"उदन्त मार्तण्ड": अवतरणों में अंतर
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उदन्त मार्तण्ड की यात्रा- |
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मिति पौष बदी १ भौम संवत् १८८४ तारीख दिसम्बर सन् १८२७। |
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== पत्र की प्रारम्भिक विज्ञप्ति == |
== पत्र की प्रारम्भिक विज्ञप्ति == |
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: ''यह "उदन्त मार्तण्ड" अब पहले-पहल हिंदुस्तानियों के हित के हेत जो आज तक किसी ने नहीं चलाया पर अंग्रेजी ओ पारसी ओ बंगाल में जो समाचार का कागज छपता है उनका सुख उन बोलियों के जान्ने और पढ़ने वालों को ही होता है। और सब लोग पराए सुख सुखी होते हैं। जैसे पराए धन धनी होना और अपनी रहते परायी आंख देखना वैसे ही जिस गुण में जिसकी पैठ न हो उसको उसके रस का मिलना कठिन ही है और हिंदुस्तानियों में बहुतेरे ऐसे हैं। इससे सत्य समाचार हिंदुस्तानी लोग देख आप पढ़ ओ समझ लेयँ ओ पराई अपेक्षा न करें ओ अपने भाषे की उपज न छोड़े। इसलिए दयावान करुणा और गुणनि के निधान सब के कल्यान के विषय गवरनर जेनेरेल बहादुर की आयस से ऐसे साहस में चित्त लगाय के एक प्रकार से यह नया ठाट ठाटा...।''<ref>https://www.prabhatkhabar.com/national/1163754 आज ही के दिन प्रकाशित हुआ था पहली हिंदी अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’</ref> |
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== सन्दर्भ == |
== सन्दर्भ == |
10:35, 30 मई 2020 का अवतरण
उदन्त मार्तण्ड हिंदी का प्रथम समाचार पत्र था। इसका प्रकाशन ३०मई, १८२६ ई. में कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरू हुआ था। कलकता के कोलू टोला नामक मोहल्ले की ३७ नंबर आमड़तल्ला गली से जुगलकिशोर सुकुल ने सन् १८२६ ई. में उदंतमार्तंड नामक एक हिंदी साप्ताहिक पत्र निकालने का आयोजन किया। उस समय अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला में तो अनेक पत्र निकल रहे थे किंतु हिंदी में एक भी पत्र नहीं निकलता था। इसलिए "उदंत मार्तड" का प्रकाशन शुरू किया गया। इसके संपादक भी श्री जुगुलकिशोर सुकुल ही थे। वे मूल रूप से कानपुर संयुक्त प्रदेश के निवासी थे।[1] यह पत्र पुस्तकाकार (१२x८) छपता था और हर मंगलवार को निकलता था। इसके कुल ७९ अंक ही प्रकाशित हो पाए थे कि डेढ़ साल बाद दिसंबर, १८२७ ई को इसका प्रकाशन बंद करना पड़ा।[2] इसके अंतिम अंक में लिखा है- उदन्त मार्तण्ड की यात्रा- मिति पौष बदी १ भौम संवत् १८८४ तारीख दिसम्बर सन् १८२७।
- आज दिवस लौं उग चुक्यौ मार्तण्ड उदन्त
- अस्ताचल को जात है दिनकर दिन अब अन्त।
उन दिनों सरकारी सहायता के बिना, किसी भी पत्र का चलना प्रायः असंभव था। कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को तो डाक आदि की सुविधा दे रखी थी, परन्तु चेष्टा करने पर भी "उदन्त मार्तंड" को यह सुविधा प्राप्त नहीं हो सकी। इस पत्र में ब्रज और खड़ीबोली दोनों के मिश्रित रूप का प्रयोग किया जाता था जिसे इस पत्र के संचालक "मध्यदेशीय भाषा" कहते थे।
पत्र की प्रारम्भिक विज्ञप्ति
प्रारंभिक विज्ञप्ति इस प्रकार थी -
- यह "उदन्त मार्तण्ड" अब पहले-पहल हिंदुस्तानियों के हित के हेत जो आज तक किसी ने नहीं चलाया पर अंग्रेजी ओ पारसी ओ बंगाल में जो समाचार का कागज छपता है उनका सुख उन बोलियों के जान्ने और पढ़ने वालों को ही होता है। और सब लोग पराए सुख सुखी होते हैं। जैसे पराए धन धनी होना और अपनी रहते परायी आंख देखना वैसे ही जिस गुण में जिसकी पैठ न हो उसको उसके रस का मिलना कठिन ही है और हिंदुस्तानियों में बहुतेरे ऐसे हैं। इससे सत्य समाचार हिंदुस्तानी लोग देख आप पढ़ ओ समझ लेयँ ओ पराई अपेक्षा न करें ओ अपने भाषे की उपज न छोड़े। इसलिए दयावान करुणा और गुणनि के निधान सब के कल्यान के विषय गवरनर जेनेरेल बहादुर की आयस से ऐसे साहस में चित्त लगाय के एक प्रकार से यह नया ठाट ठाटा...।[3]
सन्दर्भ
- ↑ "हिंदी पत्रकारिता के उद्भव की पृष्ठभूमि" (एचटीएम). सृजनगाथा. अभिगमन तिथि २३ अप्रैल २००९.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "भूमण्डलीकरण के दौर में हिन्दी" (एचटीएम). साहित्यकुंज. अभिगमन तिथि २३ अप्रैल २००९.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ https://www.prabhatkhabar.com/national/1163754 आज ही के दिन प्रकाशित हुआ था पहली हिंदी अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’