"ज़ुहर की नमाज": अवतरणों में अंतर

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<big>ज़ुहर</big> (ज़ोहर,जुह्र) की नमाज़ (इंग्लिश: [[:en:Zuhr_prayer|Zuhr prayer]]) इस्लाम की पाँच अनिवार्य प्रार्थनाओं (नमाजों में से दूसरी है जो दोपहर में पढी जाती है। [[इस्लाम]] की पांच अनिवार्य दैनिक प्रार्थनाओं (नमाज़ों) में दूसरी दोपहर में पढ़ी जाने वाली [[नमाज़]] है।<ref>{{Cite book|title=नमाज़|last=नसीम|first=ग़ाज़ी|publisher=मधुर संदेस, संगम, दिल्ली, 110025|year=|isbn=|location=दिल्ली|pages=https://archive.org/details/namaz-in-Hindi-nasim-ghazi}}</ref>
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==== ज़ुहर की नमाज का समय ====
==== ज़ुहर की नमाज का समय ====

11:58, 24 अप्रैल 2020 का अवतरण

ज़ुहर (ज़ोहर,जुह्र) की नमाज़ (इंग्लिश: Zuhr prayer) इस्लाम की पांच अनिवार्य दैनिक प्रार्थनाओं (नमाज़ों) में दूसरी दोपहर में पढ़ी जाने वाली नमाज़ है।[1]

ज़ुहर की नमाज का समय

सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और तब तक रहता है जब तक कि दोपहर के समय हर चीज़ की छाया दोगुनी हो जाती है। शहरों में अधिकतर कार्यालयों की छुट्टी के समय दोपहर 1 से 2 बजे के बीच पढ़ते हैं। तैयारी के लिए अज़ान लगभग आधा घंटे पहले दी जाती है। जुमे के दिन इस की बजाए जुमे की नमाज़ पढ़ी जाती है

रकात

ज़ुहर की नमाज अर्थात दोपहर की प्रार्थना में 12 रकात होती हैं।

*4 रकात सुन्नत (मौक़ीदा)

*4 रकात फ़र्ज़

*2 रकात सुन्नत (मौक़ीदा)

*4 रकात नफिल

सुन्नत मौकीदा : इस्लामिक शरीयत में, सुन्नत वह प्रथा है जो पैगंबर या पैगंबर के साथियों ने आम तौर पर और अक्सर की और उसके करने को मना न किया हो। इस का रित्याग का कारण पाप है और परित्याग की आदत अवज्ञा है नफिल: इस्लाम में पैग़म्बर मुहम्मद ने कभी कभी जो इबादत की उसे नफिल कहते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. नसीम, ग़ाज़ी. नमाज़. दिल्ली: मधुर संदेस, संगम, दिल्ली, 110025. पपृ॰ https://archive.org/details/namaz-in-Hindi-nasim-ghazi.