"ताज-उल-मस्जिद, भोपाल": अवतरणों में अंतर
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[[भोपाल]] स्थित यह मस्जिद [[भारत]] की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है। इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल के आठवें शासक [[शाहजहां बेगम]] के शासन काल में प्रारंभ हुआ था, लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवंतपर्यंत यह बन न सकी। 1971 में यह मस्जिद पूरी तरह से बनकर तैयार हो सकी। गुलाबी रंग की इस विशाल मस्जिद की दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं, जिन्हें मदरसे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। तीन दिन तक चलने वाली यहां की वार्षिक [[तबलीगी इजतिमा]] (प्रार्थना) भारत भर से लोगों का ध्यान खींचती है। |
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== चित्र दीर्घा == |
== चित्र दीर्घा == |
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ताज-उल मसाजिद (تَاجُ ٱلْمَسَاجِد)[1] | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | सुन्नी इस्लाम |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | भोपाल , मध्य प्रदेश, भारत |
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भौगोलिक निर्देशांक | 23°15′47″N 77°23′34″E / 23.262934°N 77.392802°Eनिर्देशांक: 23°15′47″N 77°23′34″E / 23.262934°N 77.392802°E |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | मस्जिद |
शैली | भारतीय-इस्लामी वास्तुकला, मुग़ल वास्तुकला |
वित्तपोषण | सुल्तान शाह जहां बेगम भोपाल बहादुर शाह ज़फ़र |
आयाम विवरण | |
क्षमता | 175,000+ |
अंदरूनी क्षेत्र | 23,000 मी2 (250,000 वर्ग फुट)[1] |
गुंबद | 3 |
मीनारें | 2 |
भोपाल स्थित यह मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है। इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल के आठवें शासक शाहजहां बेगम के शासन काल में प्रारंभ हुआ था, लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवंतपर्यंत यह बन न सकी। 1971 में यह मस्जिद पूरी तरह से बनकर तैयार हो सकी। गुलाबी रंग की इस विशाल मस्जिद की दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं, जिन्हें मदरसे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। तीन दिन तक चलने वाली यहां की वार्षिक तबलीगी इजतिमा (प्रार्थना) भारत भर से लोगों का ध्यान खींचती है।
चित्र दीर्घा
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ताजमहल भोपाल से ताजुल मस्जिद का एक दृश्य