"नरसिंह": अवतरणों में अंतर

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===नरसिंह देव मन्दिर जबेरा (मध्यप्रदेश)===
===नरसिंह देव मन्दिर जबेरा (मध्यप्रदेश)===

===नरसिंह देव मन्दिर नरसिंहपुर (मध्यप्रदेश)===


(1) नरसिंहपुर में भगवान नरसिंह का प्राचीन मंदिर है। मंदिर करीब 600 साल पुराना है। जाट राजा नाथन सिंह ने इसका निर्माण कराया था। नाथन सिंह यूपी के बुलंदशहर से यहां आए थे। उस समय यहां जंगल ज्यादा था और मानिकपुर से लेकर नागपुर तक पिंडारियों का आतंक था।नागपुर के राजा ने पिंडारियों के सरदार को पकड़ कर उनके हवाले करने के लिए भारी इनाम की घोषणा की थी। शरीर से बलिष्ठ और योद्धा नाथन सिंह ने पिंडारियों के सरदार को बंदी बनाकर राजा के सामने पेश किया जिस पर उन्होंने नाथन सिंह को 200 घुड़सवार और 80 गांव इनाम में दिए थे। जिसके बाद उन्होंने अपने इष्ट नृसिंह देव का मंदिर बनवाया और उन्हीं के नाम पर नरसिंहपुर बसाया।बताया गया है कि जिस जगह पर मंदिर बना है वहां पहले एक संत अपनी कुटी बना कर रहते थे।
(1) नरसिंहपुर में भगवान नरसिंह का प्राचीन मंदिर है। मंदिर करीब 600 साल पुराना है। जाट राजा नाथन सिंह ने इसका निर्माण कराया था। नाथन सिंह यूपी के बुलंदशहर से यहां आए थे। उस समय यहां जंगल ज्यादा था और मानिकपुर से लेकर नागपुर तक पिंडारियों का आतंक था।नागपुर के राजा ने पिंडारियों के सरदार को पकड़ कर उनके हवाले करने के लिए भारी इनाम की घोषणा की थी। शरीर से बलिष्ठ और योद्धा नाथन सिंह ने पिंडारियों के सरदार को बंदी बनाकर राजा के सामने पेश किया जिस पर उन्होंने नाथन सिंह को 200 घुड़सवार और 80 गांव इनाम में दिए थे। जिसके बाद उन्होंने अपने इष्ट नृसिंह देव का मंदिर बनवाया और उन्हीं के नाम पर नरसिंहपुर बसाया।बताया गया है कि जिस जगह पर मंदिर बना है वहां पहले एक संत अपनी कुटी बना कर रहते थे।

16:25, 15 जून 2020 का अवतरण

प्रहलाद एवं उसकी माता नृसिंह अवतार को हिरण्यकश्यप के वध के समय नमन करते हुए
प्रहलाद एवं उसकी माता नृसिंह अवतार को हिरण्यकश्यप के वध के समय नमन करते हुए

नरसिंह नर + सिंह ("मानव-सिंह") को पुराणों में भगवान विष्णु का अवतार माना गया है।[1] जो आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट होते हैं, जिनका सिर एवं धड तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे[2] वे भारत में, खासकर दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा एक देवता के रूप में पूजे जाते हैं जो सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।[3]

पूजन विधि

प्रार्थना

नरसिंह के बारे में कई तरह की प्रार्थनाएँ की जाती हैं जिनमे कुछ प्रमुख ये हैं:

नरसिंह मंत्र ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥
(हे क्रुद्ध एवं शूर-वीर महाविष्णु, तुम्हारी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है। हे नरसिंहदेव, तुम्हारा चेहरा सर्वव्यापी है, तुम मृत्यु के भी यम हो और मैं तुम्हारे समक्षा आत्मसमर्पण करता हूँ।)

श्री नृसिंह स्तवः

गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय

प्रहलाद हृदयाहलादं भक्ता विधाविदारण। शरदिन्दु रुचि बन्दे पारिन्द् बदनं हरि ॥१॥

नमस्ते नृसिंहाय प्रहलादाहलाद-दायिने। हिरन्यकशिपोर्ब‍क्षः शिलाटंक नखालये ॥२॥

इतो नृसिंहो परतोनृसिंहो, यतो-यतो यामिततो नृसिंह। बर्हिनृसिंहो ह्र्दये नृसिंहो, नृसिंह मादि शरणं प्रपधे ॥३॥

तव करकमलवरे नखम् अद् भुत श्रृग्ङं। दलित हिरण्यकशिपुतनुभृग्ङंम्। केशव धृत नरहरिरुप, जय जगदीश हरे ॥४॥

वागीशायस्य बदने लर्क्ष्मीयस्य च बक्षसि। यस्यास्ते ह्र्देय संविततं नृसिंहमहं भजे ॥५॥

श्री नृसिंह जय नृसिंह जय जय नृसिंह। प्रहलादेश जय पदमामुख पदम भृग्ह्र्म ॥६॥

नरसिंह देव के नाम

  1. नरसिंह
  2. नरहरि
  3. उग्र विर माहा विष्णु
  4. हिरण्यकश्यप अरी

नरसिंह विग्रह के दस (१०) प्रकार

  1. उग्र नरसिंह
  2. क्रोध नरसिंह
  3. मलोल नरसिंह
  4. ज्वल नरसिंह
  5. वराह नरसिंह
  6. भार्गव नरसिंह
  7. करन्ज नरसिंह
  8. योग नरसिंह
  9. लक्ष्मी नरसिंह
  10. छत्रावतार नरसिंह/पावन नरसिंह/पमुलेत्रि नरसिंह

नरसिंह देव मन्दिर

मथुरा

अति प्राचीन मथुरा पुरी में भगवान नृसिंह का प्राचीन मंदिर चौबच्चा मौहल्ला में स्थित है यहाँ भगवान नृसिंह की सुंदर प्रतिमा स्थापित है यहाँ नृसिंह चौदस को भगवान नृसिंह उत्सव मनाया जाता है तथा हिरणाकश्यप- वध लीला भी की जाती है। मथुरा में अन्य भी मंदिरों में भगवान नृसिंह की प्रतिमा स्थापित है।

मायापुर

मायापुर इस्कॉन में नरसिंह देव का मन्दिर हे। यह मन्दिर नदिया जिला, पश्चिम बंगाल में स्थित है।

बीकानेर

बीकानेर लखोि‍टयों के चौक में वर्षो्ं पुराना नर ि‍संह समेत पूरे शहर में कुल चार नर ि‍संह मंि‍दर हैा

ग्राम असवाल कोटुली, जिला अल्मोड़ा, तहसील- भिक्यासैन में भी एक नृसिंह का प्राचीन मंदिर है।

हाटपिप्लिया

नृसिंह मंदिर हाटपिप्लिया में भगवान नरसिंह कि ७.५ कि लो वजनी पाषाण प्रतिमा है जो कि हर वर्ष डोल ग्यारस पर्व पर भमोरी नदी पर 3 बार तेराई जाती है इस मंदिर में त्रिपदा माँ गायत्री की संगमरमर की प्रतिमा भी है जो लग भग 500साल पुरानी बताई जाती है व साथ ही तकरीबन 800साल पुराना खेडापती हनुमान मंदिर भी इसी प्रांगण मे है जन्माष्टमी, गोपाष्टमी,डोलग्यारस,व नृसिंह चौदस यह त्यौहार यहा पर प्रमुखता से मनाए जाते है।।

बनमनखी बिहार

बिहार राज्य के पूर्णिया जिला के बनमनखी में सिकलीगढ़ धरहरा गांव हैं। बताया जाता है कि इसी गांव में भगवान नरसिंह अवतरित हुए थे और यही वो गांव है जहां भक्त प्रह्लाद की बुआ होलिका अपने भतीजे को गोद में लेकर आग में बैठी थी। मान्यता के मुताबिक यहीं से होलिकादहन की परंपरा की शुरुआत हुई थी।

ऐसी मान्यता है कि प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का किला सिकलीगढ़ में था। गांव के बड़े बुजुर्गों की माने तो अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए खंभे से भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था। मान्यता है कि उस खंभे का एक हिस्सा जिसे माणिक्य स्तंभ के नाम से जाना जाता है वो आज भी मौजूद है। इसी स्थान पर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का वध हुआ था। खास बात ये है कि माणिक्य स्तंभ 12 फीट मोटा है और करीब 65 डिग्री पर झुका हुआ है।

नरसिंह देव मन्दिर जबेरा (मध्यप्रदेश)

नरसिंह देव मन्दिर नरसिंहपुर (मध्यप्रदेश)

(1) नरसिंहपुर में भगवान नरसिंह का प्राचीन मंदिर है। मंदिर करीब 600 साल पुराना है। जाट राजा नाथन सिंह ने इसका निर्माण कराया था। नाथन सिंह यूपी के बुलंदशहर से यहां आए थे। उस समय यहां जंगल ज्यादा था और मानिकपुर से लेकर नागपुर तक पिंडारियों का आतंक था।नागपुर के राजा ने पिंडारियों के सरदार को पकड़ कर उनके हवाले करने के लिए भारी इनाम की घोषणा की थी। शरीर से बलिष्ठ और योद्धा नाथन सिंह ने पिंडारियों के सरदार को बंदी बनाकर राजा के सामने पेश किया जिस पर उन्होंने नाथन सिंह को 200 घुड़सवार और 80 गांव इनाम में दिए थे। जिसके बाद उन्होंने अपने इष्ट नृसिंह देव का मंदिर बनवाया और उन्हीं के नाम पर नरसिंहपुर बसाया।बताया गया है कि जिस जगह पर मंदिर बना है वहां पहले एक संत अपनी कुटी बना कर रहते थे।


(2) मध्यप्रदेश के दमोह जिले के जबेरा ग्राम में नरसिंह देव जी का अति प्रचीन मन्दिर है यहाँ पर स्थित मन्दिर की "चौकठ" की पूजा की जाती है। लोगो का मानना है की यहाँ पर की जाने वाली सभी प्रार्थना स्वीकार होतीं हैं ।


गीता प्रेस, गोरखपुर के कल्याण के 31 वें साल के तीर्थांक विशेषांक में भी सिकलीगढ धरहरा का जिक्र किया गया है।

इन्हें भी देखें

टिप्पणियां

  1. Bhag-P 1.3.18 Archived 2007-09-26 at the वेबैक मशीन "चौदहवें अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप का अवतार लेकर नास्तिक हिरण्यकश्यपु के शरीर को अपने नख से दो टुकड़ों में विभक्त कर दिया जैसे बढई किसी लकडी के दो टुकडों को चीरता है"
  2. "Bhag-P 7.8.19-22". मूल से 26 जुलाई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अप्रैल 2008.
  3. स्टीवेन जे रोजेन, नरसिंह अवतार, द हाफ मैन/हाफ लायन इनकारनेशन, पृ5

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