"गवरी": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
इसमें शिव को "पुरिया" कहा जाता है।
इसमें शिव को "पुरिया" कहा जाता है।
== पात्र ==
== पात्र ==
गबरी में चार तरह के पात्र होते हैं- देवता, मनुष्य, राक्षस और पशु।

=== मनुष्य पात्र ===
{{आधार}}
{{आधार}}
[[श्रेणी:मई २०१३ के लेख जिनमें स्रोत नहीं हैं]]
[[श्रेणी:मई २०१३ के लेख जिनमें स्रोत नहीं हैं]]

12:34, 31 अगस्त 2020 का अवतरण

गवरी

मेवाड़ क्षेत्र में किया जाने वाला यह नृत्य भील जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य को सावन-भादो माह में किया जाता है। इस में मांदल और थाली के प्रयोग के कारण इसे ' राई नृत्य' के नाम से जाना जाता है। इसे केवल पुरुषों के दुवारा किया जाता है। वादन संवाद, प्रस्तुतिकरण और लोक-संस्कृति के प्रतीकों में मेवाड़ की गवरी निराली है। गवरी का उदभव शिव-भस्मासुर की कथा से माना जाता है। इसका आयोजन रक्षाबंधन के दुसरे दिन से शुरू होता है। गवरी सवा महीने तक खेली जाती है। इसमें भील संस्कृति की प्रमुखता रहती है। यह पर्व आदिवासी जाती पर पौराणिक तथा सामाजिक प्रभाव की अभिव्यक्ति है। गवरी में मात्र पुरुष पात्र होते हैं। इसके खेलों में गणपति काना-गुजरी, जोगी, लाखा बणजारा इत्यादि के खेल होते हैैं। इसमें शिव को "पुरिया" कहा जाता है।

पात्र

गबरी में चार तरह के पात्र होते हैं- देवता, मनुष्य, राक्षस और पशु।

मनुष्य पात्र