"अम्बिका प्रसाद दिव्य": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Ambikaprasad divya.jpg|thumb|right|200px|अम्बिका प्रसाद दिव्य]] श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य([[१६ मार्च]] [[१९०६]] - [[५ सितम्बर]] [[१९८६]]) शिक्षाविद और हिन्दी साहित्यकार थे। उनका जन्म [[अजयगढ़]] [[पन्ना जिला| पन्ना]] के सुसंस्कृत कायस्थ परिवार में हुआ था। हिन्दी में स्नातकोत्तर और साहित्यरत्न उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने [[मध्य प्रदेश]] के शिक्षा विभाग में सेवा कार्य प्रारंभ किया और प्राचार्य पद से सेवा निवृत हुए। वें [[अँग्रेजी]], [[संस्कृत]], [[रूसी]], [[फारसी]], [[उर्दू]] भाषाओं के जानकार और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। ५ सितम्बर १९८६ ई. को शिक्षक दिवस समारोह में भाग लेते हुये हृदय-गति रुक जाने से उनका देहावसान हो गया। दिव्य जी के उपन्यासों का केन्द्र बिन्दु बुन्देलखंड अथवा बुन्देले नायक हैं। बेल कली, पन्ना नरेश अमान सिंह, जय दुर्ग का रंग महल, अजयगढ़, सती का पत्थर, गठौरा का युद्ध, बुन्देलखण्ड का महाभारत, पीताद्रे का राजकुमारी, रानी दुर्गावती तथा निमिया की पृष्ठभूमि [[बुन्देलखंड]] का जनजीवन है। दिव्य जी का पद्य साहित्य [[मैथिली शरण गुप्त]], नाटक साहित्य [[रामकुमार वर्मा]] तथा उपन्यास साहित्य [[वृंदावन लाल वर्मा]] जैसे शीर्ष साहित्यकारों के सन्निकट हैं।<ref>{{cite web |url= http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/bund0016.htm#siyaramsharan| title= अम्बिका प्रसाद दिव्य |accessmonthday=[[६ जून]]|accessyear=[[२००७]]|format= एचटीएम|publisher=भारत सरकार }}</ref> |
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==प्रकाशित कृतियाँ== |
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उपन्यास- खजुराहो की अतिरुपा, प्रीताद्रि की राजकुमारी, काला भौंरा, योगी राजा, सती का पत्थर, फजल का मकबरा, जूठी पातर, जयदुर्ग का राजमहल, असीम का सीमा, प्रेमी तपस्वी आदि प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यासों की रचना की। निमिया, मनोवेदना तथा बेलकली। |
उपन्यास- खजुराहो की अतिरुपा, प्रीताद्रि की राजकुमारी, काला भौंरा, योगी राजा, सती का पत्थर, फजल का मकबरा, जूठी पातर, जयदुर्ग का राजमहल, असीम का सीमा, प्रेमी तपस्वी आदि प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यासों की रचना की। निमिया, मनोवेदना तथा बेलकली। |
10:38, 20 सितंबर 2009 का अवतरण
श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य(१६ मार्च १९०६ - ५ सितम्बर १९८६) शिक्षाविद और हिन्दी साहित्यकार थे। उनका जन्म अजयगढ़ पन्ना के सुसंस्कृत कायस्थ परिवार में हुआ था। हिन्दी में स्नातकोत्तर और साहित्यरत्न उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में सेवा कार्य प्रारंभ किया और प्राचार्य पद से सेवा निवृत हुए। वें अँग्रेजी, संस्कृत, रूसी, फारसी, उर्दू भाषाओं के जानकार और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। ५ सितम्बर १९८६ ई. को शिक्षक दिवस समारोह में भाग लेते हुये हृदय-गति रुक जाने से उनका देहावसान हो गया। दिव्य जी के उपन्यासों का केन्द्र बिन्दु बुन्देलखंड अथवा बुन्देले नायक हैं। बेल कली, पन्ना नरेश अमान सिंह, जय दुर्ग का रंग महल, अजयगढ़, सती का पत्थर, गठौरा का युद्ध, बुन्देलखण्ड का महाभारत, पीताद्रे का राजकुमारी, रानी दुर्गावती तथा निमिया की पृष्ठभूमि बुन्देलखंड का जनजीवन है। दिव्य जी का पद्य साहित्य मैथिली शरण गुप्त, नाटक साहित्य रामकुमार वर्मा तथा उपन्यास साहित्य वृंदावन लाल वर्मा जैसे शीर्ष साहित्यकारों के सन्निकट हैं।[1]
प्रकाशित कृतियाँ
उपन्यास- खजुराहो की अतिरुपा, प्रीताद्रि की राजकुमारी, काला भौंरा, योगी राजा, सती का पत्थर, फजल का मकबरा, जूठी पातर, जयदुर्ग का राजमहल, असीम का सीमा, प्रेमी तपस्वी आदि प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यासों की रचना की। निमिया, मनोवेदना तथा बेलकली।
महाकाव्य तथा कविता संग्रह- गाँधी परायण, अंतर्जगत, रामदपंण, खजुराहो की रानी, दिव्य दोहावली, पावस, पिपासा, स्रोतस्विनी, पश्यन्ति, चेतयन्ति, अनन्यमनसा, विचिन्तयंति तथा भारतगीत।
नाटक- लंकेश्वर, भोजनन्दन कंस, निर्वाण पथ, तीन पग, कामधेनु, सूत्रपात, चरण चिन्ह, प्रलय का बीज, रुपक सरिता, रुपक मंजरी, फूटी आँखे, भारत माता तथा झाँसी की रानी।
सम्मान पुरस्कार
उनकी रचनाएँ निबन्ध विविधा, दीप सरिता और हमारी चित्रकला मध्य प्रदेश शासन के छत्रसाल पुरस्कार द्वारा सम्मानित हैं। वीमेन ऑफ़ खजुराहो अंग्रेजी की सुप्रसिद्ध रचना है। उन्हें १९६० में आदर्श प्राचार्य के रुप में भी सम्मानित किया गया था। दिव्य जी का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाश्य है। उनकी स्मृति में साहित्य सदन भोपाल द्वारा अखिल भारतीय अम्बिकाप्रसाद दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कार से प्रति वर्ष तीन साहित्यकारों को पुरस्कृत किया जाता है।[2]
संदर्भ
- ↑ "अम्बिका प्रसाद दिव्य" (एचटीएम). भारत सरकार. नामालूम प्राचल
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की उपेक्षा की गयी (|access-date=
सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल|accessmonthday=
की उपेक्षा की गयी (मदद) - ↑ "हिंदी के प्रमुख सम्मान और पुरस्कार" (एचटीएम). सृजनगाथा. नामालूम प्राचल
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की उपेक्षा की गयी (|access-date=
सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल|accessmonthday=
की उपेक्षा की गयी (मदद)