"राग हंसध्वनि": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
* इस [[राग]] को सही तरीके से जानने के लिये अगर इसे सुना जाये तो ज्यादा सही होगा। इस राग पर [[हिन्दी]] फिल्मों में कई गाने बने हैं हैं जिनमें सबसे मशहूर है जा तोसे नाहीं बोलूं कन्हैया। आप [[पारुल]] के चिट्ठे पर उस्ताद [[राशिद खां]] साहब की आवाज में एक [[बंदिश]] सुन सकते हैं। बंदिश का मुखड़ा है लागी लगन पति सखी संग [http://parulchaandpukhraajka.blogspot.com/2008/12/blog-post.html पारुल चांद पुखराज का]।
* इस [[राग]] को सही तरीके से जानने के लिये अगर इसे सुना जाये तो ज्यादा सही होगा। इस राग पर [[हिन्दी]] फिल्मों में कई गाने बने हैं हैं जिनमें सबसे मशहूर है जा तोसे नाहीं बोलूं कन्हैया। आप [[पारुल]] के चिट्ठे पर उस्ताद [[राशिद खां]] साहब की आवाज में एक [[बंदिश]] सुन सकते हैं। बंदिश का मुखड़ा है लागी लगन पति सखी संग [http://parulchaandpukhraajka.blogspot.com/2008/12/blog-post.html पारुल चांद पुखराज का]।
==श्रेणी==
==श्रेणी==
[[श्रेणी: शास्त्रीय संगीत]], [[राग]]
[[शास्त्रीय संगीत]], [[राग]], [[भारतीय शास्त्रीय संगीत]]

16:30, 21 सितंबर 2009 का अवतरण

राग हंसध्वनि कनार्टक पद्धति का राग है परन्तु आजकल इसका उत्तर भारत मे भी काफी प्रचार है । इसके थाट के विषय में दो मत हैं कुछ विद्वान इसे बिलावल थाट तो कुछ कल्याण थाट जन्य भी मानते हैं । इस राग में मध्यम तथा धैवत स्वर वर्जित हैं अत: इसकी जाति औडव-औडव मानी जाती है । सभी शुद्ध स्वरों के प्रयोग के साथ ही पंचम रिषभ,रिषभ निषाद एवम षडज पंचम की स्वर संगतियाँ बार बार प्रयुक्त होती हैं । इसके निकट के रागो में राग शंकरा का नाम लिया जाता है । गायन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर है ।

आरोह-सा रे,ग प नि सां

अवरोह-सां नि प ग रे,ग रे,नि (मन्द्र) प(मन्द्र) सा ।

पकड़-नि प ग रे,रे ग प रे सा

स्रोत्र

  • इस राग को सही तरीके से जानने के लिये अगर इसे सुना जाये तो ज्यादा सही होगा। इस राग पर हिन्दी फिल्मों में कई गाने बने हैं हैं जिनमें सबसे मशहूर है जा तोसे नाहीं बोलूं कन्हैया। आप पारुल के चिट्ठे पर उस्ताद राशिद खां साहब की आवाज में एक बंदिश सुन सकते हैं। बंदिश का मुखड़ा है लागी लगन पति सखी संग पारुल चांद पुखराज का

श्रेणी

शास्त्रीय संगीत, राग, भारतीय शास्त्रीय संगीत