"रसखान": अवतरणों में अंतर
संदर्भ जोड़ा। टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
|||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
* [http://vle.du.ac.in/mod/book/print.php?id=12535&chapterid=26276 कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि] |
* [http://vle.du.ac.in/mod/book/print.php?id=12535&chapterid=26276 कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि] |
||
* [http://ranchiexpress.com/मुस्लिम-रचनाकार-और-श्रीक/ मुस्लिम रचनाकार और श्रीकृष्ण ] (राँची एक्सप्रेस) |
* [http://ranchiexpress.com/मुस्लिम-रचनाकार-और-श्रीक/ मुस्लिम रचनाकार और श्रीकृष्ण ] (राँची एक्सप्रेस) |
||
*[https://sites.google.com/site/kavitahindikavita/raskhan-premvatika-premwatika प्रेमवाटिका / रसखान दोहे] |
|||
*[https://sites.google.com/site/kavitahindikavita/sujan-raskhan-ke-pad सुजान-रसखान रसखान रचना] |
|||
{{भक्ति काल के कवि }} |
{{भक्ति काल के कवि }} |
13:26, 8 मई 2020 का अवतरण
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। स्रोत खोजें: "रसखान" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
रसखान (जन्म: १५४८ ई) कृष्ण भक्त मुस्लिम कवि थे। [1]उनका जन्म पिहानी, भारत में हुआ था। हिन्दी के कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन रीतिमुक्त कवियों में रसखान का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे विट्ठलनाथ के शिष्य थे एवं वल्लभ संप्रदाय के सदस्य थे। रसखान को 'रस की खान' कहा गया है। इनके काव्य में भक्ति, शृंगार रस दोनों प्रधानता से मिलते हैं। रसखान कृष्ण भक्त हैं और उनके सगुण और निर्गुण निराकार रूप दोनों के प्रति श्रद्धावनत हैं। रसखान के सगुण कृष्ण वे सारी लीलाएं करते हैं, जो कृष्ण लीला में प्रचलित रही हैं। यथा- बाललीला, रासलीला, फागलीला, कुंजलीला, प्रेम वाटिका, सुजान रसखान आदि। उन्होंने अपने काव्य की सीमित परिधि में इन असीमित लीलाओं को बखूबी बाँधा है। मथुरा जिले में महाबन में इनकी समाधि हैं|
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने जिन मुस्लिम हरिभक्तों के लिये कहा था, "इन मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिन्दू वारिए" उनमें रसखान का नाम सर्वोपरि है। बोधा और आलम भी इसी परम्परा में आते हैं। सय्यद इब्राहीम "रसखान" का जन्म अन्तर्जाल पर उपलब्ध स्रोतों के अनुसार सन् १५३३ से १५५८ के बीच कभी हुआ था। कई विद्वानों के अनुसार इनका जन्म सन् १५९० ई. में हुआ था। चूँकि अकबर का राज्यकाल १५५६-१६०५ है, ये लगभग अकबर के समकालीन हैं। इनका जन्म स्थान पिहानी जो कुछ लोगों के मतानुसार दिल्ली के समीप है। कुछ और लोगों के मतानुसार यह पिहानी उत्तरप्रदेश के हरदोई जिले में है।माना जाता है की इनकी मृत्यु 1628 में वृन्दावन में हुई थी । यह भी बताया जाता है कि रसखान ने भागवत का अनुवाद फारसी और हिंदी में किया है।
परिचय
रसखान के जन्म के सम्बंध में विद्वानों में मतभेद पाया जाता है। अनेक विद्वानों ने इनका जन्म संवत् 1615 ई. माना है और कुछ ने 1630 ई. माना है। रसखान के अनुसार गदर के कारण दिल्ली श्मशान बन चुकी थी, तब दिल्ली छोड़कर वह ब्रज (मथुरा) चले गए। ऐतिहासिक साक्ष्य के आधार पर पता चलता है कि उपर्युक्त गदर सन् 1613 ई. में हुआ था। उनकी बात से ऐसा प्रतीत होता है कि वह उस समय वयस्क हो चुके थे।
रसखान का जन्म संवत् 1590 ई. मानना अधिक समीचीन प्रतीत होता है। भवानी शंकर याज्ञिक का भी यही मानना है। अनेक तथ्यों के आधार पर उन्होंने अपने मत की पुष्टि भी की है। ऐतिहासिक ग्रंथों के आधार पर भी यही तथ्य सामने आता है। यह मानना अधिक प्रभावशाली प्रतीत होता है कि रसखान का जन्म सन् 1590 ई. में हुआ था।
रसखान के जन्म स्थान के विषय में भी कई मतभेद है। कई विद्वान उनका जन्म स्थल पिहानी अथवा दिल्ली को मानते है। शिवसिंह सरोज तथा हिन्दी साहित्य के प्रथम इतिहास तथा ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर रसखान का जन्म स्थान पिहानी जिला हरदोई माना जाए।
रसखान अर्थात् रस के खान, परंतु उनका असली नाम सैयद इब्राहिम था और उन्होंने अपना नाम केवल इस कारण रखा ताकि वे इसका प्रयोग अपनी रचनाओं पर कर सकें।[2]
रसखान तो रसखान ही था जिसके नाम में भी रस की खान थी। रसखान जैसा भगवान का भक्त होना मुश्किल है। जय श्री कृष्णा!
बाहरी कड़ियाँ
- रसखान की रचनाएँ कविताकोश में
- रसखान रत्नावली (गूगल पुस्तक; सम्पादनकर्ता- राघव रघु)
- कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि
- मुस्लिम रचनाकार और श्रीकृष्ण (राँची एक्सप्रेस)
- प्रेमवाटिका / रसखान दोहे
- सुजान-रसखान रसखान रचना
- ↑ "रसखान के इन सवैयों में झलक रही है". अमर उजाला.
- ↑ "ब्रज भाषा विशेष: रसखान के ये हैं प्रसिद्ध दोहे". अमर उजाला.