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[[उत्तरकाण्ड]] [[वाल्मीकि]] कृत [[रामायण]] और गोस्वामी [[तुलसीदास]] कृत [[श्रीरामचरितमानस|श्री राम चरित मानस]] का एक भाग (काण्ड या सोपान) है।
[[उत्तरकाण्ड]] [[वाल्मीकि]] कृत [[रामायण]] और गोस्वामी [[तुलसीदास]] कृत [[श्रीरामचरितमानस|श्री राम चरित मानस]] का एक भाग (काण्ड या सोपान) है।


[[उत्तरकाण्ड]] [[राम]] कथा का उपसंहार है। [[सीता]], [[लक्ष्मण]] और समस्त [[वानरसेना|वानर सेना]] के साथ [[राम]] [[अयोध्या]] वापस पहुँचे। [[राम]] का भव्य स्वागत हुआ, [[भरत]] के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और [[शिव]] की स्तुति के साथ [[राम]] का [[राज्याभिषेक]] हुआ। वानरों की विदाई दी गई। [[राम]] ने प्रजा को उपदेश दिया और प्रजा ने कृतज्ञता प्रकट की। चारों भाइयों के दो दो पुत्र हुये। [[रामराज्य]] आदर्श बन गया। प्रजा ने सीता पर दोष लगाया तब सीता का निर्वासन हो गया । और वहाँपर श्री राम के दो पुत्र हुए लव ओर कुश । लव ओर कुश वाल्मीकिजी के आश्रम में पले बढ़े ।
[[उत्तरकाण्ड]] [[राम]] कथा का उपसंहार है। [[सीता]], [[लक्ष्मण]] और समस्त [[वानरसेना|वानर सेना]] के साथ [[राम]] [[अयोध्या]] वापस पहुँचे। [[राम]] का भव्य स्वागत हुआ, [[भरत]] के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और [[शिव]] की स्तुति के साथ [[राम]] का [[राज्याभिषेक]] हुआ। वानरों की विदाई दी गई। [[राम]] ने प्रजा को उपदेश दिया और प्रजा ने कृतज्ञता प्रकट की। [[रामराज्य]] एक आदर्श बन गया। परन्तु प्रजा ने सीता पर दोष लगाया तब सीता का निर्वासन हो गया । और वहाँपर श्री राम के दो पुत्र हुए लव ओर कुश । बाकी भाइयों के दो दो पुत्र हुए । लव ओर कुश वाल्मीकिजी के आश्रम में पले बढ़े ।


एक दिन भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया और तब यज्ञ के अश्व को लव ओर कुश ने रोक लिया तब युद्ध हुआ । और अंत मे लव कुश को इस बात का ज्ञान हो गया कि वो राम के ही पुत्र है । तब उन्होंने राम राज्य सभा मे सबको रामायण सुनाई । ओर अंत मे सीता का रसातल प्रवेश हुआ ।
एक दिन भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया और तब यज्ञ के अश्व को लव ओर कुश ने रोक लिया तब युद्ध हुआ । और अंत मे लव कुश को इस बात का ज्ञान हो गया कि वो राम के ही पुत्र है । तब उन्होंने राम राज्य सभा मे सबको रामायण सुनाई । ओर अंत मे सीता का रसातल प्रवेश हुआ ।

01:42, 17 जुलाई 2020 का अवतरण

उत्तरकाण्ड वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस का एक भाग (काण्ड या सोपान) है।

उत्तरकाण्ड राम कथा का उपसंहार है। सीता, लक्ष्मण और समस्त वानर सेना के साथ राम अयोध्या वापस पहुँचे। राम का भव्य स्वागत हुआ, भरत के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और शिव की स्तुति के साथ राम का राज्याभिषेक हुआ। वानरों की विदाई दी गई। राम ने प्रजा को उपदेश दिया और प्रजा ने कृतज्ञता प्रकट की। रामराज्य एक आदर्श बन गया। परन्तु प्रजा ने सीता पर दोष लगाया तब सीता का निर्वासन हो गया । और वहाँपर श्री राम के दो पुत्र हुए लव ओर कुश । बाकी भाइयों के दो दो पुत्र हुए । लव ओर कुश वाल्मीकिजी के आश्रम में पले बढ़े ।

एक दिन भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया और तब यज्ञ के अश्व को लव ओर कुश ने रोक लिया तब युद्ध हुआ । और अंत मे लव कुश को इस बात का ज्ञान हो गया कि वो राम के ही पुत्र है । तब उन्होंने राम राज्य सभा मे सबको रामायण सुनाई । ओर अंत मे सीता का रसातल प्रवेश हुआ ।

विशेष:- मूल वाल्मिकी रामायण में उत्तर काण्ड नहीं है। केवल युद्ध काण्ड सहित छः काण्ड हैं। उत्तर काण्ड को बाद में जोड़ा गया है।

इन्हें भी देखें

संदर्भ