"आर्थर ऐश": अवतरणों में अंतर

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आर्थर ऐश अमेरिका के नम्बर वन टेनिस प्लेयर थे यह लोगों में बेहद मकबूल थे इसकी एक ही वजह थी वह यह की वो एक बेहतरीन खिलाड़ी था और बेहतरीन इंसान थे..
वो दुनिया के प्रसिद्ध मकबूल नम्बर वन प्लेयर थे मगर एक हादसे की वजह से अस्पताल में गलती से एक एड्स मरीज का खून
आर्थर को लग गया और फिर आर्थर को भी एड्स हो गया
जब वह बिस्तर पर जिंदगी की जंग हार रहे थे तो दुनिया भर से उसके फैंस के खत आते थे एक फैंस ने खत भेजा जिसमे लिखा था ...
"खुदा" ने इस खौफनाक बिमारी के लिए आप ही को क्यों चुना-?

आर्थर ने हजारों खतों में सिर्फ इस एक खत का जवाब दिया..
जो कि यह था..
दुनियाभर भर में पाँच करोड़ से ज्यादा बच्चे टेनिस खेलना शुरू करते हैं!
और उनमें से पचास लाख ही खेलना सीख पाते हैं!
इनमें से पचास हजार ही डोमेस्टिक से इंटरनेशनल लेवल तक खेल पाते हैं!
इन पचास हजार में से पाँच हजार ही ग्रेंड स्लेम तक पहुंच पाते हैं!
इनमें से पचास ही विम्बल्डन तक पहुंचते हैं! और पचास में महज चार ही विम्बल्डन के सेमीफाइनल तक पहुंच पाते हैं!
इनमें से दो ही फाइनल में जाते हैं!
और इनमें से सिर्फ एक ही ट्राफी उठाता है!
और ट्राफी उठाने वाला पाँच करोड़ में से एक चुना जाता है!
वह ट्राफी उठाते हुए मैने कभी खुदा से नहीं पुछा कि "मैं ही क्यों-?
लिहाज़ा आज अगर दर्द मिल रहा है!
तो खुदा से शिकायत शुरू कर दूँ कि "मैं ही क्यों-?

जब हम अपने अच्छे वक्त में खुदा से नहीं पूछते है!
"मैं" ही क्यों-?
तो बुरे वक़्त में क्यों पुछें की " मैं ही क्यों-? " ..!
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तो दोस्तो हर हाल में हम खुदा का शुक्र अदा करते रहो..

01:04, 9 जुलाई 2020 का अवतरण

आर्थर ऐश
चित्र:ArthurAshe.jpg
देश साँचा:Country data अमेरिका
निवास रिचमंड, अमेरिका
जन्म 10 जुलाई 1943 (1943-07-10) (आयु 80)
जन्म स्थान रिचमंड, अमेरिका
मरण 6 फ़रवरी 1993 (1993-02-06) (आयु 31)
कद 1.85 मीटर (6 फुट 1 इंच)
वज़न 73 किग्रा (161 पाउन्ड)
व्यवसायिक बना 1966
सन्यास लिया 1980
खेल शैली दायें हाथ से
व्यवसायिक पुरस्कार राशि US $2,584,909
एकल
कैरियर रिकार्ड:
कैरियर उपाधियाँ: 33
सर्वोच्च वरीयता: No. 1 (in 1968 and 1975)
ग्रैंड स्लैम परिणाम
ऑस्ट्रेलियाई ओपन W (1970)
फ़्रेंच ओपन QF (1970, 1971)
विम्बलडन W (1975)
अमरीकी ओपन W (1968)
युगल
कैरियर रिकार्ड:
कैरियर उपाधियाँ:
सर्वोच्च वरीयता:

ज्ञानसंदूक आखिरी बार बदला गया: २४ जुलाई, २००७.

आर्थर रॉबर्ट ऐश का जन्म १० जुलाई १९४३ को रिचमंड, अमेरिका मे हुआ था। ऐश अंतरराष्ट्रीय टेनिस में सर्वोच्च स्तर पर खेलने वाले प्रथम अफ्रीकी अमेरिकन खिलाड़ी थे। हृदय की दो बार तथा मस्तिष्क की एक बार शल्य चिकित्सा होने के बाद उन्होंने समय से पहले ही कोर्ट छोड़ दिया था। बाद में उन्होंने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व के जरिये समाज में मानवाधिकार, जन स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े कार्यों में अहम् योगदान दिया.

ऐश को १९८८ में यह जानकारी मिली कि वे एचआईवी संक्रमण के शिकार हैं। इलाज के दौरान संक्रमित रक्त चढाये जाने से उन्हें यह संक्रमण हुआ था। १९९२ में ऐश ने अपनी बीमारी का सार्वजनिक रूप से खुलासा कर दिया. ऐश विश्व टेनिस जगत के सबसे भद्र खिलाड़ियों में से एक माने जाते थे। ऐश की मृत्यु ६ फ़रवरी १९९३ को न्यूयार्क सिटी में हुई।

जीवन परिचय

करियर

उपलब्धियां

सामाजिक कार्य

आर्थर ऐश अमेरिका के नम्बर वन टेनिस प्लेयर थे यह लोगों में बेहद मकबूल थे इसकी एक ही वजह थी वह यह की वो एक बेहतरीन खिलाड़ी था और बेहतरीन इंसान थे.. वो दुनिया के प्रसिद्ध मकबूल नम्बर वन प्लेयर थे मगर एक हादसे की वजह से अस्पताल में गलती से एक एड्स मरीज का खून आर्थर को लग गया और फिर आर्थर को भी एड्स हो गया जब वह बिस्तर पर जिंदगी की जंग हार रहे थे तो दुनिया भर से उसके फैंस के खत आते थे एक फैंस ने खत भेजा जिसमे लिखा था ... "खुदा" ने इस खौफनाक बिमारी के लिए आप ही को क्यों चुना-?

आर्थर ने हजारों खतों में सिर्फ इस एक खत का जवाब दिया.. जो कि यह था.. दुनियाभर भर में पाँच करोड़ से ज्यादा बच्चे टेनिस खेलना शुरू करते हैं! और उनमें से पचास लाख ही खेलना सीख पाते हैं! इनमें से पचास हजार ही डोमेस्टिक से इंटरनेशनल लेवल तक खेल पाते हैं! इन पचास हजार में से पाँच हजार ही ग्रेंड स्लेम तक पहुंच पाते हैं! इनमें से पचास ही विम्बल्डन तक पहुंचते हैं! और पचास में महज चार ही विम्बल्डन के सेमीफाइनल तक पहुंच पाते हैं! इनमें से दो ही फाइनल में जाते हैं! और इनमें से सिर्फ एक ही ट्राफी उठाता है! और ट्राफी उठाने वाला पाँच करोड़ में से एक चुना जाता है! वह ट्राफी उठाते हुए मैने कभी खुदा से नहीं पुछा कि "मैं ही क्यों-? लिहाज़ा आज अगर दर्द मिल रहा है! तो खुदा से शिकायत शुरू कर दूँ कि "मैं ही क्यों-?

जब हम अपने अच्छे वक्त में खुदा से नहीं पूछते है! "मैं" ही क्यों-? तो बुरे वक़्त में क्यों पुछें की " मैं ही क्यों-? " ..!


तो दोस्तो हर हाल में हम खुदा का शुक्र अदा करते रहो..