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'''मोपला विद्रोह''' : [[केरल]] के मोपला मुसलमानों द्वारा १९२1में स्थानीय जमीदारो एवं ब्रितानियों के विरुद्ध किया गया विद्रोह '''मोपला विद्रोह''' कहलाता है। यह विद्रोह [[मालाबार]] के एरनद और वल्लुवानद तालुका में [[ख़िलाफ़त आन्दोलन|खिलाफत आन्दोलन]] के विरुद्ध अंग्रेजों द्वारा की गयी दमनात्मक कार्यवाही के विरुद्ध आरम्भ हुआ था। इसमें अंग्रेज़ो द्वारा हिन्दुओ ओर मुस्लिमों के बीच दंगा करने का काफी प्रयास हुआ। जिसमें वो सफल भी हुए, इसी को आधार बनाकर [[विनायक दामोदर सावरकर]] ने 'मोपला' नामक उपन्यास की रचना की है। (विनायक दामोदर सावरकर को लेकर भी भारतीयों में मतभेद है)
'''मोपला विद्रोह''' : [[केरल]] के मोपला मुसलमानों द्वारा १९२1में स्थानीय जमीदारो एवं ब्रितानियों के विरुद्ध किया गया विद्रोह '''मोपला विद्रोह''' कहलाता है। यह विद्रोह [[मालाबार]] के एरनद और वल्लुवानद तालुका में [[ख़िलाफ़त आन्दोलन|खिलाफत आन्दोलन]] के विरुद्ध अंग्रेजों द्वारा की गयी दमनात्मक कार्यवाही के विरुद्ध आरम्भ हुआ था। इसमें अंग्रेज़ो द्वारा हिन्दुओ ओर मुस्लिमों के बीच दंगा करने का काफी प्रयास हुआ। जिसमें वो सफल भी हुए, इसी को आधार बनाकर [[विनायक दामोदर सावरकर]] ने 'मोपला' नामक उपन्यास की रचना की है।


मालाबार तट पर केरल में 1836 -1922 तक यहां के जागीरदार हिन्दू थे जबकि निम्न जाति के किसानों नें इसाई एवं मुस्लिम धर्म ग्रहण कर लिया था।
मालाबार तट पर केरल में 1836 -1922 तक यहां के जागीरदार हिन्दू थे जबकि निम्न जाति के किसानों नें इसाई एवं मुस्लिम धर्म ग्रहण कर लिया था।
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[[मालाबार]] क्षेत्र में मोपलाओं द्वारा 1922 ई. में विद्राह किया गया। प्रारम्भ में यह विद्रोह अंग्रेज़ हुकूमत
[[मालाबार]] क्षेत्र में मोपलाओं द्वारा 1922 ई. में विद्राह किया गया। प्रारम्भ में यह विद्रोह अंग्रेज़ हुकूमत
और छद्म रूप से स्थानीय ज़मींदारों के विरुद्ध था। जिसे बाद अंग्रेज़ो व ज़मींदारों ने हिन्दू-मुस्लिम बनाने का प्रयास किया जो कुछ हद तक सफल भी हुए। [[महात्मा गांधी|महात्मा गाँधी]], [[मौलाना शौकत अली|शौकत अली]], [[अबुल कलाम आज़ाद|मौलाना अबुल कलाम आज़ाद]] जैसे नेताओं का सहयोग इस आन्दोलन को प्राप्त था। इस आन्दोलन के मुख्य नेता के रूप में 'अली मुसलियार' चर्चित थे। 15 फ़रवरी, 1922. को सरकार ने निषेधाज्ञा लागू कर ख़िलाफ़त तथा कांग्रेस के नेता याकूब हसन, यू. गोपाल मेनन, पी. मोइद्दीन कोया और के. माधवन नायर को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद यह आन्दोलन स्थानीय मोपला नेताओं के हाथ में चला गया। 1922 ई. में इस आन्दोलन ने हिन्दू-मुसलमानों के मध्य साम्प्रदायिक दंगों का रूप ले लिया, जो कि स्थानीय ज़मींदारों व अंग्रेज़ अफसरों की मिली भगत के कारण ही सम्भव हुआ। इस दंगे में जान माल का बहुत ज़्यादा नुकसान नही हुआ, हालांकि(वीर सावरकर जिन्हें लेकर भारत के लोगो मे काफी मतभेद है) ने इस पर एक उपन्यास भी लिखा है, जिसमें हजारों हिंदुओ के मारे जाने की बात कही है।
और छद्म रूप से स्थानीय ज़मींदारों के विरुद्ध था। जिसे बाद अंग्रेज़ो व ज़मींदारों ने हिन्दू-मुस्लिम बनाने का प्रयास किया जो कुछ हद तक सफल भी हुए। [[महात्मा गांधी|महात्मा गाँधी]], [[मौलाना शौकत अली|शौकत अली]], [[अबुल कलाम आज़ाद|मौलाना अबुल कलाम आज़ाद]] जैसे नेताओं का सहयोग इस आन्दोलन को प्राप्त था। इस आन्दोलन के मुख्य नेता के रूप में 'अली मुसलियार' चर्चित थे। 15 फ़रवरी, 1922. को सरकार ने निषेधाज्ञा लागू कर ख़िलाफ़त तथा कांग्रेस के नेता याकूब हसन, यू. गोपाल मेनन, पी. मोइद्दीन कोया और के. माधवन नायर को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद यह आन्दोलन स्थानीय मोपला नेताओं के हाथ में चला गया। 1922 ई. में इस आन्दोलन ने हिन्दू-मुसलमानों के मध्य साम्प्रदायिक दंगों का रूप ले लिया, जो कि स्थानीय ज़मींदारों व अंग्रेज़ अफसरों की मिली भगत के कारण ही सम्भव हुआ। इस दंगे में जान माल का बहुत ज़्यादा नुकसान नही हुआ, हालांकि ने इस पर एक उपन्यास भी लिखा है, जिसमें हजारों हिंदुओ के मारे जाने की बात कही है।


== इन्हें भी देखें==
== इन्हें भी देखें==

21:31, 24 जून 2020 का अवतरण

मोपला विद्रोह
खिलाफत आन्दोलन, मोपला विद्रोह, Tenancy movement, Non-co-operation movement का भाग
South Malabar 1921.png
South Malabar in 1921; areas in red show Taluks affected by the rebellion
तिथि 1921
स्थान Malabar
परिणाम Rebellion suppressed
योद्धा
ब्रिटिश राज, हिन्दू मापिला
सेनानायक
Thomas T. S. Hitchcock, A. S. P. Amu अली मुस्लियार, Variankunnath Kunjahammad Haji, Sithi Koya Thangal, Chembrassery Thangal, K. Moiteenkutti Haji, Konnara Thangal, Abdu H Hin.[1]
मृत्यु एवं हानि
British forces: 43 troops killed, 126 troops wounded,

Hindus: almost 10000 killed

50,000 imprisoned

मोपला विद्रोह : केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा १९२1में स्थानीय जमीदारो एवं ब्रितानियों के विरुद्ध किया गया विद्रोह मोपला विद्रोह कहलाता है। यह विद्रोह मालाबार के एरनद और वल्लुवानद तालुका में खिलाफत आन्दोलन के विरुद्ध अंग्रेजों द्वारा की गयी दमनात्मक कार्यवाही के विरुद्ध आरम्भ हुआ था। इसमें अंग्रेज़ो द्वारा हिन्दुओ ओर मुस्लिमों के बीच दंगा करने का काफी प्रयास हुआ। जिसमें वो सफल भी हुए, इसी को आधार बनाकर विनायक दामोदर सावरकर ने 'मोपला' नामक उपन्यास की रचना की है।

मालाबार तट पर केरल में 1836 -1922 तक यहां के जागीरदार हिन्दू थे जबकि निम्न जाति के किसानों नें इसाई एवं मुस्लिम धर्म ग्रहण कर लिया था।

1836 में इसकी शुरुआत अली मुस्लियार खाँ के नेतृत्व में हुई।

दूसरी बार 1922 में पुनः शुरुआत हुई व खिलाफत आंदोलन से मिल गया।

मालाबार क्षेत्र में मोपलाओं द्वारा 1922 ई. में विद्राह किया गया। प्रारम्भ में यह विद्रोह अंग्रेज़ हुकूमत और छद्म रूप से स्थानीय ज़मींदारों के विरुद्ध था। जिसे बाद अंग्रेज़ो व ज़मींदारों ने हिन्दू-मुस्लिम बनाने का प्रयास किया जो कुछ हद तक सफल भी हुए। महात्मा गाँधी, शौकत अली, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसे नेताओं का सहयोग इस आन्दोलन को प्राप्त था। इस आन्दोलन के मुख्य नेता के रूप में 'अली मुसलियार' चर्चित थे। 15 फ़रवरी, 1922. को सरकार ने निषेधाज्ञा लागू कर ख़िलाफ़त तथा कांग्रेस के नेता याकूब हसन, यू. गोपाल मेनन, पी. मोइद्दीन कोया और के. माधवन नायर को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद यह आन्दोलन स्थानीय मोपला नेताओं के हाथ में चला गया। 1922 ई. में इस आन्दोलन ने हिन्दू-मुसलमानों के मध्य साम्प्रदायिक दंगों का रूप ले लिया, जो कि स्थानीय ज़मींदारों व अंग्रेज़ अफसरों की मिली भगत के कारण ही सम्भव हुआ। इस दंगे में जान माल का बहुत ज़्यादा नुकसान नही हुआ, हालांकि ने इस पर एक उपन्यास भी लिखा है, जिसमें हजारों हिंदुओ के मारे जाने की बात कही है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

  1. Besant, Annie. The Future of Indian Politics: A Contribution To The Understanding Of Present-Day Problems P252. Kessinger Publishing, LLC. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1428626050. They murdered and plundered abundantly, and killed or drove away all Hindus who would not apostatize. Somewhere about a lakh of people were driven from their homes with nothing but the clothes they had on, stripped of everything. Malabar has taught us what Islamic rule still means, and we do not want to see another specimen of the Khilafat Raj in India.