"पद्मगुप्त": अवतरणों में अंतर

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'''पद्मगुप्त''', राजा [[मुंज]] (974-998) के आश्रित [[कवि]] थे जिन्होने 'नवसाहसाङ्कचरित' नामक [[संस्कृत]] [[महाकाव्य]] की रचना की<ref name="‘Amar’ p. 54">{{cite book | last=‘Amar’ | first=A.J. | title=Brahttriyie Aur Dharma | publisher=Prabhat Prakashan | isbn=978-93-82901-91-4 | url=https://books.google.co.in/books?id=VEOcDAAAQBAJ&pg=PA54 | language=de | access-date=14 April 2019 | page=54}}</ref>। वे [[धार|धारा नगरी]] के [[सिंधुराज]] के ज्येष्ठ भ्राता थे। [[कीथ]] के अनुसार इनका समय १००५ ई. के लगभग होना चाहिए। इनके पिता का नाम मृगाङ्कगुप्त था। इन्हें ‘परिमल कालिदास’ भी कहा गया है। [[धनिक]] व [[मम्मट]] ने इन्हें उद्धृत किया है।
'''पद्मगुप्त''', राजा [[वाक्पतिराज प्रथम|मुंज]] (974-998) के आश्रित [[कवि]] थे जिन्होने 'नवसाहसाङ्कचरित' नामक [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] [[महाकाव्य]] की रचना की<ref name="‘Amar’ p. 54">{{cite book | last=‘Amar’ | first=A.J. | title=Brahttriyie Aur Dharma | publisher=Prabhat Prakashan | isbn=978-93-82901-91-4 | url=https://books.google.co.in/books?id=VEOcDAAAQBAJ&pg=PA54 | language=de | access-date=14 April 2019 | page=54}}</ref>। वे [[धार|धारा नगरी]] के [[सिंधुराज]] के ज्येष्ठ भ्राता थे। [[कीथ]] के अनुसार इनका समय १००५ ई. के लगभग होना चाहिए। इनके पिता का नाम मृगाङ्कगुप्त था। इन्हें ‘परिमल कालिदास’ भी कहा गया है। [[धनिक]] व [[आचार्य मम्मट|मम्मट]] ने इन्हें उद्धृत किया है।


विद्वानों की दृष्टि में 'नवसाहसाहसांकचरित' प्रथम ऐतिहासिक महाकाव्य है। इसमें १८ सर्ग हैं। इसमें काल्पनिक राजकुमारी शशिप्रभा के प्रणय की कथा वर्णित है परन्तु यह [[मालवा]] के राजा [[सिन्धुराज]] के चरित का भी वर्णन [[श्लेष]] के द्वारा उपस्थित करता है। जैसा प्रायः [[संस्कृत]] इतिहास काव्यों में देखा जाता है- उनमें प्रामाणिक इतिहास कम, चरितनायक के चरित का अतिरंजित वर्णन अधिक होता है- वैसा ही इस काव्य में भी हुआ है। कवि का उपनाम 'परिमल' था। [[उद्गाता|उद्गाता छन्द]] के उपयोग में इनकी विशेष कुशलता प्राप्त थी।
विद्वानों की दृष्टि में 'नवसाहसाहसांकचरित' प्रथम ऐतिहासिक महाकाव्य है। इसमें १८ सर्ग हैं। इसमें काल्पनिक राजकुमारी शशिप्रभा के प्रणय की कथा वर्णित है परन्तु यह [[मालवा]] के राजा [[सिंधुराज|सिन्धुराज]] के चरित का भी वर्णन [[श्लेष]] के द्वारा उपस्थित करता है। जैसा प्रायः [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] इतिहास काव्यों में देखा जाता है- उनमें प्रामाणिक इतिहास कम, चरितनायक के चरित का अतिरंजित वर्णन अधिक होता है- वैसा ही इस काव्य में भी हुआ है। कवि का उपनाम 'परिमल' था। [[उद्गाता|उद्गाता छन्द]] के उपयोग में इनकी विशेष कुशलता प्राप्त थी।


नवसाहसाहसांकचरित पर महाकवि [[कालिदास]] के काव्य का प्रभाव परिलक्षित होता है। कालिदास के अनुकरण पर इस ग्रन्थ की रचना भी [[वैदर्भी शैली]] पर हुई है। महाकाव्य का हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशन 'चौखम्बा-विद्याभवन' से हो चुका है।
नवसाहसाहसांकचरित पर महाकवि [[कालिदास]] के काव्य का प्रभाव परिलक्षित होता है। कालिदास के अनुकरण पर इस ग्रन्थ की रचना भी [[वैदर्भी शैली]] पर हुई है। महाकाव्य का हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशन 'चौखम्बा-विद्याभवन' से हो चुका है।

09:58, 2 मार्च 2020 का अवतरण

पद्मगुप्त, राजा मुंज (974-998) के आश्रित कवि थे जिन्होने 'नवसाहसाङ्कचरित' नामक संस्कृत महाकाव्य की रचना की[1]। वे धारा नगरी के सिंधुराज के ज्येष्ठ भ्राता थे। कीथ के अनुसार इनका समय १००५ ई. के लगभग होना चाहिए। इनके पिता का नाम मृगाङ्कगुप्त था। इन्हें ‘परिमल कालिदास’ भी कहा गया है। धनिकमम्मट ने इन्हें उद्धृत किया है।

विद्वानों की दृष्टि में 'नवसाहसाहसांकचरित' प्रथम ऐतिहासिक महाकाव्य है। इसमें १८ सर्ग हैं। इसमें काल्पनिक राजकुमारी शशिप्रभा के प्रणय की कथा वर्णित है परन्तु यह मालवा के राजा सिन्धुराज के चरित का भी वर्णन श्लेष के द्वारा उपस्थित करता है। जैसा प्रायः संस्कृत इतिहास काव्यों में देखा जाता है- उनमें प्रामाणिक इतिहास कम, चरितनायक के चरित का अतिरंजित वर्णन अधिक होता है- वैसा ही इस काव्य में भी हुआ है। कवि का उपनाम 'परिमल' था। उद्गाता छन्द के उपयोग में इनकी विशेष कुशलता प्राप्त थी।

नवसाहसाहसांकचरित पर महाकवि कालिदास के काव्य का प्रभाव परिलक्षित होता है। कालिदास के अनुकरण पर इस ग्रन्थ की रचना भी वैदर्भी शैली पर हुई है। महाकाव्य का हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशन 'चौखम्बा-विद्याभवन' से हो चुका है।

सन्दर्भ

  1. ‘Amar’, A.J. Brahttriyie Aur Dharma (जर्मन में). Prabhat Prakashan. पृ॰ 54. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-82901-91-4. अभिगमन तिथि 14 April 2019.