"प्रजा सोसलिस्ट पार्टी": अवतरणों में अंतर

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'''प्रजा सोसिस्ट पार्टी'' (PSP) [[भारत]] का एक राजनीतीतिक दल था। यह सन् १९५२ में बनी थी और सन् १९७२ तक अस्तित्व में रही। इसका निर्माण [[समाजवादी पार्टी]] (सोसलिस्ट पार्टी) एवं [[किसान मजदूर प्रजा पार्टी]] के विलय के परिणामस्वरूप हुआ। सोसलिस्ट पार्टी [[जयप्रकाश नारायण]], [[आचार्य नरेन्द्र देव]], बसावन सिंह के नेतृत्व में चलने वाली पार्टी थी; किसान मजदूर प्रजा पार्टी के नेता [[जेबी कृपलानी]] थे। सन् १९५५ में इस दल से [[राममनोहर लोहिया]] के नेतृत्व में कई लोग अलग होकर "सोसलिस्ट पार्टी" के नाम से अलग दल बना लिये। इसके बाद पुन: सन् १९६९ में [[जार्ज फर्नाण्डीज]] के नेतृत्व में इससे कुछ लोग अलग होकर [[संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी]] बना डाले। सन् १९६० में कृपलानी जी ने प्रजा सोसलिस्ट पार्टी छोड़ दी। इसी प्रकार सन् १९६४ मेम् [[अशोक मेहता]] इस पार्टी से निकाले जाने के बाद [[कंग्रेस]] में चले गये। सन् १९७२ में जार्ज फर्नांडीज की संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी और प्रजा सोसलिस्ट पार्टी का विलय हो गया जिसका नाम सोसलिस्ट पार्टी रखा गया। अन्त में यह दल भी सन् १९७७ में जनता पार्टी में मिल गया।

==चुनावों में==
सन् १९५७ के प्रथम सामान्य चुनाव में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी को कुल मतों का 10.4% मत मिले जो कांग्रेस के बाद सबसे अधिक थे। इसे [[लोक सभा]] में कुल १९ सीटें मिलीं। किन्तु अगले कुछ चुनावों में पार्टी का मत-प्रतिशत लगातार घटता गया। सन् १९६२ में इसने कुल मतों का 6.8% मत प्राप्त करते हुए लोकसभा की कुल 12 सीटें प्राप्त की। इसी प्रकार सन् १९६७ में कुल मतों का 3.1% मत तथा 13 सीटें प्राप्त कीं।सन् १९७१ के लोकसभा चुनावों में केवल 1% मत लेकर इसे 2 सीटें मिलीं।

[[श्रेणी:राजनैतिक दल]]
[[श्रेणी:राजनैतिक दल]]
[[श्रेणी:राजनीति]]
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11:34, 10 सितंबर 2009 का अवतरण

'प्रजा सोसिस्ट पार्टी (PSP) भारत का एक राजनीतीतिक दल था। यह सन् १९५२ में बनी थी और सन् १९७२ तक अस्तित्व में रही। इसका निर्माण समाजवादी पार्टी (सोसलिस्ट पार्टी) एवं किसान मजदूर प्रजा पार्टी के विलय के परिणामस्वरूप हुआ। सोसलिस्ट पार्टी जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेन्द्र देव, बसावन सिंह के नेतृत्व में चलने वाली पार्टी थी; किसान मजदूर प्रजा पार्टी के नेता जेबी कृपलानी थे। सन् १९५५ में इस दल से राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में कई लोग अलग होकर "सोसलिस्ट पार्टी" के नाम से अलग दल बना लिये। इसके बाद पुन: सन् १९६९ में जार्ज फर्नाण्डीज के नेतृत्व में इससे कुछ लोग अलग होकर संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी बना डाले। सन् १९६० में कृपलानी जी ने प्रजा सोसलिस्ट पार्टी छोड़ दी। इसी प्रकार सन् १९६४ मेम् अशोक मेहता इस पार्टी से निकाले जाने के बाद कंग्रेस में चले गये। सन् १९७२ में जार्ज फर्नांडीज की संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी और प्रजा सोसलिस्ट पार्टी का विलय हो गया जिसका नाम सोसलिस्ट पार्टी रखा गया। अन्त में यह दल भी सन् १९७७ में जनता पार्टी में मिल गया।

चुनावों में

सन् १९५७ के प्रथम सामान्य चुनाव में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी को कुल मतों का 10.4% मत मिले जो कांग्रेस के बाद सबसे अधिक थे। इसे लोक सभा में कुल १९ सीटें मिलीं। किन्तु अगले कुछ चुनावों में पार्टी का मत-प्रतिशत लगातार घटता गया। सन् १९६२ में इसने कुल मतों का 6.8% मत प्राप्त करते हुए लोकसभा की कुल 12 सीटें प्राप्त की। इसी प्रकार सन् १९६७ में कुल मतों का 3.1% मत तथा 13 सीटें प्राप्त कीं।सन् १९७१ के लोकसभा चुनावों में केवल 1% मत लेकर इसे 2 सीटें मिलीं।