"विश्व शांति स्तूप": अवतरणों में अंतर
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यह लगभग 80 शांति पैगोडाओं में से एक है जो कि नव-बौद्ध संगठन निप्पोनज़ान म्योहोजी द्वारा दुनिया भर में बनाए गए है। यह फ़ूजी निचिदात्सु का एक सपना था, जो [[महात्मा गांधी|गांधीजी]] से प्रेरित थे। [[हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बमबारी|जापान]] के [[हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बमबारी|परमाणु बमबारी]] को लेकर प्रतिक्रिया के रूप में, [[राजगीर]] में [[राजगीर|रत्नागिरी]] हिल पर बनाया जा रहा पहला, और अधिक प्रसिद्ध विश्व शांति स्तूप है। |
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यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर गृद्धकूट नामक स्थान भी है, जो [[गौतम बुद्ध|बुद्ध]] का एक प्रिय स्थान था।<ref>{{Cite web|url=https://www.prabhatkhabar.com/news/nalanda/story/1088187.html|title=विश्व शांति स्तूप विश्व को दे रहा मैत्री व शांति का संदेश।|last=|first=|date=|website=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref> |
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== संदर्भ == |
== संदर्भ == |
09:57, 3 मार्च 2020 का अवतरण
विश्व शांति स्तूप ( अंग्रेज़ी: World Peace Stupa) ; महाराष्ट्र के वर्धा जिले में, गीताई मंदिर के पास, सफेद रंग का एक विशाल स्तूप है। बुद्ध की प्रतिमाएँ चारों दिशाओं में स्तूप पर आरूढ़ हैं। इसमें एक छोटा जापानी बौद्ध मंदिर भी है, जिसके अंदर एक बड़ा पार्क है। स्तूप के पास एक मंदिर है जहाँ विश्व शांति के लिए प्रार्थनाएँ की जाती हैं। प्रारंभिक शिवालय का निर्माण 1969 में पूरा हो गया था।[1] 1993 में होने वाली नई पहल [2] के परिणामवश स्तूप का वर्तमान रूप में सामने आया।
यह लगभग 80 शांति पैगोडाओं में से एक है जो कि नव-बौद्ध संगठन निप्पोनज़ान म्योहोजी द्वारा दुनिया भर में बनाए गए है। यह फ़ूजी निचिदात्सु का एक सपना था, जो गांधीजी से प्रेरित थे। जापान के परमाणु बमबारी को लेकर प्रतिक्रिया के रूप में, राजगीर में रत्नागिरी हिल पर बनाया जा रहा पहला, और अधिक प्रसिद्ध विश्व शांति स्तूप है।
यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर गृद्धकूट नामक स्थान भी है, जो बुद्ध का एक प्रिय स्थान था।[3]
संदर्भ
- ↑ "राजगीर; बिहार पर्यटन के वेबसाइट पर।".
- ↑ M. V. Kamath, Gandhi's Coolie: Life & Times of Ramkrishna Bajaj, p. 354, Allied Publishers, 1988
- ↑ "विश्व शांति स्तूप विश्व को दे रहा मैत्री व शांति का संदेश।".
- सिबी के। जोसेफ, भारत महोदया (संस्करण), निबंध में संकल्प, गांधीवादी अध्ययन संस्थान, 2007।