"फतेहपुर बेरी, असोला": अवतरणों में अंतर

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Sudhar pura sach
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इस गाँव के पहलवानो पब, बार और राष्ट्रीय राजधानी के नाइट क्लबों पर काम स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों को [[अंगरक्षक]] के रूप में काम करते हैं, या निजी कॉलेजों, अस्पतालों और महंगे होटल में काम करते हैं। वे जिम और स्वस्थ भोजन में लंबा, कठिन सत्र के साथ उनकी मांसपेशियों में विकास को बनाए रखते है।
इस गाँव के पहलवानो पब, बार और राष्ट्रीय राजधानी के नाइट क्लबों पर काम स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों को [[अंगरक्षक]] के रूप में काम करते हैं, या निजी कॉलेजों, अस्पतालों और महंगे होटल में काम करते हैं। वे जिम और स्वस्थ भोजन में लंबा, कठिन सत्र के साथ उनकी मांसपेशियों में विकास को बनाए रखते है।

लेकिन इस गाँव के लड़के पढाई पर भी ध्यान देते हैं। डॉक्टर, आईएएस, बिज़नेस मैन , engineers के क्षेत्र मैं भी आगे है ! जिनको खेल मैं रूचि है वो भी अपनी 12 तक पढ़ाई पूरी करते है !और कुछ आगे भी पढ़ाई जारी रखते है !। कुश्ती इस गांव के लड़कों के खून में है।

इस गांव में एक जिम है। इस जिम एक 3000 वर्ग / फुट सीमेंट निर्माण हैं जहां मशीनों, रैक और वजन बेंच उपमब्ध हैं और वहां के पहलवान व्यायाम करते हैं। और यह जिम सुबह ४ बजे खुलता हैं और रात १० बजे तक खुला रहता हैं। हर [[पहलवानी|पहलवान]] के व्यायाम अवधि दो या तीन घंटे के समय लंबा होता हैं। बस व्यायाम ही नहीं परंतु यह लोग [[कुश्ति]] के अभ्यास और योगासन भी करते हैं जो इन्हे धैर्य, नियंत्रण, शांत रहने में मदद करता हैं एवं मानसिक शक्ति को बढाता हैं।
इस गांव में एक जिम है। इस जिम एक 3000 वर्ग / फुट सीमेंट निर्माण हैं जहां मशीनों, रैक और वजन बेंच उपमब्ध हैं और वहां के पहलवान व्यायाम करते हैं। और यह जिम सुबह ४ बजे खुलता हैं और रात १० बजे तक खुला रहता हैं। हर [[पहलवानी|पहलवान]] के व्यायाम अवधि दो या तीन घंटे के समय लंबा होता हैं। बस व्यायाम ही नहीं परंतु यह लोग [[कुश्ति]] के अभ्यास और योगासन भी करते हैं जो इन्हे धैर्य, नियंत्रण, शांत रहने में मदद करता हैं एवं मानसिक शक्ति को बढाता हैं।



19:45, 1 मई 2020 का अवतरण

असोला फतेहपुर बेरी दिल्ली के पुराने गांव में से एक है। इस गाँव की यह अनोखी बात है कि इस गाँव का हर लड़का एक ही सपना देखता है, पहलवान बनना और देश के लिए कुछ करना ! समाज में देशभक्ति की भावना जगाना , खेल के मैदान में देश को आगे ले जाना।

इस गाँव में पहलवानी की शुरुआत लेखराज गुरूजी , लाला पहलवान , जय प्रकाश पहलवान , विजय पहलवान एवं कुछ अन्य पहलवान से हुआ, जो अभी गांव के खेल स्थर को आगे बढ़ाने मैं लगे हुए हैं ! । गांव में कई युवा लड़कों को पहलवान बनने के लिए एक प्रेरणा बन गए। इसका कारण यह है कि गांव के लड़कों को खेल और कुश्ती के रूप में शारीरिक गतिविधियों में शिक्षाविदों से अधिक रुचि रखते हैं और कई अनपढ़ पहलवानों जो सेना में शामिल करने में असमर्थ थे, वे अन्य पहलवानो की सफलता से प्रेरित थे।

इस गाँव के पहलवानो पब, बार और राष्ट्रीय राजधानी के नाइट क्लबों पर काम स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों को अंगरक्षक के रूप में काम करते हैं, या निजी कॉलेजों, अस्पतालों और महंगे होटल में काम करते हैं। वे जिम और स्वस्थ भोजन में लंबा, कठिन सत्र के साथ उनकी मांसपेशियों में विकास को बनाए रखते है।

इस गांव में एक जिम है। इस जिम एक 3000 वर्ग / फुट सीमेंट निर्माण हैं जहां मशीनों, रैक और वजन बेंच उपमब्ध हैं और वहां के पहलवान व्यायाम करते हैं। और यह जिम सुबह ४ बजे खुलता हैं और रात १० बजे तक खुला रहता हैं। हर पहलवान के व्यायाम अवधि दो या तीन घंटे के समय लंबा होता हैं। बस व्यायाम ही नहीं परंतु यह लोग कुश्ति के अभ्यास और योगासन भी करते हैं जो इन्हे धैर्य, नियंत्रण, शांत रहने में मदद करता हैं एवं मानसिक शक्ति को बढाता हैं।

इन पहलवानों के परिवारों खुश और अपने सदस्यों के पहलवानों होने के साथ संतुष्ट हैं। वे समझते हैं कि इन लड़कों को अवैध रूप से पैसा नहीं कमा रहे हैं और किसी भी सामाजिक विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं रहे हैं और वे गरिमा के साथ काम करते हैं और यह यह बात उनके परिवार के लोगों को गर्व करता है। इन पहलवानों भारत में संस्कृति के लिए योगदान दिए है।