"पुस्तक": अवतरणों में अंतर

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डेहरी : आदिवासी चेतना की कविताएं, '''पुस्तक''' या '''किताब''' लिखित या मुद्रित पन्नो के संग्रह को कहते हैं। डिजिटल पुस्तकों को [[ई-पुस्तक]] (ई-बुक) कहते हैं जबकि हस्तलिखित पुस्तकों को [[पाण्डुलिपि|पांडुलिपियां]] कहते हैं। एक स्थूल पदार्थ के रूप में पुस्तक सामान्यतः आयताकार पृष्ठों का एक पुलिंदा है जिसे कागज़, पेपिरस, चर्मपत्र या भोजपत्र से निर्मित किया जाता है और जिसे एक ओर से बांधकर (दायीं या बायीं ओर से) या सीं कर या फिर किसी अन्य माध्यम से एक साथ इस प्रकार से दृढ कर दिया जाता है कि उसे सरलता से पढ़ा जा सके।
डेहरी : आदिवासी चेतना की कविताएं, '''पुस्तक''' या '''किताब''' लिखित या मुद्रित पन्नो के संग्रह को कहते हैं। डिजिटल पुस्तकों को [[ई-पुस्तक]] (ई-बुक) कहते हैं जबकि हस्तलिखित पुस्तकोँ को [[पाण्डुलिपि|पांडुलिपियां]] कहते हैँ। एक स्थूल पदार्थ के रूप में पुस्तक सामान्यतः आयताकार पृष्ठों का एक पुलिंदा है जिसे कागज़, पेपिरस, चर्मपत्र या भोजपत्र से निर्मित किया जाता है और जिसे एक ओर से बाँधकर (दायीं या बायीं ओर से) या सीं कर या फिर किसी अन्य माध्यम से एक साथ इस प्रकार से दृढ कर दिया जाता है कि उसे सरलता से पढ़ा जा सके।


आज पुस्तकें सिर्फ स्थूल रूप में ही उपलब्ध नहीं हैं, बल्कि संचार क्रांति के फलस्वरूप वह ई-पुस्तकों और दूसरे रूपों में भी उपलब्ध हैं। जिस स्थान पर बहुत सी पुस्तकों को व्यवस्थित और क्रमबद्ध ढंग से रखा जाता है, उसे [[पुस्तकालय]] कहते हैं।
आज पुस्तकें सिर्फ स्थूल रूप में ही उपलब्ध नहीं हैं, बल्कि संचार क्रांति के फलस्वरूप वह ई-पुस्तकों और दूसरे रूपों में भी उपलब्ध हैं। जिस स्थान पर बहुत सी पुस्तकों को व्यवस्थित और क्रमबद्ध ढंग से रखा जाता है, उसे [[पुस्तकालय]] कहते हैं।

16:49, 5 अगस्त 2020 का अवतरण

डेहरी : आदिवासी चेतना की कविताएं, पुस्तक या किताब लिखित या मुद्रित पन्नो के संग्रह को कहते हैं। डिजिटल पुस्तकों को ई-पुस्तक (ई-बुक) कहते हैं जबकि हस्तलिखित पुस्तकोँ को पांडुलिपियां कहते हैँ। एक स्थूल पदार्थ के रूप में पुस्तक सामान्यतः आयताकार पृष्ठों का एक पुलिंदा है जिसे कागज़, पेपिरस, चर्मपत्र या भोजपत्र से निर्मित किया जाता है और जिसे एक ओर से बाँधकर (दायीं या बायीं ओर से) या सीं कर या फिर किसी अन्य माध्यम से एक साथ इस प्रकार से दृढ कर दिया जाता है कि उसे सरलता से पढ़ा जा सके।

आज पुस्तकें सिर्फ स्थूल रूप में ही उपलब्ध नहीं हैं, बल्कि संचार क्रांति के फलस्वरूप वह ई-पुस्तकों और दूसरे रूपों में भी उपलब्ध हैं। जिस स्थान पर बहुत सी पुस्तकों को व्यवस्थित और क्रमबद्ध ढंग से रखा जाता है, उसे पुस्तकालय कहते हैं।

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