"भाई गुरदास": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है |
Rescuing 1 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1 |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
'''भाई गुरदास''' (1551 – 25 अगस्त 1636) पंजाबी लेखक, इतिहासकार, उपदेशक तथा धार्मिक नेता थे। [[गुरु ग्रन्थ साहिब]] का मूल लेखन उन्होने ही किया था। वे चार गुरुओं के साथी भी रहे। |
'''भाई गुरदास''' (1551 – 25 अगस्त 1636) पंजाबी लेखक, इतिहासकार, उपदेशक तथा धार्मिक नेता थे। [[गुरु ग्रन्थ साहिब]] का मूल लेखन उन्होने ही किया था। वे चार गुरुओं के साथी भी रहे। |
||
==परिचय== |
==परिचय== |
||
भाई गुरदास जी का जन्म [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] के एक छोटे से गाँव गोइन्दवाल में हुया। उनके पिता जी भाई ईशर दास और माता जीवनी जी थे। वह [[गुरु अमर दास|गुरू अमर दास]] जी के भतीजे थे।वह लेखक, इतिहासकार और प्रचारक थे। उन्होंने सबसे पहले १६०४ में आदि ग्रंथ अपने हाथों लिखा। वह [[पंजाबी]], [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[बृज भाषा|ब्रजभाषा]] और [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के प्रसिद्ध विद्वान थे। उन्होंने पंजाबी, ब्रजभाषा और संस्कृत में काव्य रचना की। पंजाबी में वह 'वारां भाई गुरदास' के लिये जाने जाते हैं। ब्रजभाषा में उनके [[कबित्त]] और [[सवैया|सवैये]] उच्चकोटि की रचना हैं। [[गुरु अर्जुन देव|गुरू अर्जुन देव]] जी ने उन की रचना को 'गुरबानी की कुंजी' कहकर सम्मान किया। <ref> |
भाई गुरदास जी का जन्म [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] के एक छोटे से गाँव गोइन्दवाल में हुया। उनके पिता जी भाई ईशर दास और माता जीवनी जी थे। वह [[गुरु अमर दास|गुरू अमर दास]] जी के भतीजे थे।वह लेखक, इतिहासकार और प्रचारक थे। उन्होंने सबसे पहले १६०४ में आदि ग्रंथ अपने हाथों लिखा। वह [[पंजाबी]], [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[बृज भाषा|ब्रजभाषा]] और [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के प्रसिद्ध विद्वान थे। उन्होंने पंजाबी, ब्रजभाषा और संस्कृत में काव्य रचना की। पंजाबी में वह 'वारां भाई गुरदास' के लिये जाने जाते हैं। ब्रजभाषा में उनके [[कबित्त]] और [[सवैया|सवैये]] उच्चकोटि की रचना हैं। [[गुरु अर्जुन देव|गुरू अर्जुन देव]] जी ने उन की रचना को 'गुरबानी की कुंजी' कहकर सम्मान किया। <ref>{{Cite web |url=http://www.punjabi-kavita.com/HindiBhaiGurdasJi.php |title=पंजाबी कविता |access-date=12 जुलाई 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150713165132/http://www.punjabi-kavita.com/HindiBhaiGurdasJi.php |archive-date=13 जुलाई 2015 |url-status=live }}</ref> |
||
==सन्दर्भ== |
==सन्दर्भ== |
08:36, 15 जून 2020 का अवतरण
सिख सतगुरु एवं भक्त |
---|
सतगुरु नानक देव · सतगुरु अंगद देव |
सतगुरु अमर दास · सतगुरु राम दास · |
सतगुरु अर्जन देव ·सतगुरु हरि गोबिंद · |
सतगुरु हरि राय · सतगुरु हरि कृष्ण |
सतगुरु तेग बहादुर · सतगुरु गोबिंद सिंह |
भक्त रैदास जी भक्त कबीर जी · शेख फरीद |
भक्त नामदेव |
धर्म ग्रंथ |
आदि ग्रंथ साहिब · दसम ग्रंथ |
सम्बन्धित विषय |
गुरमत ·विकार ·गुरू |
गुरद्वारा · चंडी ·अमृत |
नितनेम · शब्दकोष |
लंगर · खंडे बाटे की पाहुल |
भाई गुरदास (1551 – 25 अगस्त 1636) पंजाबी लेखक, इतिहासकार, उपदेशक तथा धार्मिक नेता थे। गुरु ग्रन्थ साहिब का मूल लेखन उन्होने ही किया था। वे चार गुरुओं के साथी भी रहे।
परिचय
भाई गुरदास जी का जन्म पंजाब के एक छोटे से गाँव गोइन्दवाल में हुया। उनके पिता जी भाई ईशर दास और माता जीवनी जी थे। वह गुरू अमर दास जी के भतीजे थे।वह लेखक, इतिहासकार और प्रचारक थे। उन्होंने सबसे पहले १६०४ में आदि ग्रंथ अपने हाथों लिखा। वह पंजाबी, संस्कृत, ब्रजभाषा और फ़ारसी के प्रसिद्ध विद्वान थे। उन्होंने पंजाबी, ब्रजभाषा और संस्कृत में काव्य रचना की। पंजाबी में वह 'वारां भाई गुरदास' के लिये जाने जाते हैं। ब्रजभाषा में उनके कबित्त और सवैये उच्चकोटि की रचना हैं। गुरू अर्जुन देव जी ने उन की रचना को 'गुरबानी की कुंजी' कहकर सम्मान किया। [1]
सन्दर्भ
- ↑ "पंजाबी कविता". मूल से 13 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2015.