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'''अलीगढ़''' [[उत्तर प्रदेश]] राज्य में [[अलीगढ़ जिला|अलीगढ़ जिले]] में शहर है। अलीगढ़ नगर [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] के कारण विश्व प्रसिद्ध है और अपने तालों (Locks) के लिये भी. अलीगढ़ जनपद को [[खैर प्रखण्ड (अलीगढ़)|खैर]], [[अतरौली]], [[गभाना]], [[इगलास]] और [[कोल]] तहसीलों में विभाजित किया हुआ है।
'''अलीगढ़''' [[उत्तर प्रदेश]] राज्य में [[अलीगढ़ जिला|अलीगढ़ जिले]] में शहर है। अलीगढ़ नगर [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] के कारण विश्व प्रसिद्ध है और अपने तालों (Locks) के लिये भी. अलीगढ़ जनपद को [[खैर प्रखण्ड (अलीगढ़)|खैर]], [[अतरौली]], [[गभाना]], [[इगलास]] और [[कोल]] तहसीलों में विभाजित किया हुआ है।


अलीगढ़ प्राचीन नाम से 'कोइल' या 'कोल' भी कहलाता है। अलीगढ़ शहर, उत्तरी भारत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। यह [[दिल्ली]] के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह शहर '[[नरौरा परमाणु विद्युत संयंत्र|नरोरा पावर प्लांट']] से लगभग 50 किमी की दूरी पर है। अलीगढ़ भारत का ५५वाँ सबसे बड़ा शहर<ref>{{cite web|title=Top cities of India by population, Census 2011|url=http://www.census2011.co.in/city.php|accessdate=७ मई २०१५}}</ref> है। इसके पास ही अलीगढ़ नाम का एक क़िला है। कोल नाम की तहसील अब भी अलीगढ़ ज़िले में है। अलीगढ़ नाम 'नजफ़ खाँ' का दिया हुआ है। 1717 ई. में 'साबित खाँ' ने इसका नाम 'साबितगढ़' और 1757 में जाटों ने 'रामगढ़' रखा था। उत्तर मुग़ल काल में यहाँ सिंधिया का कब्ज़ा था। उसके फ़्रांसीसी सेनापति पेरन का क़िला आज भी खण्डहरों के रूप में नगर से तीन मील दूर है। इसे 1802 ई. में लॉर्ड लेक ने जीता था। यह क़िला पहले रामगढ़ कहलाता था।{{cn|date=अप्रैल 2020}}
अलीगढ़ प्राचीन नाम से 'कोइल' या 'कोल' भी कहलाता है। अलीगढ़ शहर, उत्तरी भारत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। यह [[दिल्ली]] के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह शहर '[[नरौरा परमाणु विद्युत संयंत्र|नरोरा पावर प्लांट']] से लगभग 50 किमी की दूरी पर है। अलीगढ़ भारत का ५५वाँ सबसे बड़ा शहर<ref>{{cite web|title=Top cities of India by population, Census 2011|url=http://www.census2011.co.in/city.php|accessdate=७ मई २०१५|archive-url=https://web.archive.org/web/20190321092118/http://www.census2011.co.in/city.php|archive-date=21 मार्च 2019|url-status=dead}}</ref> है। इसके पास ही अलीगढ़ नाम का एक क़िला है। कोल नाम की तहसील अब भी अलीगढ़ ज़िले में है। अलीगढ़ नाम 'नजफ़ खाँ' का दिया हुआ है। 1717 ई. में 'साबित खाँ' ने इसका नाम 'साबितगढ़' और 1757 में जाटों ने 'रामगढ़' रखा था। उत्तर मुग़ल काल में यहाँ सिंधिया का कब्ज़ा था। उसके फ़्रांसीसी सेनापति पेरन का क़िला आज भी खण्डहरों के रूप में नगर से तीन मील दूर है। इसे 1802 ई. में लॉर्ड लेक ने जीता था। यह क़िला पहले रामगढ़ कहलाता था।{{cn|date=अप्रैल 2020}}


== इतिहास ==
== इतिहास ==

01:00, 16 जून 2020 का अवतरण

—  शहर  —
नगर निगम
जनसंख्या ६,६७,७३२
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)

• १७८ मीटर

निर्देशांक: 27°53′N 78°05′E / 27.88°N 78.08°E / 27.88; 78.08

अलीगढ़ उत्तर प्रदेश राज्य में अलीगढ़ जिले में शहर है। अलीगढ़ नगर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कारण विश्व प्रसिद्ध है और अपने तालों (Locks) के लिये भी. अलीगढ़ जनपद को खैर, अतरौली, गभाना, इगलास और कोल तहसीलों में विभाजित किया हुआ है।

अलीगढ़ प्राचीन नाम से 'कोइल' या 'कोल' भी कहलाता है। अलीगढ़ शहर, उत्तरी भारत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। यह दिल्ली के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह शहर 'नरोरा पावर प्लांट' से लगभग 50 किमी की दूरी पर है। अलीगढ़ भारत का ५५वाँ सबसे बड़ा शहर[1] है। इसके पास ही अलीगढ़ नाम का एक क़िला है। कोल नाम की तहसील अब भी अलीगढ़ ज़िले में है। अलीगढ़ नाम 'नजफ़ खाँ' का दिया हुआ है। 1717 ई. में 'साबित खाँ' ने इसका नाम 'साबितगढ़' और 1757 में जाटों ने 'रामगढ़' रखा था। उत्तर मुग़ल काल में यहाँ सिंधिया का कब्ज़ा था। उसके फ़्रांसीसी सेनापति पेरन का क़िला आज भी खण्डहरों के रूप में नगर से तीन मील दूर है। इसे 1802 ई. में लॉर्ड लेक ने जीता था। यह क़िला पहले रामगढ़ कहलाता था।[उद्धरण चाहिए]

इतिहास

एतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो अलीगढ़ (कोल) एक अत्यधिक प्राचीन स्थल है। महाभारत के एक समीक्षाकार के अनुसार अनुमानतः पाँच हजार वर्ष पूर्व कोई कौशिरिव-कौशल नामक चन्द्रवंशी राजा यहाँ राज्य करता था और तब उसकी इस राजधानी का नाम कौशाम्बी था।[उद्धरण चाहिए] बाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख पाया जाता है।[उद्धरण चाहिए] तदोपरान्त कौशरिव को पराजित कर कोल नामक एक दैत्यराज यहाँ का बादशाह बना और उसने अपने नाम के अनुकूल इस स्थल का नाम कोल रखा। यह वह समय था जब पांडव हस्तिनापुर से अपनी राजधानी उठाकर (बुलन्दशहर) लाये थे। यहाँ काफी दिन कोल का शासन रहा। उसी काल में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी जिन्हें दाऊजी महाराज के नाम से पुकारते हैं द्वापुर युग के अन्त में रामघाट गंगा स्नान के लिए यहाँ होकर गुजरे तो उन्होंने स्थानीय खैर रोड पर अलीगढ़ नगर से करीब 5 किलो मीटर दूर स्थित प्राचीन एतिहासिक स्थल श्री खेरेश्वरधाम पर अपना पड़ाव डाला था और दैत्य सम्राट कोल का बध करके अपना हथियार हल जहाँ जाकर धोया था उस स्थान का नाम हल्दुआ हो गया। उनके सेनापति हरदेव ने उसी गाँव के निकट ही अपने नाम के आधार पर जिस स्थल पर पैठ लगवाई थी उसी का नाम कलान्तर में हरदुआगंज हो गया।भगवान बलराम ने तब कोल का राज्य पांडवों को दे दिया था परन्तु काफी प्रचलित हो जाने के कारण इसका नाम नहीं बदला। मथुरा संग्रालह में जो सिक्के 200 बी॰ सी॰ के सुरक्षित हैं वह भी हरदुआगंज, सासनी और लाखनू के समीप की गई खुदाई में ही प्राप्त हुए थे।[उद्धरण चाहिए]

पौराणिक कथाओं में यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कभी कोही नाम के ऋषि रहते थे जिनके आश्रम का नाम कोहिला आश्रम था। कलान्तर में यही कोहिला कोल हो गया। कथा यह भी है कि कोहिलाश्रम और मथुरा के मध्य महर्षि विश्वामित्र का भी आश्रम था। वर्तमान अलीगढ़ जनपद में स्थित वेसवा नाम का कस्बा जहाँ प्राचीन ऐतिहासिक सरोवर धरणीधर है उसी विश्वामित्र आश्रम का अवशेष स्मृति चिन्ह है। अलीगढ़ ब्रजमण्डल के किनारे अर्थात कोर पर स्थित होने से कुछ इतिहासकारों का यह भी मत है कि इस कोर शब्द को ही कलान्तर में कोल कहा जाने लगा। महाभारत काल के पश्चात शनैः-शनैः जब इस क्षेत्र के शासकों के छोटे-छोटे राज्य स्थापित हुए तो उनमें राजपूत, नन्द,, मौर्य, शुग, शक, कुषाण, नाम, गुप्त, तथा वर्धन वंश के सम्राटों का यत्र तत्र अधिपत्य होता रहा। [उद्धरण चाहिए].

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर जमाल मौहम्मद सिद्दीकी ने अपनी पुस्तक अलीगढ़ जनपद का ऐतिहासिक सर्वेक्षण में लगभग 200 पुरानी बस्तियों और टीलों का उल्लेख किया है जो अपनी गर्त में उक्त राजवंशों के अवशेष छुपाये हुए हैं। अलीगढ़ गजैटियर  के लेखक एस॰ आर॰ नेविल के अनुसार जब दिल्ली पर तौमर वंश के राजा अनंगपाल सिंह का राज्य था तभी बरन (बुलन्दशहर) में विक्रमसैन का शासन था। इसी वंश परम्परा में कालीसैन के पुत्र मुकुन्दसैन उसके बाद गोविन्दसैन और फिर विजयीराम के पुत्र श्री बुद्धसैन भी अलीगढ़ के एक प्रसिद्ध शासक रहे। उनके उत्तराधिकारी मंगलसैन थे जिन्होंने बालायेकिला पर एक मीनार गंगा दर्शन हेतु बनवाई थी, इससे विदित होता है कि तब गंगा कोल के निकट ही प्रवाह मान रही होगी। पुरात्विक प्रसंग के अनुसार अलीगढ़ में दो किले थे, एक किला ऊपर कोट टीले पर तथा दूसरा मुस्लिम विश्वविद्यालय के उत्तर में बरौली मार्ग पर स्थित है। जैन-बौद्ध काल में भी इस जनपद का नाम कोल था। विभिन्न संग्राहलों में रखी गई महरावल, पंजुपुर, खेरेश्वर आदि से प्राप्त मूर्तियों को देखकर इसके बौद्ध और जैन काल के राजाओं का शासन होने की पुष्टि होती है। चाणक्यकालीन इतिहास साक्षी है कि कूटनीतिज्ञ चाणक्य की कार्यस्थली भी कोल तक थी। कलिंग विजय के उपरान्त अशोक महान ने विजय स्मारक बनवाये जिनमें कौटिल्य नाम का स्थान का भी उल्लेख होता है, यह कौटिल्य कोई और नहीं कोल ही था।[उद्धरण चाहिए]

मथुरा और भरतपुर के जाट राजा सूरजमल ने सन 1753 में कोल पर अपना अधिकार कर लिया। उसे बहुत ऊँची जगह पर अपना किला पसन्द न आने के कारण एक भूमिगत किले का निर्माण कराया तथा सन 1760 में पूर्ण होने पर इस किले का नाम रामगढ़ रखा। 6 नवम्बर 1768 में यहाँ एक सिया मुस्लिम सरदार मिर्जा साहब का अधिपत्य हो गया। 1775 में उनके सिपहसालार अफरसियाब खान ने मोहम्मद (पैगम्बर) के चचेरे भाई और दमाद अली के नाम पर कोल का नाम अलीगढ़ रखा था।[उद्धरण चाहिए]

उत्तर प्रदेश का एक शहर जिसका आधुनिक भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण योग है। अलीगढ़ में एक मज़बूत क़िला था। जिसको कलक्टर गज के नाम से जाना जाता है। दूसरे आंग्ल-मराठा युद्ध में अंग्रेज़ों नें 1803 ई. में मराठों से छीन लिया और इससे दिल्ली को जीतने में उन्हें बड़ी मदद मिली। सन 1857 के सिपाही-विद्रोह का यह मुख्य केंद्र रहा। अलीगढ शहर में मुसलमानों की आबादी अधिक है।

मुस्लिम लीग की स्थापना

अलीगढ़ कॉलेज के संस्थापकों और वहाँ से निकले छात्रों के राष्ट्रीयता-विरोधी रवैये से अलीगढ़ प्रतिक्रियावादियों का गढ़ समझा जाने लगा। 1906 ई. में अलीगढ़ के कुछ स्नातकों ने मुसलमानों की आकांक्षाओं को व्यक्त करने के लिए मुस्लिम लीग की स्थापना की। कुछ वर्षों तक मुस्लिम लीग ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर भारत के लिए, शासन-सुधार की माँग की, लेकिन अन्त में, वह घोर साम्प्रदायिक संस्था बन गयी और पाकिस्तान की माँग की। 1946 में उसी माँग के आधार पर भारत का विभाजन हो गया।

कृषि

अलीगढ़ एक कृषि व्यापार केंद्र है, जहाँ कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण और विनिर्माण महत्त्वपूर्ण हैं। इसके आसपास के क्षेत्रों में गेहूँ, जौ और अन्य फ़सलें उगाई जाती हैं।

व्यापार और उद्योग

अलीगढ़ में ताले, कैंचियाँ छुरियाँ, सरौते आदि बनाने के कारख़ाने हैं। यहाँ पर एक बड़ा डेयरी फ़ार्म भी है, जहाँ पर मक्खन और पनीर बनाया जाता है। घोड़े पालने के लिए भी यह नगर प्रसिद्ध है।

शिक्षा

यहाँ पर बघेल नगर निगम के अध्यक्ष श्री रवींद्र पाल सिंह (1875) और उससे संबद्ध कॉलेज तथा अन्य डिग्री कॉलेज भी हैं। अलीगढ़ नगर विशेषकर अलीगढ़ यूनीवर्सिटी के लिए प्रसिद्ध है। 1856 ई. से यह नगर भारतीय मुसलमानों का सांस्कृतिक केंद्र बन गया है। जब सर सैयर अहमद खाँ के प्रयास से यहाँ 'एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज' की स्थापना की गयी। शीघ्र ही यह कॉलेज भारतीय मुसलमानों को अंग्रेज़ी शिक्षा देने वाला प्रमुख केंद्र बन गया। 1920 ई. में 'अलीगढ़ कॉलेज' को विश्वविद्यालय बना दिया गया। अलीगढ़ आन्दोलन, जिसका उद्देश्य उन्नति करना, भारतीय मुसलमानों को पश्चिमी शिक्षा देना, सामाजिक कुरीतियाँ दूर करना और उन्हें 1885 ई. से आरम्भ होने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभाव से दूर रखना था, उसका केंद्र बिन्दु अलीगढ़ ही था।

  • अवर लेडी फातिमा स्कूल, रामघाट रोड, अलीगढ़
  • संत फिदेलिश स्कूल, रामघाट रोड, अलीगढ़
  • अल बरकात जमालपुर फाटक, अनूपशहर रोड, जमालपुर, अलीगढ़
  • चौहान इन्द्रवती इण्टर कालिज, अनूपशहर रोड, जवाँ सिकन्दरपुर
  • शिवदान सिंह इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, इग्लाश रोड, अलीगढ़
  • खैर इण्टर कालिज खैर
  • बाबू लाल जैन इण्टर कॉलेज, अलीगढ़
  • के एम वी इंटर कॉलेज, अतरौली
  • धर्म समाज महाविद्यालय, अलीगढ़
  • खैर कन्या महाविद्यालय, खैर
  • हीरा लाल बरह्सैनी इंतर कालेज अलीग.
  • गंगा खंड इंटर कॉलेज खेड़ा दयाल नगर अलीगढ़
  • पूर्व माध्यमिक विद्यालय सहजपुरा गभाना अलीगढ़

दर्शनीय स्थल

1- शहर के बीचोंबीच स्थित प्राचीन क़िला, डोरगढ़ (1524) अब एक खंडहर मात्र रह गया है। इसका एक बड़ा हिस्सा 18वीं शताब्दी की एक मस्जिद द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया। अलीगढ़ में अनेक मुसलमान औलिया के मज़ार हैं।

2- मंगलायतन मंदिर -

3- नोदेवी मंदिर -

4- शेखा झील -

5- अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सटी -

6- बोना चोर किला ( अलीगढ़ किला)

7- जामा मस्जिद ऊपरकोट

8- बारह ज्योतिर्लिंग शिव मन्दिर,चौधाना,खैर

9 विश्वामित्र पुरी बेसवा इगलास

जनसंख्या

2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या नगरनिगम क्षेत्र 6,67,732 है और अलीगढ़ ज़िले की कुल जनसंख्या 36,73,889 है।

प्रसिद्ध व्यक्ति

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Top cities of India by population, Census 2011". मूल से 21 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ७ मई २०१५.