"तृतीया": अवतरणों में अंतर
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हिंदू [[पंचांग]] की तीसरी [[तिथियाँ|तिथि]] को तृतीया कहते हैं। यह तिथि [[मास]] में दो बार आती है। [[पूर्णिमा]] के बाद और [[अमावस्या]] के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली तृतीया को [[कृष्ण पक्ष]] की तृतीया और अमावस्या के बाद आने वाली तृतीया को [[शुक्ल पक्ष]] की तृतीया कहते हैं। |
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== सन्दर्भ == |
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13:10, 4 मार्च 2020 का अवतरण
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (नवम्बर 2012) स्रोत खोजें: "तृतीया" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
हिंदू पंचांग की तीसरी तिथि को तृतीया कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली तृतीया को कृष्ण पक्ष की तृतीया और अमावस्या के बाद आने वाली तृतीया को शुक्ल पक्ष की तृतीया कहते हैं।