"हेमा उपाध्याय": अवतरणों में अंतर

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| training = Completed her Bachelor's (Painting) and Master's (Printmaking) in Fine Arts from M.S. University, Baroda in 1995 and 1997 respectively.
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'''हेमा उपाध्याय''' एक भारतीय कलाकार थीं. उनका जन्म 1972 में बड़ौदा, [[भारत]] में हुआ था. 1998 के बाद से [[मुम्बई|मुंबई]] शहर में रहीं. 11 दिसंबर 2015 में उनकी और उनके वकील की हत्या कर दी गई.<ref>{{Cite web |url=http://www.jagran.com/news/national-vidyadhar-rajbhar-killed-hema-upadhyay-in-a-fit-of-anger-after-she-slapped-him-13308551.html |title=हेमा उपाध्याय मर्डर केस में हुआ खुलासा, थप्पड़ मारने पर कर दी हत्या |access-date=16 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20151218122726/http://www.jagran.com/news/national-vidyadhar-rajbhar-killed-hema-upadhyay-in-a-fit-of-anger-after-she-slapped-him-13308551.html |archive-date=18 दिसंबर 2015 |url-status=live }}</ref>
'''हेमा उपाध्याय''' एक भारतीय कलाकार थीं। उनका जन्म 1972 में बड़ौदा, [[भारत]] में हुआ था। 1998 के बाद से [[मुम्बई|मुंबई]] शहर में रहीं। 11 दिसंबर 2015 में उनकी और उनके वकील की हत्या कर दी गई।<ref>{{Cite web |url=http://www.jagran.com/news/national-vidyadhar-rajbhar-killed-hema-upadhyay-in-a-fit-of-anger-after-she-slapped-him-13308551.html |title=हेमा उपाध्याय मर्डर केस में हुआ खुलासा, थप्पड़ मारने पर कर दी हत्या |access-date=16 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20151218122726/http://www.jagran.com/news/national-vidyadhar-rajbhar-killed-hema-upadhyay-in-a-fit-of-anger-after-she-slapped-him-13308551.html |archive-date=18 दिसंबर 2015 |url-status=live }}</ref>


उपाध्याय विस्थापन तथा विरह के भावों को चित्रित करने के लिए फोटोग्राफी और [[मूर्ति कला|कलाकृतियों]] की स्थापना का इस्तेमाल करती थीं.
उपाध्याय विस्थापन तथा विरह के भावों को चित्रित करने के लिए फोटोग्राफी और [[मूर्ति कला|कलाकृतियों]] की स्थापना का इस्तेमाल करती थीं।


== शुरूआती कार्य ==
== शुरूआती कार्य ==


=== ''खट्टी-मीठी यादें'' ===
=== ''खट्टी-मीठी यादें'' ===
हेमा की ''स्वीट स्वेट मेमोरीज'' (खट्टी-मीठी यादें) नामक पहली एकल प्रदर्शनी का आयोजन 2001 में चेमोल्ड (जिसे अब चेमोल्ड प्रेस्कॉट रोड, मुंबई के नाम से जाना जाता है) में किया गया था. इस प्रदर्शनी में कागज पर किये गए विविध प्रकार के कार्यों को शामिल किया गया था. इन कार्यों में उन्होंने 1998 में मुंबई आने के बाद के अपने प्रवास संबंधी विचारों को पेश करने के लिए स्वयं की तस्वीरों को शामिल किया था. आत्म-चित्रण के एक लघु फोटोग्राफिक संग्रह का शामिल किया जाना हेमा के चित्रों की एक सामान्य विशेषता है. विभिन्न मुद्राओं में अपनी छवियों को छोटा करके वे उन्हें अपने रूपात्मक परिदृश्यों में समावेशित कर अपने द्वारा रचित आलंकारिक तथा काल्पनिक वातावरण के साथ मिश्रित होने का मौका प्रदान करती हैं.
हेमा की ''स्वीट स्वेट मेमोरीज'' (खट्टी-मीठी यादें) नामक पहली एकल प्रदर्शनी का आयोजन 2001 में चेमोल्ड (जिसे अब चेमोल्ड प्रेस्कॉट रोड, मुंबई के नाम से जाना जाता है) में किया गया था। इस प्रदर्शनी में कागज पर किये गए विविध प्रकार के कार्यों को शामिल किया गया था। इन कार्यों में उन्होंने 1998 में मुंबई आने के बाद के अपने प्रवास संबंधी विचारों को पेश करने के लिए स्वयं की तस्वीरों को शामिल किया था। आत्म-चित्रण के एक लघु फोटोग्राफिक संग्रह का शामिल किया जाना हेमा के चित्रों की एक सामान्य विशेषता है। विभिन्न मुद्राओं में अपनी छवियों को छोटा करके वे उन्हें अपने रूपात्मक परिदृश्यों में समावेशित कर अपने द्वारा रचित आलंकारिक तथा काल्पनिक वातावरण के साथ मिश्रित होने का मौका प्रदान करती हैं।


''खट्टी-मीठी यादें'', एक नए स्थान पर जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर उत्पन्न होने वाली अलगाव तथा नुकसान की भावना के साथ-साथ आश्चर्य और उत्साह की भावना को भी सुंदर तरीके से चित्रित करती है. कागज पर किये गए विविध प्रकार के कार्यों की यह प्रदर्शनी उनके एक पड़ोसी की आत्महत्या तथा उनके द्वारा एक ऐसे शहरी क्षेत्र में रहने के कारण उत्पन्न होने वाले भ्रम से प्रेरित थी, जहां स्वप्नों तथा आकांक्षाओं हवा देने के साथ-साथ बड़ी बेरहमी से कुचल भी दिया जाता है. इस प्रदर्शनी का प्रमुख चित्र इन भावनाओं को बेहद सुंदर तरीके से चित्रित करता है. यह एक चौड़े और मुस्कराते हुए मुख का एक करीबी चित्र (क्लोज अप) है जो सर्वव्यापी सड़न तथा पतन को दर्शाता है.
''खट्टी-मीठी यादें'', एक नए स्थान पर जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर उत्पन्न होने वाली अलगाव तथा नुकसान की भावना के साथ-साथ आश्चर्य और उत्साह की भावना को भी सुंदर तरीके से चित्रित करती है। कागज पर किये गए विविध प्रकार के कार्यों की यह प्रदर्शनी उनके एक पड़ोसी की आत्महत्या तथा उनके द्वारा एक ऐसे शहरी क्षेत्र में रहने के कारण उत्पन्न होने वाले भ्रम से प्रेरित थी, जहाँ स्वप्नों तथा आकांक्षाओं हवा देने के साथ-साथ बड़ी बेरहमी से कुचल भी दिया जाता है। इस प्रदर्शनी का प्रमुख चित्र इन भावनाओं को बेहद सुंदर तरीके से चित्रित करता है। यह एक चौड़े और मुस्कराते हुए मुख का एक करीबी चित्र (क्लोज अप) है जो सर्वव्यापी सड़न तथा पतन को दर्शाता है।


=== अन्य कार्य ===
=== अन्य कार्य ===
2001 में हेमा की प्रथम एकल अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी आर्टस्पेस, [[सिडनी]] तथा इंस्टीट्यूट ऑफ मॉडर्न आर्ट, ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित की गयी जिसमे उन्होंने ''दी निम्फ एंड दी एडल्ट'' (इसे नई दिल्ली में आयोजित होने वाले दसवें इंटरनेशनल ट्राईएनियल - इंडिया में भी प्रदर्शित किया गया था) नामक एक कलाकृति को प्रदर्शित किया; उन्होंने एकदम जीवंत लगने वाले 2000 कॉकरोच (तिलचट्टे) को हाथ से बनाया और अपने दर्शकों की घृणा तथा आकर्षण प्राप्त करने के लिए उन्हें पूरी गैलरी में छोड़ दिया. इस कार्य की मंशा दर्शकों को [[युद्ध|सैन्य गतिविधियों]] के परिणामों के बारे में सोचने हेतु प्रेरित करना था.
2001 में हेमा की प्रथम एकल अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी आर्टस्पेस, [[सिडनी]] तथा इंस्टीट्यूट ऑफ मॉडर्न आर्ट, ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित की गयी जिसमे उन्होंने ''दी निम्फ एंड दी एडल्ट'' (इसे नई दिल्ली में आयोजित होने वाले दसवें इंटरनेशनल ट्राईएनियल - इंडिया में भी प्रदर्शित किया गया था) नामक एक कलाकृति को प्रदर्शित किया; उन्होंने एकदम जीवंत लगने वाले 2000 कॉकरोच (तिलचट्टे) को हाथ से बनाया और अपने दर्शकों की घृणा तथा आकर्षण प्राप्त करने के लिए उन्हें पूरी गैलरी में छोड़ दिया। इस कार्य की मंशा दर्शकों को [[युद्ध|सैन्य गतिविधियों]] के परिणामों के बारे में सोचने हेतु प्रेरित करना था।
[[चित्र:Hema Upadhyay the nymph and adult.jpg|thumb|द निम्फ और द अडल्ट, इन्सटॉलेशन, 2001, आर्टस्पेस, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया]]
[[चित्र:Hema Upadhyay the nymph and adult.jpg|thumb|द निम्फ और द अडल्ट, इन्सटॉलेशन, 2001, आर्टस्पेस, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया]]


2003 में उन्होंने ''मेड इन चाइना'' नामक एक सहयोगात्मक कार्य किया जिसमे बड़े पैमाने पर [[उपभोक्तावाद]], [[वैश्वीकरण]] तथा इनके कारण लुप्त होती पहचान के बारे में बताया गया था. उनका अगला सहयोगात्मक कार्य 2006 में अपनी मां बीना हीरानी के साथ मिलकर किया गया था; इस कार्य का शीर्षक था ''मम-माई (mum-my)'' और इसे शिकागो सांस्कृतिक केन्द्र में प्रदर्शित किया गया.
2003 में उन्होंने ''मेड इन चाइना'' नामक एक सहयोगात्मक कार्य किया जिसमे बड़े पैमाने पर [[उपभोक्तावाद]], [[वैश्वीकरण]] तथा इनके कारण लुप्त होती पहचान के बारे में बताया गया था। उनका अगला सहयोगात्मक कार्य 2006 में अपनी माँ बीना हीरानी के साथ मिलकर किया गया था; इस कार्य का शीर्षक था ''मम-माई (mum-my)'' और इसे शिकागो सांस्कृतिक केन्द्र में प्रदर्शित किया गया।
[[चित्र:Hema Upadhyay made in china.jpg|thumb|चीन में निर्मित, सहयोगात्मक स्थापना, 2003, गैलरी शेमोल्ड, मुंबई, भारत]]
[[चित्र:Hema Upadhyay made in china.jpg|thumb|चीन में निर्मित, सहयोगात्मक स्थापना, 2003, गैलरी शेमोल्ड, मुंबई, भारत]]


== संग्रहालय प्रदर्शनियां ==
== संग्रहालय प्रदर्शनियाँ ==
हेमा ने प्रतिमाओं को शामिल करने के लिए अपनी भाषा का विस्तार किया; 2004 के बाद से उनके कार्य येरुशलम, इसराइल स्थित [http://www.mots.org.il/Eng/Exhibitions/HomeLessHome%20 ''म्यूजियम ऑन स्टीम'' ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} के कई सामूहिक कार्यक्रमों का हिस्सा रहे हैं. [http://www.macro.roma.museum%20 ''मैक्रो म्यूजियम'' ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}, रोम, इटली; ''IVAM,'' वालेंसिया, स्पेन; ''मार्ट संग्रहालय'', इटल; ''मोरी कला संग्रहालय'', टोक्यो, जापान; [http://www.hangarbicocca.it%20 ''हैंगर बिकोक्का'' ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}, मिलान, इटल; ''शिकागो सांस्कृतिक केंद्र'', शिकागो, अमरीक; ''École Nationale Supérieure des Beaux-Arts कला,'' पेरिस, फ्रांस; ''फुकुओका एशियाई कला संग्रहालय'', फुकुओका, जापान; ''जापान फाउंडेशन,'' टोक्यो और ''Henie Onstad Kunssenter'', ओस्लो, नॉर्वे.
हेमा ने प्रतिमाओं को शामिल करने के लिए अपनी भाषा का विस्तार किया; 2004 के बाद से उनके कार्य येरुशलम, इसराइल स्थित [http://www.mots.org.il/Eng/Exhibitions/HomeLessHome%20 ''म्यूजियम ऑन स्टीम'' ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} के कई सामूहिक कार्यक्रमों का हिस्सा रहे हैं। [http://www.macro.roma.museum%20 ''मैक्रो म्यूजियम'' ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}, रोम, इटली; ''IVAM,'' वालेंसिया, स्पेन; ''मार्ट संग्रहालय'', इटल; ''मोरी कला संग्रहालय'', टोक्यो, जापान; [http://www.hangarbicocca.it%20 ''हैंगर बिकोक्का'' ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}, मिलान, इटल; ''शिकागो सांस्कृतिक केंद्र'', शिकागो, अमरीक; ''École Nationale Supérieure des Beaux-Arts कला,'' पेरिस, फ्रांस; ''फुकुओका एशियाई कला संग्रहालय'', फुकुओका, जापान; ''जापान फाउंडेशन,'' टोक्यो और ''Henie Onstad Kunssenter'', ओस्लो, नॉर्वे.


वे रोम स्थित ''मैक्रो संग्रहालय (MACRO museum)'' के दोबारा खुलने के उपलक्ष्य में आयोजित उद्घाटन प्रदर्शनी का हिस्सा बनने वाली एकमात्र भारतीय कलाकार थीं. इस प्रदर्शनी के संरक्षक लूका मास्सिमी बारबेरो थे और हेमा ने ''वेयर दी बीज सक, देयर सक आई (जहां मधुमक्खियां चूसती हैं, मैं भी वहीं चूसती हूं)'' नामक अपने कार्य को प्रदर्शित किया.[[चित्र:Hema Upadhyay WHERE THE BEES SUCK THERE SUCK I.jpg|thumb|वेयर द बिज़ सक, देयर सक आई, 2009, मैक्रो म्यूजियम, रोम, इटली]]
वे रोम स्थित ''मैक्रो संग्रहालय (MACRO museum)'' के दोबारा खुलने के उपलक्ष्य में आयोजित उद्घाटन प्रदर्शनी का हिस्सा बनने वाली एकमात्र भारतीय कलाकार थीं। इस प्रदर्शनी के संरक्षक लूका मास्सिमी बारबेरो थे और हेमा ने ''वेयर दी बीज सक, देयर सक आई (जहाँ मधुमक्खियाँ चूसती हैं, मैं भी वहीं चूसती हूं)'' नामक अपने कार्य को प्रदर्शित किया।[[चित्र:Hema Upadhyay WHERE THE BEES SUCK THERE SUCK I.jpg|thumb|वेयर द बिज़ सक, देयर सक आई, 2009, मैक्रो म्यूजियम, रोम, इटली]]


== रेजीडेंसी और कार्यशालाएं ==
== रेजीडेंसी और कार्यशालाएं ==
हेमा कई रेजीडेंसी (आवासीय कार्यकाल) का हिस्सा भी रह चुकी हैं जहां उन्होंने विस्थापन संबंधी मुद्दों पर आत्मकथनीय दृष्टिकोण से विचार करने की कोशिश की. 2003 में वे कराची की वास्ल रेजीडेंसी का हिस्सा थीं जहां उन्होंने ''लोको फोको मोटो'' (जिसे बाद में उन्होंने 2007 में हैंगर बिकोक्का, मिलान, इटली के एक सामूहिक कार्यक्रम में भी प्रदर्शित किया) नामक एक कार्य को अंजाम दिया; यह कार्य [[भारत का विभाजन|भारत के विभाजन]] से संबंधित उनके स्वयं के पारिवारिक इतिहास को ध्यान में रखते हुए भारत पाकिस्तान शत्रुता के बारे में बताता है. ये कार्य उनके सामान्य प्रतीकात्मक कार्यों से अलग थे, उनमे थोड़ा अधिक शिल्पकारी शामिल थी क्योंकि उन्होंने झूमर बनाने के लिए माचिस की तीलियों तथा गोंद का इस्तेमाल किया था. हजारों बिना जली हुई माचिस की तीलियों से निर्मित ये अलंकृत झूमर [[अग्नि|हिंदू मान्यताओं]] के एक महत्त्पूर्ण तत्व, सृजन तथा विनाश का प्रतीक हैं; यह उनके कार्यों की एक विशेषता है जो हिंसा तथा सौन्दर्य की सह-मौजूदगी को चित्रित करती है.[[चित्र:Hema Upadhyay loco foco motto.jpg|thumb|लोको फोको मोटो, 2007, हैंगर बिकोका, मिलान, इटली]]
हेमा कई रेजीडेंसी (आवासीय कार्यकाल) का हिस्सा भी रह चुकी हैं जहाँ उन्होंने विस्थापन संबंधी मुद्दों पर आत्मकथनीय दृष्टिकोण से विचार करने की कोशिश की। 2003 में वे कराची की वास्ल रेजीडेंसी का हिस्सा थीं जहाँ उन्होंने ''लोको फोको मोटो'' (जिसे बाद में उन्होंने 2007 में हैंगर बिकोक्का, मिलान, इटली के एक सामूहिक कार्यक्रम में भी प्रदर्शित किया) नामक एक कार्य को अंजाम दिया; यह कार्य [[भारत का विभाजन|भारत के विभाजन]] से संबंधित उनके स्वयं के पारिवारिक इतिहास को ध्यान में रखते हुए भारत पाकिस्तान शत्रुता के बारे में बताता है। ये कार्य उनके सामान्य प्रतीकात्मक कार्यों से अलग थे, उनमे थोड़ा अधिक शिल्पकारी शामिल थी क्योंकि उन्होंने झूमर बनाने के लिए माचिस की तीलियों तथा गोंद का इस्तेमाल किया था। हजारों बिना जली हुई माचिस की तीलियों से निर्मित ये अलंकृत झूमर [[अग्नि|हिंदू मान्यताओं]] के एक महत्त्पूर्ण तत्व, सृजन तथा विनाश का प्रतीक हैं; यह उनके कार्यों की एक विशेषता है जो हिंसा तथा सौन्दर्य की सह-मौजूदगी को चित्रित करती है।[[चित्र:Hema Upadhyay loco foco motto.jpg|thumb|लोको फोको मोटो, 2007, हैंगर बिकोका, मिलान, इटली]]


अपने हाल के कार्यों में हेमा ने मूर्तिकला तत्व के रूप में अपने कार्यों में एक अतिरिक्त परत को पेश किया है. कलाकार बार-बार पैटर्न वाली सतहों का इस्तेमाल करता है जिनमे भारतीय अध्यात्म के प्रतीकों और पारंपरिक वस्त्र डिजाइन के तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है. हेमा द्वारा इन सतहों के साथ अपनी छवियों के सम्मिश्रण का उद्देश्य [[दक्षिण एशिया]] में प्रवास तथा विस्थापन के विषयों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ एकल रचयिता के रूप में एक कलाकार की अस्तित्व संबंधी दुर्दशा को प्रतिबिंबित करना भी है. उनके द्वारा छायांकन का उपयोग और धुएं जैसे तत्वों का चित्रण विनाश के पंजे का आभास दिलाते हैं; यह विषय इसके शीर्षक ''किलिंग साईट (मौत का स्थल)'' से और भी स्पष्ट हो जाता है.[[चित्र:Hema Upadhyay killing site.jpg|thumb|किलिंग साइट, 2008, स्टूडियो ला सीटा, वेरोना, इटली]]
अपने हाल के कार्यों में हेमा ने मूर्तिकला तत्व के रूप में अपने कार्यों में एक अतिरिक्त परत को पेश किया है। कलाकार बार-बार पैटर्न वाली सतहों का इस्तेमाल करता है जिनमे भारतीय अध्यात्म के प्रतीकों और पारंपरिक वस्त्र डिजाइन के तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। हेमा द्वारा इन सतहों के साथ अपनी छवियों के सम्मिश्रण का उद्देश्य [[दक्षिण एशिया]] में प्रवास तथा विस्थापन के विषयों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ एकल रचयिता के रूप में एक कलाकार की अस्तित्व संबंधी दुर्दशा को प्रतिबिंबित करना भी है। उनके द्वारा छायांकन का उपयोग और धुएं जैसे तत्वों का चित्रण विनाश के पंजे का आभास दिलाते हैं; यह विषय इसके शीर्षक ''किलिंग साईट (मौत का स्थल)'' से और भी स्पष्ट हो जाता है।[[चित्र:Hema Upadhyay killing site.jpg|thumb|किलिंग साइट, 2008, स्टूडियो ला सीटा, वेरोना, इटली]]


''ड्रीम ए विश-विश ए ड्रीम (एक इच्छा का स्वप्न-एक स्वप्न की इच्छा)'' (2006), हेमा द्वारा किया गया पहला बड़े पैमाने का कार्य (इंस्टालेशन) था. पहली नज़र में उनका यह कार्य मुंबई का एक परिदृश्य मात्र लगता है; लेकिन, वास्तविकता में यह मुंबई का निर्माण करने वाले प्रवासियों द्वारा बदलते परिदृश्य पर एक वक्तव्य है.[[चित्र:Hema Upadhyaydream a wish wish a dream Ivam.jpg|thumb|ड्रीम अ विश-विश अ ड्रीम, 2006]]
''ड्रीम ए विश-विश ए ड्रीम (एक इच्छा का स्वप्न-एक स्वप्न की इच्छा)'' (2006), हेमा द्वारा किया गया पहला बड़े पैमाने का कार्य (इंस्टालेशन) था। पहली नज़र में उनका यह कार्य मुंबई का एक परिदृश्य मात्र लगता है; लेकिन, वास्तविकता में यह मुंबई का निर्माण करने वाले प्रवासियों द्वारा बदलते परिदृश्य पर एक वक्तव्य है।[[चित्र:Hema Upadhyaydream a wish wish a dream Ivam.jpg|thumb|ड्रीम अ विश-विश अ ड्रीम, 2006]]


== चयनित सोलो प्रस्तुतियां ==
== चयनित सोलो प्रस्तुतियाँ ==
* 2009 ''वेयर द बीज़ सक, देयर सक आई'', मैक्रो म्यूजियम का फिर से खुलना रोम इटली
* 2009 ''वेयर द बीज़ सक, देयर सक आई'', मैक्रो म्यूजियम का फिर से खुलना रोम इटली
* 2008 ''यूनिवर्स रिवौल्व्स ऑन'', सिंगापुर टायलर प्रिंट संस्थान, सिंगापुर (उदा. कैट)
* 2008 ''यूनिवर्स रिवौल्व्स ऑन'', सिंगापुर टायलर प्रिंट संस्थान, सिंगापुर (उदा. कैट)
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=== 2003 ===
=== 2003 ===
* क्रॉसिंग जेनरेशन: डाइवर्ज, गैलरी शेमोल्ड के 40 साल, एनजीएमए (NGMA), मुंबई
* क्रॉसिंग जेनरेशन: डाइवर्ज, गैलरी शेमोल्ड के 40 साल, एनजीएमए (NGMA), मुंबई
* पोर्ट्रेट्स ऑफ़ अ डिकेड, सीमा गैलरी, कोलकाता और जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई
* पोर्ट्रेट्स ऑफ़ अ डिकेड, सीमा गैलरी, कोलकाता और जहाँगीर आर्ट गैलरी, मुंबई
* लोको-फोको-मोटो, वस्ल रेजीडेंसी के दौरान उत्पादन, वी.एम. गैलरी, कराची, पाकिस्तान
* लोको-फोको-मोटो, वस्ल रेजीडेंसी के दौरान उत्पादन, वी॰एम॰ गैलरी, कराची, पाकिस्तान
* स्‍वजात, इवान डफर्टी गैलरी, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
* स्‍वजात, इवान डफर्टी गैलरी, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
* द ट्री फ्रॉम द सीड, हेनी ओंस्टैड कुंसेंटर, ओस्लो, नॉर्वे
* द ट्री फ्रॉम द सीड, हेनी ओंस्टैड कुंसेंटर, ओस्लो, नॉर्वे

15:56, 23 नवम्बर 2020 का अवतरण

हेमा उपाध्याय
जन्म Hema Hirani, changed her name to Hema Upadhyay in 1998.
18 मई 1972
बड़ौदा, भारत
मौत 11 दिसंबर 2015 (43 साल)
मुंबई, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा Completed her Bachelor's (Painting) and Master's (Printmaking) in Fine Arts from M.S. University, Baroda in 1995 and 1997 respectively.

हेमा उपाध्याय एक भारतीय कलाकार थीं। उनका जन्म 1972 में बड़ौदा, भारत में हुआ था। 1998 के बाद से मुंबई शहर में रहीं। 11 दिसंबर 2015 में उनकी और उनके वकील की हत्या कर दी गई।[1]

उपाध्याय विस्थापन तथा विरह के भावों को चित्रित करने के लिए फोटोग्राफी और कलाकृतियों की स्थापना का इस्तेमाल करती थीं।

शुरूआती कार्य

खट्टी-मीठी यादें

हेमा की स्वीट स्वेट मेमोरीज (खट्टी-मीठी यादें) नामक पहली एकल प्रदर्शनी का आयोजन 2001 में चेमोल्ड (जिसे अब चेमोल्ड प्रेस्कॉट रोड, मुंबई के नाम से जाना जाता है) में किया गया था। इस प्रदर्शनी में कागज पर किये गए विविध प्रकार के कार्यों को शामिल किया गया था। इन कार्यों में उन्होंने 1998 में मुंबई आने के बाद के अपने प्रवास संबंधी विचारों को पेश करने के लिए स्वयं की तस्वीरों को शामिल किया था। आत्म-चित्रण के एक लघु फोटोग्राफिक संग्रह का शामिल किया जाना हेमा के चित्रों की एक सामान्य विशेषता है। विभिन्न मुद्राओं में अपनी छवियों को छोटा करके वे उन्हें अपने रूपात्मक परिदृश्यों में समावेशित कर अपने द्वारा रचित आलंकारिक तथा काल्पनिक वातावरण के साथ मिश्रित होने का मौका प्रदान करती हैं।

खट्टी-मीठी यादें, एक नए स्थान पर जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर उत्पन्न होने वाली अलगाव तथा नुकसान की भावना के साथ-साथ आश्चर्य और उत्साह की भावना को भी सुंदर तरीके से चित्रित करती है। कागज पर किये गए विविध प्रकार के कार्यों की यह प्रदर्शनी उनके एक पड़ोसी की आत्महत्या तथा उनके द्वारा एक ऐसे शहरी क्षेत्र में रहने के कारण उत्पन्न होने वाले भ्रम से प्रेरित थी, जहाँ स्वप्नों तथा आकांक्षाओं हवा देने के साथ-साथ बड़ी बेरहमी से कुचल भी दिया जाता है। इस प्रदर्शनी का प्रमुख चित्र इन भावनाओं को बेहद सुंदर तरीके से चित्रित करता है। यह एक चौड़े और मुस्कराते हुए मुख का एक करीबी चित्र (क्लोज अप) है जो सर्वव्यापी सड़न तथा पतन को दर्शाता है।

अन्य कार्य

2001 में हेमा की प्रथम एकल अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी आर्टस्पेस, सिडनी तथा इंस्टीट्यूट ऑफ मॉडर्न आर्ट, ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित की गयी जिसमे उन्होंने दी निम्फ एंड दी एडल्ट (इसे नई दिल्ली में आयोजित होने वाले दसवें इंटरनेशनल ट्राईएनियल - इंडिया में भी प्रदर्शित किया गया था) नामक एक कलाकृति को प्रदर्शित किया; उन्होंने एकदम जीवंत लगने वाले 2000 कॉकरोच (तिलचट्टे) को हाथ से बनाया और अपने दर्शकों की घृणा तथा आकर्षण प्राप्त करने के लिए उन्हें पूरी गैलरी में छोड़ दिया। इस कार्य की मंशा दर्शकों को सैन्य गतिविधियों के परिणामों के बारे में सोचने हेतु प्रेरित करना था।

द निम्फ और द अडल्ट, इन्सटॉलेशन, 2001, आर्टस्पेस, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया

2003 में उन्होंने मेड इन चाइना नामक एक सहयोगात्मक कार्य किया जिसमे बड़े पैमाने पर उपभोक्तावाद, वैश्वीकरण तथा इनके कारण लुप्त होती पहचान के बारे में बताया गया था। उनका अगला सहयोगात्मक कार्य 2006 में अपनी माँ बीना हीरानी के साथ मिलकर किया गया था; इस कार्य का शीर्षक था मम-माई (mum-my) और इसे शिकागो सांस्कृतिक केन्द्र में प्रदर्शित किया गया।

चीन में निर्मित, सहयोगात्मक स्थापना, 2003, गैलरी शेमोल्ड, मुंबई, भारत

संग्रहालय प्रदर्शनियाँ

हेमा ने प्रतिमाओं को शामिल करने के लिए अपनी भाषा का विस्तार किया; 2004 के बाद से उनके कार्य येरुशलम, इसराइल स्थित म्यूजियम ऑन स्टीम [मृत कड़ियाँ] के कई सामूहिक कार्यक्रमों का हिस्सा रहे हैं। मैक्रो म्यूजियम [मृत कड़ियाँ], रोम, इटली; IVAM, वालेंसिया, स्पेन; मार्ट संग्रहालय, इटल; मोरी कला संग्रहालय, टोक्यो, जापान; हैंगर बिकोक्का [मृत कड़ियाँ], मिलान, इटल; शिकागो सांस्कृतिक केंद्र, शिकागो, अमरीक; École Nationale Supérieure des Beaux-Arts कला, पेरिस, फ्रांस; फुकुओका एशियाई कला संग्रहालय, फुकुओका, जापान; जापान फाउंडेशन, टोक्यो और Henie Onstad Kunssenter, ओस्लो, नॉर्वे.

वे रोम स्थित मैक्रो संग्रहालय (MACRO museum) के दोबारा खुलने के उपलक्ष्य में आयोजित उद्घाटन प्रदर्शनी का हिस्सा बनने वाली एकमात्र भारतीय कलाकार थीं। इस प्रदर्शनी के संरक्षक लूका मास्सिमी बारबेरो थे और हेमा ने वेयर दी बीज सक, देयर सक आई (जहाँ मधुमक्खियाँ चूसती हैं, मैं भी वहीं चूसती हूं) नामक अपने कार्य को प्रदर्शित किया।

वेयर द बिज़ सक, देयर सक आई, 2009, मैक्रो म्यूजियम, रोम, इटली

रेजीडेंसी और कार्यशालाएं

हेमा कई रेजीडेंसी (आवासीय कार्यकाल) का हिस्सा भी रह चुकी हैं जहाँ उन्होंने विस्थापन संबंधी मुद्दों पर आत्मकथनीय दृष्टिकोण से विचार करने की कोशिश की। 2003 में वे कराची की वास्ल रेजीडेंसी का हिस्सा थीं जहाँ उन्होंने लोको फोको मोटो (जिसे बाद में उन्होंने 2007 में हैंगर बिकोक्का, मिलान, इटली के एक सामूहिक कार्यक्रम में भी प्रदर्शित किया) नामक एक कार्य को अंजाम दिया; यह कार्य भारत के विभाजन से संबंधित उनके स्वयं के पारिवारिक इतिहास को ध्यान में रखते हुए भारत पाकिस्तान शत्रुता के बारे में बताता है। ये कार्य उनके सामान्य प्रतीकात्मक कार्यों से अलग थे, उनमे थोड़ा अधिक शिल्पकारी शामिल थी क्योंकि उन्होंने झूमर बनाने के लिए माचिस की तीलियों तथा गोंद का इस्तेमाल किया था। हजारों बिना जली हुई माचिस की तीलियों से निर्मित ये अलंकृत झूमर हिंदू मान्यताओं के एक महत्त्पूर्ण तत्व, सृजन तथा विनाश का प्रतीक हैं; यह उनके कार्यों की एक विशेषता है जो हिंसा तथा सौन्दर्य की सह-मौजूदगी को चित्रित करती है।

लोको फोको मोटो, 2007, हैंगर बिकोका, मिलान, इटली

अपने हाल के कार्यों में हेमा ने मूर्तिकला तत्व के रूप में अपने कार्यों में एक अतिरिक्त परत को पेश किया है। कलाकार बार-बार पैटर्न वाली सतहों का इस्तेमाल करता है जिनमे भारतीय अध्यात्म के प्रतीकों और पारंपरिक वस्त्र डिजाइन के तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। हेमा द्वारा इन सतहों के साथ अपनी छवियों के सम्मिश्रण का उद्देश्य दक्षिण एशिया में प्रवास तथा विस्थापन के विषयों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ एकल रचयिता के रूप में एक कलाकार की अस्तित्व संबंधी दुर्दशा को प्रतिबिंबित करना भी है। उनके द्वारा छायांकन का उपयोग और धुएं जैसे तत्वों का चित्रण विनाश के पंजे का आभास दिलाते हैं; यह विषय इसके शीर्षक किलिंग साईट (मौत का स्थल) से और भी स्पष्ट हो जाता है।

किलिंग साइट, 2008, स्टूडियो ला सीटा, वेरोना, इटली

ड्रीम ए विश-विश ए ड्रीम (एक इच्छा का स्वप्न-एक स्वप्न की इच्छा) (2006), हेमा द्वारा किया गया पहला बड़े पैमाने का कार्य (इंस्टालेशन) था। पहली नज़र में उनका यह कार्य मुंबई का एक परिदृश्य मात्र लगता है; लेकिन, वास्तविकता में यह मुंबई का निर्माण करने वाले प्रवासियों द्वारा बदलते परिदृश्य पर एक वक्तव्य है।

ड्रीम अ विश-विश अ ड्रीम, 2006

चयनित सोलो प्रस्तुतियाँ

  • 2009 वेयर द बीज़ सक, देयर सक आई, मैक्रो म्यूजियम का फिर से खुलना रोम इटली
  • 2008 यूनिवर्स रिवौल्व्स ऑन, सिंगापुर टायलर प्रिंट संस्थान, सिंगापुर (उदा. कैट)
  • 2004 अंडरनिथ, गैलरी शेमौल्ड, बॉम्बे (उदा. कैट)
  • 2001-02 द निम्फ एंड द अडल्ट, आधुनिक कला के संस्थान, ब्रिस्बेन (उदा. कैट)
  • 2001 स्वीट स्वेट मिमोरिज़, गैलरी शेमौल्ड, बॉम्बे (उदा. कैट)
  • 2001 द निम्फ एंड द अडल्ट, आर्ट स्पेस, सिडनी

निवास में कलाकार के रूप में आमंत्रित

  • 2010 अटेलियर कैलडर, साचे, फ्रांस
  • 2008 सिंगापुर टायलर प्रिंट संस्थान, सिंगापुर
  • 2007 मैट्रेस फैक्टरी, पिट्सबर्ग, संयुक्त राज्य अमरीका
  • 2003 वस्ल अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के रेजीडेंसी, कराची
  • 2001 आर्ट स्पेस, सिडनी

चयनित सहभागिता

2010

  • SAMTIDIGT, "एट द सेम टाइम", कुल्टरहुसेट, स्टॉकहोम
  • मिडनाइट्स चिल्ड्रन, स्टूडियो लासीटा, वेरोना, इटली
  • कला और शहर, ऐची त्रैवार्षिक 2010, नागोया, जापान
  • समकालीन कला के इंडियन राजमार्ग हर्निंग संग्रहालय, डेनमार्क
  • द इम्पायर स्ट्राइक्स बैक: इंडियन आर्ट टुडे, द सातची गैलरी, लंदन, इंग्लैंड
  • होम लेस होम, म्यूजियम ऑन सिम, जेरुसलेम, इसराइल

2009

  • भारत 2: मुंबई - अंडर द सर्फेस, गैलरी क्रिन्ज़िंगर, वियना, ऑस्ट्रिया
  • भारतीय राजमार्ग, एसट्रप फेर्नले संग्रहालय, ओस्लो, नॉर्वे
  • द पॉवर ऑफ़ और्मेंटेशन औरेंजरी लोवर बेवेल्डर, वियना, आ ऑस्ट्रिया

2008

  • इंडिया मोडर्ना, आइवीएएम (IVAM), वालेंसिया, स्पेन
  • चलो

! भारत - भारतीय कला के नए युग, मोरी कला संग्रहालय, (टोक्यो उदा. कैट

  • कला, संग्रहालय मार्ट, इटली में यूरेशिया - ज्योग्राफिक क्रॉस ओवर. एस्पेस क्लाउड बेरी, 'आर्टिस्ट्स इंडियेन, कलेक्शन क्लाउड बेरी', पैरिस, फ्रांस
  • इंडिया क्रॉसिंग, स्टूडियो ला सीटा, वेरोना, इटली

2007

  • अर्बन मैनर्स, हैंगर बिकोका, मिलान, इटली. भारत
  • न्यू नरेटिव्स, शिकागो सांस्कृतिक केंद्र, शिकागो, संयुक्त राज्य अमरीका

2006

  • लिले 3000, मुंबई: मैक्सिमम सिटी, ट्री पोस्टल, मुंबई: मैक्सिमम सिटी, ट्री पोस्टल, लिले, फ़्रांस
  • समानांतर वास्तविकताएं - एशियाई आर्ट नाउ, तीसरा फुकुओका एशियाई कला त्रैवार्षिक, ब्लैकबर्न म्यूजियम, ब्रिटेन

2005

  • इंडियन समर, इकोल नैशनल सुपिरियोर देस बियोक्स आर्ट्स (École nationale supérieure des Beaux-Arts), पैरिस, फ्रांस
  • समानांतर वास्तविकताएं - एशियाई आर्ट नाउ, तीसरा फुकुओका एशियाई कला त्रैवार्षिक, फुकुओका, जापान
  • वर्तमान-भविष्य, आधुनिक कला के राष्ट्रीय गैलरी, बंबई

2004

  • क्या हम मिले थे?, जापान फाउंडेशन, टोक्यो (उदा. कैट)

2003

  • क्रॉसिंग जेनरेशन: डाइवर्ज, गैलरी शेमोल्ड के 40 साल, एनजीएमए (NGMA), मुंबई
  • पोर्ट्रेट्स ऑफ़ अ डिकेड, सीमा गैलरी, कोलकाता और जहाँगीर आर्ट गैलरी, मुंबई
  • लोको-फोको-मोटो, वस्ल रेजीडेंसी के दौरान उत्पादन, वी॰एम॰ गैलरी, कराची, पाकिस्तान
  • स्‍वजात, इवान डफर्टी गैलरी, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
  • द ट्री फ्रॉम द सीड, हेनी ओंस्टैड कुंसेंटर, ओस्लो, नॉर्वे

2001

  • 10 अंतर्राष्ट्रीय त्रैवार्षिक - भारत, रवींद्र भवन, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली

हेमा उपाध्याय द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया

सन्दर्भ

  1. "हेमा उपाध्याय मर्डर केस में हुआ खुलासा, थप्पड़ मारने पर कर दी हत्या". मूल से 18 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 दिसंबर 2015.