"पुनर्नवा": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छोNo edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
InternetArchiveBot के अवतरण 4772159पर वापस ले जाया गया : प्रचारात्मक वेबसाइट का लिंक हटाया। (ट्विंकल)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
|binomial_authority = [[कार्ल लीनियस|L.]]
|binomial_authority = [[कार्ल लीनियस|L.]]
}}
}}
'''[http://ayurvedicherbss.com/what-is-giloy-what-are-the-benefits-of-giloy-according-to-ayurveda-what-are/ पुनर्नवा]''' या '''[http://ayurvedicherbss.com/what-is-giloy-what-are-the-benefits-of-giloy-according-to-ayurveda-what-are/ शोथहीन]''' या '''गदहपूरना''' ([[वानस्पतिक नाम]]:Boerhaavia diffusa) एक [http://ayurvedicherbss.com आयुर्वेदिक] औषधीय पौधा है। श्वेत पुनर्नवा का पौधा बहुवर्षायु और प्रसरणशील होता है। क्षुप 2 से 3 मीटर लंबे होते हैं। ये प्रतिवर्ष वर्षा ऋतु में नए निकलते हैं व ग्रीष्म में सूख जाते हैं। इस क्षुप के काण्ड प्रायः गोलाई लिए कड़े, पतले व गोल होते हैं। पर्व संधि पर ये मोटे हो जाते हैं। शाखाएं अनेक लंबी, पतली तथा लालवर्ण की होती हैं। पत्ते छोटे व बड़े दोनों प्रकार के होते हैं। लंबाई 25 से 27 मिलीमीटर होती है। निचला तल श्वेताभ होता है व छूने पर चिकना प्रतीत होता है।
'''पुनर्नवा''' या '''शोथहीन''' या '''गदहपूरना''' ([[वानस्पतिक नाम]]:Boerhaavia diffusa) एक [[आयुर्वेद|आयुर्वेदिक]] औषधीय पौधा है। श्वेत पुनर्नवा का पौधा बहुवर्षायु और प्रसरणशील होता है। क्षुप 2 से 3 मीटर लंबे होते हैं। ये प्रतिवर्ष वर्षा ऋतु में नए निकलते हैं व ग्रीष्म में सूख जाते हैं। इस क्षुप के काण्ड प्रायः गोलाई लिए कड़े, पतले व गोल होते हैं। पर्व संधि पर ये मोटे हो जाते हैं। शाखाएं अनेक लंबी, पतली तथा लालवर्ण की होती हैं। पत्ते छोटे व बड़े दोनों प्रकार के होते हैं। लंबाई 25 से 27 मिलीमीटर होती है। निचला तल श्वेताभ होता है व छूने पर चिकना प्रतीत होता है।


== नामकरण ==
== [http://ayurvedicherbss.com/what-is-giloy-what-are-the-benefits-of-giloy-according-to-ayurveda-what-are/ नामकरण] ==
इस विशेषणात्मक नामकरण की पृष्ठभूमि पूर्णतः वैज्ञानिक है। पुनर्नवा का पौधा जब सूख जाता है तो वर्षा ऋतु आने पर इन से शाखाएँ पुनः फूट पड़ती हैं और पौधा अपनी मृत जीर्ण-शीर्णावस्था से दुबारा नया जीवन प्राप्त कर लेता है। इस विलक्षणता के कारण ही इसे ऋषिगणों ने 'पुनर्नवा' नाम दिया है।<ref>'पुनः पुनर्नवा भवति' जो फिर से प्रतिवर्ष नवीन हो जाए अथवा 'शरीरं पुनर्नवं करोति' जो रसायन एवं रक्तवर्धक होने से शरीर को पुनः नया बना दे, उसे पुनर्नवा कहते हैं।</ref> इसे शोथहीन व गदहपूरना भी कहते हैं।
इस विशेषणात्मक नामकरण की पृष्ठभूमि पूर्णतः वैज्ञानिक है। पुनर्नवा का पौधा जब सूख जाता है तो वर्षा ऋतु आने पर इन से शाखाएँ पुनः फूट पड़ती हैं और पौधा अपनी मृत जीर्ण-शीर्णावस्था से दुबारा नया जीवन प्राप्त कर लेता है। इस विलक्षणता के कारण ही इसे ऋषिगणों ने 'पुनर्नवा' नाम दिया है।<ref>'पुनः पुनर्नवा भवति' जो फिर से प्रतिवर्ष नवीन हो जाए अथवा 'शरीरं पुनर्नवं करोति' जो रसायन एवं रक्तवर्धक होने से शरीर को पुनः नया बना दे, उसे पुनर्नवा कहते हैं।</ref> इसे शोथहीन व गदहपूरना भी कहते हैं।


पंक्ति 45: पंक्ति 45:


==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
* [http://ayurvedicherbss.com/what-is-giloy-what-are-the-benefits-of-giloy-according-to-ayurveda-what-are/ उष्णकटिबन्धीय पौधे डाटाबेस]
* [https://web.archive.org/web/20091211210419/http://www.rain-tree.com/ervatostao.htm उष्णकटिबन्धीय पौधे डाटाबेस]
* [http://ayurvedicherbss.com/what-is-giloy-what-are-the-benefits-of-giloy-according-to-ayurveda-what-are/ बोह्राविया डिफ़्यूज़ा]
* [https://web.archive.org/web/20110726165033/http://www.ibiblio.org/pfaf/cgi-bin/arr_html?Boerhavia+diffusa बोह्राविया डिफ़्यूज़ा]
* [http://ayurvedicherbss.com/what-is-giloy-what-are-the-benefits-of-giloy-according-to-ayurveda-what-are/ किडनी रोगियों के लिए अच्छी खबर; यह पौधा बीमार गुर्दे को कर सकता है स्वस्थ]
* [https://www.jagran.com/news/national-world-kidney-day-rehabilitating-plant-can-make-sick-kidney-healthy-jagran-special-19040028.html किडनी रोगियों के लिए अच्छी खबर; यह पौधा बीमार गुर्दे को कर सकता है स्वस्थ]


{{औषधीय पौधे}}
{{औषधीय पौधे}}

17:53, 8 अगस्त 2020 का अवतरण

पुनर्नवा
बोह्राविया डिफ़्यूज़ा
Boerhavia diffusa
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
विभाग: मैग्नोलियोफाइटा
वर्ग: मैग्नोलियोप्सीडा
गण: Caryophyllales
कुल: Nyctaginaceae
वंश: Boerhavia
जाति: B. diffusa
द्विपद नाम
Boerhavia diffusa
L.

पुनर्नवा या शोथहीन या गदहपूरना (वानस्पतिक नाम:Boerhaavia diffusa) एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है। श्वेत पुनर्नवा का पौधा बहुवर्षायु और प्रसरणशील होता है। क्षुप 2 से 3 मीटर लंबे होते हैं। ये प्रतिवर्ष वर्षा ऋतु में नए निकलते हैं व ग्रीष्म में सूख जाते हैं। इस क्षुप के काण्ड प्रायः गोलाई लिए कड़े, पतले व गोल होते हैं। पर्व संधि पर ये मोटे हो जाते हैं। शाखाएं अनेक लंबी, पतली तथा लालवर्ण की होती हैं। पत्ते छोटे व बड़े दोनों प्रकार के होते हैं। लंबाई 25 से 27 मिलीमीटर होती है। निचला तल श्वेताभ होता है व छूने पर चिकना प्रतीत होता है।

नामकरण

इस विशेषणात्मक नामकरण की पृष्ठभूमि पूर्णतः वैज्ञानिक है। पुनर्नवा का पौधा जब सूख जाता है तो वर्षा ऋतु आने पर इन से शाखाएँ पुनः फूट पड़ती हैं और पौधा अपनी मृत जीर्ण-शीर्णावस्था से दुबारा नया जीवन प्राप्त कर लेता है। इस विलक्षणता के कारण ही इसे ऋषिगणों ने 'पुनर्नवा' नाम दिया है।[1] इसे शोथहीन व गदहपूरना भी कहते हैं।

पहचान मतभेद और मिलावट

बोअरहेविआ कोकिनिया

पुनर्नवा के नामों के संबंध में भारी मतभेद रहा है। भारत के भिन्न-भिन्न भागों में तीन अलग-अलग प्रकार के पौधे पुनर्नवा नाम से जाने जाते हैं। ये हैं- बोअरहेविया डिफ्यूजा, इरेक्टा तथा रीपेण्डा। आय.सी.एम.आर. के वैज्ञानिकों ने वानस्पतिकी के क्षेत्र में शोधकर 'मेडीसिनल प्लाण्ट्स ऑफ इण्डिया' नामक ग्रंथ में इस विषय पर लिखकर काफी कुछ भ्रम को मिटाया है। उनके अनुसार बोअरहेविया डिफ्यूजा, जिसके पुष्प श्वेत होते हैं, ही औषधीय गुणों वाली है। बाजार में उपलब्ध पुनर्नवा में बहुधा एक अन्य मिलती-जुलती वनस्पति ट्रांएन्थीला पाँरचूली क्रास्ट्रम की मिलावट की जाती है। रक्त पुनर्नवा (लाल पुनर्नवा) एक सामान्य पायी जाने वाली घास है जो सर्वत्र सड़कों के किनारे उगी फैली हुई मिलती है। श्वेत पुनर्नवा रक्त वाली प्रजाति से बहुत कम सुलभ है इसलिए श्वेत औषधीय प्रजाति में रक्त पुनर्नवा की अक्सर मिलावट कर दी जाती है।

पुष्प पत्रकोण से निकलते हैं, छतरी के आकार के छोटे-छोटे सफेद 5 से 15 की संख्या में होते हैं। फल छोटे होते हैं तथा चिपचिपे बीजों से युक्त होते हैं ये शीतकाल में फलते हैं। पुनर्नवा की जड़ प्रायः 1 फुट तक लंबी, ताजी स्थिति में उँगली के बराबर मोटी गूदेदार व उपमूलों सहित होती है। यह सहज ही बीच से टूट जाती है। गंध उग्र व स्वाद तीखा होती है। उल्टी लाने वाला तिक्त गाढ़ा दूध समान द्रव्य इसमें से तोड़ने पर निकलता है। उपरोक्त गुणों द्वारा सही पौधे की पहचान कर ही प्रयुक्त किया जाता है।

आयुर्वेद की नजर से

विशेषता और उपयोग -: पुनर्नवा उष्णवीर्य, तिक्त, रुखा और कफ नाशक होता है। इससे सूजन, पांडुरोग, हर्द्रोग, खांसी, उर:क्षत(सीने का घाव) और पीड़ा का विनाशक होता है।

औषधीय घटक और गुण

इस औषधि का मुख्य औषधीय घटक एक प्रकार का एल्केलायड है, जिसे पुनर्नवा कहा गया है। इसकी मात्रा जड़ में लगभग 0.04 प्रतिशत होती है। अन्य एल्केलायड्स की मात्रा लगभग 6.5 प्रतिशत होती है। पुनर्नवा के जल में न घुल पाने वाले भाग में स्टेरॉन पाए गए हैं, जिनमें बीटा-साइटोस्टीराल और एल्फा-टू साईटोस्टीराल प्रमुख है। इसके निष्कर्ष में एक ओषजन युक्त पदार्थ ऐसेण्टाइन भी मिला है। इसके अतिरिक्त कुछ महत्त्वपूर्ण् कार्बनिक अम्ल तथा लवण भी पाए जाते हैं। अम्लों में स्टायरिक तथा पामिटिक अम्ल एवं लवणों में पोटेशियम नाइट्रेट, सोडियम सल्फेट एवं क्लोराइड प्रमुख हैं। इन्हीं के कारण सूक्ष्म स्तर पर कार्य करने की सामर्थ्य बढ़ती है।

चित्र दीर्घा

सन्दर्भ

  1. 'पुनः पुनर्नवा भवति' जो फिर से प्रतिवर्ष नवीन हो जाए अथवा 'शरीरं पुनर्नवं करोति' जो रसायन एवं रक्तवर्धक होने से शरीर को पुनः नया बना दे, उसे पुनर्नवा कहते हैं।

बाहरी कड़ियाँ