६-सौम्यता जिसके पास ये ६ गुण है वह भगवान है।

संस्कृत भाषा में भगवान "भंज" धातु से बना है जिसका अर्थ हैं:- सेवायाम् । जो सभी की सेवा में लगा रहे कल्याण और दया करके सभी मनुष्य जीव ,भूमि गगन वायु अग्नि नीर को दूषित ना होने दे सदैव स्वच्छ रखे वो भगवान का भक्त होता है

संज्ञा

संज्ञा के रूप में भगवान् हिन्दी में लगभग हमेशा ईश्वर / परमेश्वर का मतलब रखता है। इस रूप में ये देवताओं के लिये नहीं प्रयुक्त होता।

विशेषण

विशेषण के रूप में भगवान् हिन्दी में ईश्वर / परमेश्वर का मतलब नहीं रखता। इस रूप में ये देवताओं, विष्णु और उनके अवतारों (राम, कृष्ण), शिव, आदरणीय महापुरुषों जैसे, महावीर, धर्मगुरुओं, गीता, इत्यादि के लिये उपाधि है। इसका स्त्रीलिंग भगवती है।

इन्हें भी देखें

भगवान कहाँ हैं ?

वास्तव में भगवान हैं! भगवान तो आपके अन्दर ही हैं। परम पूज्य दादाश्री कहते हैं “गोड इज इन एवरी लिविंग क्रिएचर, वेधर विज़ीबल और इनविज़ीबल।” भगवान सभी जीवों में रहते हैं, फिर भले ही वे आँख से दिखनेवाले हों या न दिखनेवाले हों। यह देह तो पैकिंग (खोखा) है। भीतर बैठे हैं, वे भगवान हैं। यह आपका भी देह रूपी पैकिंग है और भीतर भगवान विराजे हैं। यह गधा है, तो यह भी गधे का पैकिंग है और भीतर भगवान विराजे हैं। यह पैकिंग तो कैसा भी हो सकता है। कोई सागवान का होता है, कोई आम की लकड़ी का होता है। ये व्यापारी पैकिंग देखते हैं या भीतर का माल देखते हैं?[1]

नोट

  1. "Bhagwan Ki Pehchaan". www.dadabhagwan.org (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-01-02.