"चन्दन": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो लिंक स्पेमिंग
टैग: वापस लिया
पंक्ति 39: पंक्ति 39:
== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.ingentaconnect.com/content/nrc/cjb/2006/00000084/00000010/art00009 Article abstract] The anatomy of Santalum album (Sandalwood) haustoria.
* [http://www.ingentaconnect.com/content/nrc/cjb/2006/00000084/00000010/art00009 Article abstract] The anatomy of Santalum album (Sandalwood) haustoria.

[https://mehlabizpitaara.blogspot.com/2020/02/blog-post_60.html अमूमन लोगों को लगता है कि चंदन की खेती अवैध है, जबकि ऐसा नहीं है।]

केरल, कर्नाटक चंदन उत्पादन में अग्रणी

देश में चंदन की खेती के मुख्य राज्य केरल एवं कर्नाटक हैं। लेकिन अब अन्य राज्यों में भी इसके ट्रायल हो रहे हैं। केरल में चंदन का ऑयल कंटेंट चार फीसदी और कर्नाटक में तीन फीसदी है, जबकि इसके बाद पंजाब में 2.80 से तीन फीसदी, ओडिशा में ढाई फीसदी, महाराष्ट्र में दो फीसदी, मध्यप्रदेश में डेढ़ फीसदी और राजस्थान में डेढ़ फीसदी तक है।

स्पष्ट है कि पंजाब में चंदन की खेती की अपार संभावनाएं हैं और सूबा इसमें अग्रणी बन सकता है। चंदन की व्यावसायिक खेती कर पंजाब में भी ऑयल कंटेंट तीन फीसदी तक आसानी से लाया जा सकता है। रूटीन फसलें पैदा करने के साथ-साथ किसान अपने खेत के चारों तरफ की बट पर भी प्रति एकड़ अस्सी पेड़ लगाकर आमदनी बढ़ा सकता है।

चंदन के पौधे और चंदन की लकड़ी सफेद चंदन का पेड़ पहाड़ी और रेगिस्तानी प्रदेशों में भी लगाया जा सकता है। राजस्थान के छीपाबड़ौद के किसान नवलकिशोर अहीर ने चंदन की खेती कर ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिससे कृषि विभाग भी हैरत में है।

चन्दन की खेती के लिए कैसी मिट्टी की जरुरत है ?

इसकी खेती सभी तरह की मिटटी में हो सकता है लेकिन रेतीली मिटटी, चकनी मिटटी, लाल मिटटी , काली दानेदार मिट्टी चन्दन के पौधे की लिए ज्यादा उपयुक्त है | चन्दन की खेती वैसे जगह पर नहीं करे जहाँ पर पानी का जमाव होता है , बर्फ गिरती है, रेत भरी मिटटी है इसके अलवा तीव्र ठंड चन्दन के लिए उपयुक्त नहीं है | इसकी खेती काश्मीर के लाद्दक तथा राजस्थान के जैसलमेर में नहीं किया जा सकता है | बाकि पुरे देश में चन्दन की खेती की जा सकती है |

चन्दन की खेती कैसे करें ?

खेती के लिए मिट्टी के साथ पौधे का चुनाव करना महत्वपूर्ण रहता है | सफ़ेद चन्दन की 375 पौधे एक एकड़ खेत में लगाया जा सकता है | चन्दन की पौधों में ज्यादा पानी नहीं लगना चाहिए इसके लिए खेत में मेड बनाकर रोपाई करना चाहिए | इसके लिए मेड से मेड की दुरी 10 फुट होना चाहिए तथा मेड के ऊपर पौधे से पौधे की दुरी 12 फुट की होनी चाहिए |

पौधे कैसे लगायें

चन्दन की पेड़ अकेले नही लगाया जा सकता है अगर अकेले चन्दन का पेड़ लगाया गया तो यह सुख जयेगा | इसका कारण यह है की चन्दन अर्धपरजीवी पौधा है | मतलब आधा जीवन के लिए जरूरत खुद पूरा करता है तो आधे जरूरत के लिए दुसरे पौधे की जड़ों पर निर्भर रहता है इसलिए जब भी चन्दन की पेड़ लगाएं तो उसके साथ और भी पेड़ लगाएं |

एक बात का ख्याल रखना होगा की चन्दन के कुछ खास पौधे उसके साथ है जिसे लगाने पर ही चन्दन का विकास सम्भव है | जैसे – नीम, मीठी नीम, सहजन, लाल चंदा इत्यादी |

जैसा की पहले बताया जा चूका है की चन्दन की पौधे अकेले जीवित नही रह सकता है | इसके लिए दुसरे पेड़ का होना जरुरी है |

इसलिए एक एकड़ में 375 सफ़ेद चन्दन के पौधे लगाने के साथ ही 1125 चन्दन की होस्ट (साथी) पौधे को लगाना होगा | इसके लिए यह जानना जरुरी है की चन्दन की पोधे के साथ कौन – कौन से पौधे लगाना होगा यानि चन्दन की कौन – कौन सी पौधे साथी है |

एक एकड़ में चन्दन की पौधे के साथ उसके साथी पौधे को बोना चाहिए |

1-प्राथमिक साथी – 375

2-लाल चन्दन – 125

3- कैजुराइना – 125

4- देसी नीम – 125

5- सेकेंडरी होस्ट – 750

6- मीठी नीम – 375

7-सहजन – 375

खेती के लिए पौधे कहाँ से खरीदें ?

चन्दन की खेती के लिए बीज तथा पौधे दोनों खरीदे जा सकते हैं | इसके लिए केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक संस्थान ([https://mehlabizpitaara.blogspot.com/2020/02/blog-post_60.html institute of wood science & technology]) बेंगलोर में है | यहाँ से आप चन्दन की पौधे प्राप्त कर सकते हैं |
इसका पता है
Tree improvement and genetics division institute of wood science and technology

o.p. malleshwaram

bangalore – 506003 (india)

चंदन की खेती अवैध नहीं है।


== सन्दर्भ ==
== सन्दर्भ ==

15:09, 24 मार्च 2020 का अवतरण

चन्दन
Indian sandalwood
Santalum album
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
अश्रेणीत: पुष्पी पादप
अश्रेणीत: युडिकॉट​
अश्रेणीत: मुख्य युडिकॉट
गण: सैंटालेलीस
कुल: सैंटालेसियाए
वंश: Santalum
जाति: S. album
द्विपद नाम
Santalum album
L.
चन्दन का वृक्ष (हैदराबाद)

भारतीय चंदन (Santalum album) का संसार में सर्वोच्च स्थान है। इसका आर्थिक महत्व भी है। यह पेड़ मुख्यत: कर्नाटक के जंगलों में मिलता है तथा भारत के अन्य भागों में भी कहीं-कहीं पाया जाता है। भारत के 600 से लेकर 900 मीटर तक कुछ ऊँचे स्थल और मलयद्वीप इसके मूल स्थान हैं।

इस पेड़ की ऊँचाई 18 से लेकर 20 मीटर तक होती है। यह परोपजीवी पेड़, सैंटेलेसी कुल का सैंटेलम ऐल्बम लिन्न (Santalum album linn.) है। वृक्ष की आयुवृद्धि के साथ ही साथ उसके तनों और जड़ों की लकड़ी में सौगंधिक तेल का अंश भी बढ़ने लगता है। इसकी पूर्ण परिपक्वता में 8 से लेकर 12वर्ष तक का समय लगता है। इसके लिये ढालवाँ जमीन, जल सोखनेवाली उपजाऊ चिकली मिट्टी तथा 500 से लेकर 625 मिमी. तक वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।

चन्दन की एक डाली पर लगीं पत्तियाँ

तने की नरम लकड़ी तथा जड़ को जड़, कुंदा, बुरादा, तथा छिलका और छीलन में विभक्त करके बेचा जाता है। इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्तिकला, तथा साजसज्जा के सामान बनाने में और अन्य उत्पादनों का अगरबत्ती, हवन सामग्री, तथा सौगंधिक तेज के निर्माण में होता है। आसवन द्वारा सुगंधित तेल निकाला जाता है। प्रत्येक वर्ष लगभग 3,000 मीट्रिक टन चंदन की लकड़ी से तेल निकाला जाता है। एक मीट्रिक टन लकड़ी से 47 से लेकर 50 किलोग्राम तक चंदन का तेल प्राप्त होता है। रसायनज्ञ इस तेल के सुगंधित तत्व को सांश्लेषिक रीति से प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं।

चंदन के प्रसारण में पक्षी भी सहायक हैं। बीजों के द्वारा रोपकर भी इसे उगाया जा रहा है। सैंडल स्पाइक (Sandle spike) नामक रहस्यपूर्ण और संक्रामक वानस्पतिक रोग इस वृक्ष का शत्रु है। इससे संक्रमित होने पर पत्तियाँ ऐंठकर छोटी हो जाती हैं और वृक्ष विकृत हो जाता है। इस रोग की रोकथाम के सभी प्रयत्न विफल हुए हैं।

चंदन के स्थान पर उपयोग में आनेवाले निम्नलिखित वृक्षों की लकड़ियाँ भी हैं :

  • (१) आस्ट्रेलिया में सैंटेलेसिई (Santalaceae) कुल का
  • (क) यूकार्या स्पिकैटा (आर.बी-आर.) स्प्रैग. एवं सम्म.उ सैंटेलम स्पिकैटम् (आर.बी-आर.) ए. डी-सी. (Eucarya Spicata (R.Br.) Sprag. et Summ, Syn. Santalum Spicatum (R.Br.) A.Dc.),
  • (ख) सैंटेलम लैंसियोलैटम आर. बी-आर. (Santalum lanceolatum (R.Br.)) तथा
  • (ग) मायोपोरेसी (Myoporaceae) कुल के एरिमोफिला मिचेल्ली बैंथ. (Eremophila mitchelli Benth.) नामक वृक्ष;
  • (२) पूर्वी अफ्रीका तथा मैडेगास्कर के निकटवर्ती द्वीपों में सैंटेलेसी कुल का ओसाइरिस टेनुइफोलिया एंग्ल. (Osyris tenuifolia Engl.); तथा
  • (३) हैटी और जमैका में रूटेसिई (Rutaceae) कुल का एमाइरिस बालसमीफेरा एल. (Amyris balsmifera L.), जिसे अंग्रेजी में वेस्ट इंडियन सैंडलवुड भी कहते हैं।

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ